73वें संविधान अधिनियम 1992 के पारित होने से देश के संघीय लोकतान्त्रिक ढांचे में एक नये युग का सूत्रपात हुआ और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान में भाग-9 को पुनः स्थापित कर 16 नये अनुच्छेद और 11वीं अनुसूची जोड़ी गयी। इसके द्वारा पंचायतों के गठन, संरचना, निर्वाचन, सदस्यों की अर्हताएं एवं निरहर्ताएं, पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकार और उत्तरदायित्व आदि के लिए प्रावधान किए गए है। ग्यारहवी अनुसूची में कुल 29 विषयों का उल्लेख है जिन पर पंचायतों को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है। यह संशोधन अधिनियम 24 अप्रैल, 1993 को प्रवर्तित हुआ। इस अधिनियम की मुख्य विशेषता यह है कि अन्य बातों के साथ-साथ इसमें सभी स्तरों पर पंचायतों के नियमित चुनाव कराने, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण और स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाने के उपायों सहित राज्य वित आयोग व राज्य निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम द्वारा स्थापित राज का प्रधान लक्ष्य ग्रामवसियों में शक्ति का विकेंद्रीकरण कर उन्हें विकास मूलक प्रशासन में भागीदारी के योग्य बनाना और गांवो को सामाजिक एवं आर्थिक न्याय प्रदान करना है। इस प्रकार भारत में पंचायती राज शक्तियों के विकेंद्रीकरण, प्रशासन में लोगों की हिस्सेदारी तथा सामुदायिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। पंचायती राज्य को मजबूत बनाने के लिए संविधान के भाग -9 में ‘अनुच्छेद 243′ जोड़ा गया और इसमें 16 नये अनुच्छेद जोड़े गये।
- अनुच्छेद 243 – परिभाषाएँ
- अनुच्छेद 243 (A) – ग्राम सभा
- अनुच्छेद 243 (B) – पंचायतों का संविधान
- अनुच्छेद 243 (C) – पंचायतों का गठन
- अनुच्छेद 243 (D) – सीटों का आरक्षण
- अनुच्छेद 243 (E) – पंचायतों का कार्यकाल इत्यादि
- अनुच्छेद 243 (F) – सदस्यता से अयोग्यता
- अनुच्छेद 243 (G) – पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार तथा उत्तरदायित्व
- अनुच्छेद 243 (H) – पंचायतों की करारोपण की शक्ति
- अनुच्छेद 243 (I) – वित्तीय स्थिति की समीक्षा के लिए वित्त आयोग का गठन
- अनुच्छेद 243 (J) – पंचायतों के लेखा का अंकेक्षण
- अनुच्छेद 243 (K) – पंचायतों का चुनाव
- अनुच्छेद 243 (L) – संघीय क्षेत्रों पर लागू होना
- अनुच्छेद 243 (M – कतिपय मामलों में इस भाग का लागू नहीं होना
- अनुच्छेद 243 (N) – पहले से विद्यमान कानूनों एवं पंचायतों का जारी रहना
- अनुच्छेद 243 (O) – चुनावी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप पर रोक
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