राजस्थान इतिहास के ताम्रपत्र
(Rajasthan History Cupboards)
इतिहास के निर्माण में तामपत्रों (Cupboards) का महत्वपूर्ण स्थान है। प्राय राजा या ठिकाने के सामन्तों द्वारा ताम्रपत्र दिये जाते थे। ईनाम, दान-पुण्य, जागीर आदि अनुदानों को ताम्रपत्रों पर खुदवाकर अनुदान-प्राप्तकर्ता को दे दिया जाता था जिसे वह अपने पास संभाल कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी रख सकता था।
आहड के ताम्रपत्र (1206 ई.) – इस ताम्रपत्र में गुजरात के मूलराज से लेकर भीमदेव द्वितीय तक सोलंकी राजाओं की वंशावली दी गई है। इससे यह भी पता चलता है कि भीमदेव के समय में मेवाड़ पर गुजरात का प्रभुत्व था।
खेरोदा के ताम्रपत्र (1437 ई.) – इस ताम्रपत्र से एकलिंगजी में महाराणा कुम्भा द्वारा दान दिये गये खेतों के आस-पास से गुजरने वाले मुख्य मार्गो, उस समय में प्रचलित मुद्रा धार्मिक स्थिति आदि की जानकारी मिलती है।
चौकली ताम्रपत्र (1483 ई.) – इस ताम्रपत्र से किसानों से वसूल की जाने वाली विविध लाग-बागों का पता चलता है ।
पुर के ताम्रपत्र (1535 ई.) – इस ताम्रपत्र से हाडी रानी कर्मावती द्वारा जौहर में प्रवेश करते समय दिये गये भूमि अनुदान की जानकारी मिलती है ।
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