गोरखा शासन के कुछ महत्वपूर्ण कर
(Some Important Taxes of Gorkha Rule)
1790 ई0 में गोरखों ने जब कुमाऊँ पर आक्रमण कर अपना आधिपत्य स्थापित किया था। 1804 ई0 में गोरखों ने गढ़वाल पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया। सम्पूर्ण उत्तराखंड में गोरखों ने यहाँ की जनता से कई प्रकार के कर वसूले जो इस प्रकार हैं –
1. सलामी कर – अधिकारियों को भेंट।
2. सौण्या फाल्गुन – पर्वों उत्सवों पर भेंट।
3. खान व टकसाल कर।
4. अधनी कानूनगों कर।
5. सायर कर – सीमा एवं चुंगी कर।
6. कथ या क्वेरसाल कर।
7. कठबांस कर।
8. दोनिया कर – पहाड़ी पशु चारकों से वसूल कर।
9. जान्या-सुन्या कर – कर्मचारियों से लागत के बावत पूछने पर लिया गया कर।
10. अधनी-दफ्तरी – यह राजस्व का काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन के लिए खस जमींदारों से लिया जाता था।
11. मौंकर – प्रति 2 रु0 कर इसे चंदों ने भी लगाया था – इसे घरही पिछही कर भी कहते हैं।
12. घी कर – दुग्धारू पशुओं के मालिकों से लिया जाता था।
13. बहता कर – छिपाई गई सम्पति रहता- ग्राम छोड़कर भागे हुये लोगों से यह कर लेते थे।
14. मरो कर – पुत्रहीन व्यक्ति से लिया जाता था।
15. मिझारी कर – शिल्प कर्मियों तथा जागरिया ब्राह्मणों से इसे लिया जाता था।
16. टाडकर – इसे कपड़ा कर भी कहते थे। इसे हिन्दू व भोटिया बुनकर से लेते थे।
17. सोन्या-फागुन – उत्सवों को मनाने के लिए लिया जाने वाला कर।
18. मेजवानी दस्तुर – यह प्रत्येक बीसी पर एक रुपया लिया जाता था।
19. पगरी पगड़ी कर – जमीन की क्रय-विक्रय में क्रेता से लिया जाने वाला महत्वपूर्ण कर।
20. तिमाही कर – इसमें फौजदारों को 4 व सूबेदारों को 2 आना देने पड़ते थे।
21. टीका भेंट – शुभ अवसरों जैसे शादी, विवाह।
22. सलामी – एक प्रकार का नजराना कर।
23. पुगड़ी कर – यह भूमिकर सबसे महत्वपूर्ण था। इसी से सैनिकों को वेतन दिया जाता था।
24. मांगा कर – युद्ध के समय लिया जाने वाला कर।
25. कुसही कर – ब्राह्मणों पर लगाया जाने वाला कर।
Read Also : |
---|