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Buxar ki ladai

बक्सर की लड़ाई (Battle of Buxar)

बक्सर की लड़ाई (Battle of Buxar) 1764

बक्सर के युद्ध के कारण 

  • बंगाल के नवाब मीर कासिम एवं अंग्रेजों के बीच संप्रभुता की लड़ाई शुरू हो गई। 
  • अंग्रेजों द्वारा 1717 के फरमान एवं दस्तक का दुरुपयोग किया गया एवं नवाब के द्वारा आंतरिक व्यापार पर सभी करों को हटा दिया गया। 
  • अंग्रेजों द्वारा नवाब के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया एवं कंम्पनी के सेवकों द्वारा बंगाल के लोगों पर अत्याचार किया जाने लगा।

बक्सर के युद्ध का घटनाक्रम 

  • बक्सर शहर पटना से 120 किलोमीटर पश्चिमम स्थित है। 
  • 22 अक्टूबर, 1764 ई० में अंग्रेजों और मीर कासिम, शुजाउद्दौला एवं शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना के बीच यहा लड़ाई हुई। 
  • अंग्रेजों की सेना का नेतृत्व मेजर हेक्टर मुनरा कर रहा था जिसकी सेना की संख्या 7,702 थी जिसमें 857 यूरोपियन 5,297 सिपाही एवं 918 भारतीय घुड़सवार थे, जबकि संयुक्त सेना की संख्या लगभग 50 हजार थी। 
  • संयुक्त सेना के हारने का मुख्य कारण तीनों सेनाओं के बीच आपसी असहयोग था।
  • इस लड़ाई में अंग्रेजों के लगभग 847 सैनिक मारे गए जबकि संयुक्त सेना के लगभग 2000 सैनिक मारे गए। 
  • मीर कासिम एक योग्य सेनापति नहीं था। वह यूरोपियन सेनानायकों पर आश्रित था। 
  • मारकर एवं सुमरो की पलटनों ने युद्ध के दौरान यूरोपियनों का साथ देकर मीर कासिम को हराने में मुख्य भूमिका निभाई।

बक्सर के युद्ध का महत्त्व एवं परिणाम 

  • अंग्रेज बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के वास्तविक शासक बन गए। 
  • बंगाल का नवाब अंग्रेजों पर आश्रित था तथा मुगल बादशाह उनका पेंशनर हो गया, जिससे अंग्रेजों की प्रतिष्ठा बढ़ी। 
  • अंग्रेजों की सैनिक दक्षता एवं हथियारों की श्रेष्ठता का प्रदर्शन हुआ।

 

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