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Carnatic Wars

कर्नाटक का युद्ध (Carnatic Wars)

कर्नाटक का युद्ध (Carnatic Wars)

प्रथम कर्नाटक युद्ध (First Carnatic War) (1745 – 48) 

  • बरनेट की देख-रेख में 1745 ई० में अंग्रेजी नौसेना द्वारा फ्रांसीसी नौकाओं पर अधिकार कर लिया गया और बदले में 1746 ई० में डूप्ले द्वारा मद्रास पर कब्जा कर लिया गया। 
  • मद्रास पर अपने अधिकार के लिए एवं खुद अपने बचाव के लिए अंग्रजों द्वारा कर्नाटक के नवाब से अनुरोध करना पड़ा। 
  • फ्रांसीसियों द्वारा नवाब अनवरुद्दीन का आदेश अस्वीकृत करने के उपरांत दोनों सेनाओं के बीच सेंट थॉम में यद्ध हआ जिसमें नवाब की हार हुई। 
  • यूरोप में आस्ट्रीयन उत्तराधिकारियों के लिए युद्ध खत्म हो गए जिसके परिणामस्वरूप भारत में आंग्ल-फ्रांसीसी शत्रुता खत्म हो गई। 
  • 1748 ई० में फ्रांसीसियों द्वारा मद्रास अंग्रेजों को लौटा दिया गया।

द्वितीय कर्नाटक युद्ध (Second Carnatic War) (1749 – 54) 

  • हैदराबाद एवं कर्नाटक में मुजफ्फर जंग का कब्जा एवं चंदा साहिब को फ्रांसीसियों द्वारा सहयोग दिया गया। 
  • अंग्रेजों द्वारा (हैदराबाद में नासिर जंग एवं कर्नाटक में अनवरुद्दीन अपने दोनों विरोधियों के विरुद्ध सहयोग), उसके पुत्र मुहम्मद अली को सहयोग दिया गया। 
  • फ्रांसीसियों द्वारा दोनों राज्यों में 1749 ई० में अपने विरोधियों की हत्या कर अपने सहयोगियों को गद्दी पर बैठाने में सफलता मिली। 
  • 1751 ई० में क्लाइव के अधीन अंग्रेजों द्वारा आरकोट पर कब्जा कर लिया एवं अंग्रेजों द्वारा फ्रांसीसियों को हराया गया। 
  • 1752 ई० में तंजौर के जनरल जो कि अंग्रेजों का सहयोगी था, उसने युद्ध में चंदा साहिब की हत्या करके उसकी जगह मुहम्मद अली को कर्नाटक की गद्दी पर बैठाया। 
  • 1753-54 ई० में डूप्ले द्वारा दिशा बदलने का अनर्थक तो प्रयास किया गया जिससे फ्रांस की सरकार ने 1754 ई० प में उसे वापस बुला लिया। 
  • हैदराबाद पर बुसी द्वारा फ्रांसीसी स्थिति को पुनः प्राप्त किया गया। 

तृतीय कर्नाटक युद्ध (Third Carnatic War) (1758-63) 

युद्ध की शुरुआत हुई, 1757 ई० में क्लाइव एवं वाटसन ने बंगाल के चंद्रनागोर पर कब्जा कर लिया एवं 1758 ई० में काउंट डी लैली का फ्रांस की स्थिति मजबूत करने के लिए भारत आगमन हुआ।

  • पीकॉक के नेतृत्व में तीन नौसैनिक, लड़ाइयां
  • अंग्रेजी नौसेना द्वारा फ्रांसीसी नौसेना की डी एक के नेतृत्व वाली सेना की हार हुई एवं 1759 ई० में डी एक की फ्रांस वापसी हुई। 
  • 22 जनवरी 1760 ई० में वांडीवाश की लड़ाई में काउंट लैली ने अंग्रेज जरनल आयर कोटे को हराया। 
  • मार्च 1760 ई० में अंग्रेजों द्वारा निज़ाम के सरंक्षण के लिए फ्रांसीसियों का स्थान ले लिया गया, 1761 ई० में फ्रांसीसियों द्वारा पांडिचेरी अंग्रेजों को दिया गया एवं भारत के अन्य स्थानों पर फ्रांसीसियों की हार हुई। 
  • 1763 ई० में फ्रांसीसियों के साथ शांति प्रस्तावना प्रस्ताव स्थापित हुए।

 

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