भारतीय समाज में सामाजिक व धार्मिक सुधार आन्दोलन
(Social and Religious Reform Movement in Indian Society)
संस्था | स्थापना | स्थल | संस्थापक | प्रमुख उद्देश्य |
आत्मीय सभा | 1815 | कलकत्ता | राममोहन राय | हिंदू धर्म की बुराइयों पर आक्रमण व एकेश्वरवाद का प्रचार-प्रसार था। |
ब्रह्म समाज | 1828 | कलकत्ता | राममोहन राय | पहले इसका नाम ब्रह्म सभा था तथा इसका उद्देश्य एकेश्वरवाद था। |
धर्म सभा | 1829 | कलकत्ता | राधाकांत देव | इसकी स्थापना ब्रह्मसमाज के विरोध में हुई तथा इसका उद्देश्य कट्टरपंथी हिन्दू धर्म की रक्षा था। |
तत्वबोधिनी सभा | 1839 | कलकत्ता | देवेंद्रनाथ टैगोर | राममोहन राय के विचारों का प्रचार करना था। |
मानव धर्म सभा | 1844 | सूरत | दुर्गाराम मंछाराम | जाति प्रथा के बंधनों को तोड़ना था। |
परमहंस मंडली | 1849 | बम्बई | दादोबा पांडेरंग | जाति प्रथा के बंधनों को समाप्त करना था। |
राधा स्वामी सत्संग | 1861 | आगरा | तुलसी राम | एकेश्वरवादी सिद्धांतों का प्रचार था। |
भारत का ब्रह्म समाज | 1866 | कलकत्ता | केशव चंद्र सेन | मूल ब्रह्म समाज (राममोहन राय द्वारा स्थापित) से होकर सेन ने नई संस्था की स्थापना की, जिसका मुद्दा समाज सुधार था। इस विभाजन के बाद मूल समाज आदि ब्रह्म समाज कहा गया। |
प्रार्थना समाज | 1867 | बम्बई | डॉ. आत्मारंग पांडुरंग | एम.जी. रानाडे तथा आर.जी. भंडारकर 1870 में इसके सदस्य बने। इसका हिन्दू धर्म के विचारों तथा प्रचलनों में सुधार था। |
आर्य समाज | 1875 | बम्बई | स्वामी दयानंद सरस्वती | हिंदू धर्म में सुधार तथा हिंदुओं का धर्म परिवर्तन रोकना था। |
थियोसोफिकल सोसाइटी | 1875 | न्यूयॉर्क | मैडम एच.पी. व कर्नल आलकॉट | प्राचीन धर्म एवं दर्शन का प्रसार तथा विश्व बंधुत्व था। |
साधारण ब्रह्म समाज | 1878 | कलकत्ता | आनंद मोहन बोस, शिवनाथ शास्त्री | ब्रह्म समाज में दूसरा विभाजन, समाज की व्यवस्था तथा समाज सुधार के प्रश्न पर के.सी. सेन के युवा अनुयायियों के एक वर्ग ने उन्हें छोड़ दिया। |
दक्कन शिक्षा समाज | 1884 | पूना | जी.जी. अगरकर | युवाओं को देश सेवा के लिए तैयार करने हेतु शिक्षा का पुनर्गठन करना था। |
इंडियन नेशनल सोशल कॉफ्रेंस | 1887 | बम्बई | एम.जी. राणाडे | भारतीय समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना तथा महिला कल्याण था। |
देव समाज | 1887 | लाहौर | शिवनारायण अग्निहोत्री | ब्रह्म समाज की तरह था पर इसके विपरीत इसके अनुयायी गुरू को पूजते थे। |
रामकृष्ण मिशन | 1897 | बेलूर | स्वामी विवेकानंद | मानवतावादी एवं सामाजिक कार्य करना था। |
भारत सेवक समाज | 1905 | बम्बई | गोपाल कृष्ण गोखले | मातृभूमि की सेवा के लिए भारतीयों को विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षित करना था। |
पूना सेवा सदन | 1909 | पूना | श्रीमती रमाबाई राणाडे एवं जी.के. देवधर | महिला कल्याण को बढ़ावा देना व उनका उत्थान करना था। |
सोशल सर्विस लीग | 1911 | बम्बई | एन.एम. जोशी | सामान्य नागरिक के लिए जीवन में कार्य के बेहतर करने का अवसर प्रदान करना था। |
सेवा समिति | 1914 | इलाहाबाद | हदयनाथ कुंजरू | प्राकृतिक विपदाओं के समय समाज सेवा, शिक्षा, सफाई शारीरिक संस्कृति आदि का विकास करना था। |
सेवा समिति बाल स्काउट एसोसिएशन | 1914 | बम्बई | श्रीराम वाजपेयी | भारत में बाल स्काउट आंदोलन का भारतीयकरण करना था। |
वीमेंस इंडियन एसोसिएशन | 1923 | मद्रास | भारतीय महिलाओं का कल्याण हेतु 1926 को ऑल इंडिया वीमेंस कॉन्फ्रेंस की वार्षिक बैठक से प्रारंभ हेतु। | |
रहनुमाई मज्दयास्नन सभा (पारसी धर्म सुधार) | 1851 | बम्बई | नौरोजी फुरदुनजी, दादाभाई नौरोजी, एस.एस. बंगाली | जरथ्रूष्ट्र धर्म सुधार तथा पारसी महिलाओं का आधुनिकीकरण करना था। (अवेस्ता : पवित्र धर्मग्रंथ, अहुर मज्दा : उनका देवता, जरथुष्ट्रः धर्म का संस्थापक)। |
निरंकारी | 1840 | पंजाब | दयाल दास, दरबारा सिंह रतन चंद | सिख धर्म का शुद्धीकरण। |
नामधारी | 1857 | पंजाब | राम सिंह | सिख धर्म सुधार हेतु। |
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