निर्देश (प्रश्न संख्या 61 से 65 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 1
अगर लोक-साहित्य की ज़रूरत हो तो वह विद्यालय के अध्यापक या कॉलेज के प्राध्यापक के पास नहीं मिलेगा, किसी राजकीय कर्मचारी के पास या विलायत या अमेरिका से खेती-बाड़ी का प्रशिक्षण लेकर आने वाले किसान के पास नहीं मिलेगा । लोक साहित्य तो रहता है चड़स हाँकने वाले किसान के पास या खेतों में भाथा लेकर जाने वाली भथवारी के पास । या तो वह रहता है पनघट जाने वाली पनिहारिन के घड़े में या फिर रहता है किसी ईंधन बटोरने वाली बुढ़िया के पास । लोक साहित्य रहता है सोनी या लुहार के पास या फिर रहता है कुम्हार के चाक में । कभी वह तम्बूरे की रणकार में रहता है, तो कभी चूड़ियों की झनकार में रहता है । भाट-चारण और पुराने जोगी-जती लोक-साहित्य के ज्ञाता होते हैं । कई बार तो वह रहता है माताजी को अर्पित नर-नारियों के पास, तो काफी कुछ रहता है ग्वालों की जीभ पर । लोक-साहित्य की शोध करनी हो तो शहर छोड़कर गाँवों में जाना पड़ेगा या गाँव छोड़कर सिवान में जाना पड़ेगा ।
61. लोक-साहित्य के ज्ञाता होते हैं
(A) विद्यालय के प्राध्यापक
(B) कॉलेज के प्राध्यापक
(C) राजकीय कर्मचारी
(D) भाट-चारण और पुराने जोगी – जती
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62. ग्वालों के किस अंग पर लोक साहित्य निवास करता है ?
(A) कान पर
(B) जीभ पर
(C) पैर पर
(D) आँख पर
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63. लोक-साहित्य कहाँ रहता है ?
(A) चड़स हाँकने वाले किसान के पास
(B) विद्यालय के अध्यापक के पास
(C) अमेरिका से प्रशिक्षण प्राप्त किसान के पास
(D) राजकीय कर्मचारी के पास
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64. ‘तम्बूरा’ क्या है ?
(A) लोक वाद्य
(B) लोक नृत्य
(C) लोक नाट्य
(D) लोक गीत
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65. लोक-साहित्य की ज़रूरत पड़ने पर कहाँ जाना होगा ?
(A) विलायत
(B) शहर
(C) विश्वविद्यालय
(D) गाँव
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निर्देश ( प्रश्न संख्या 66 से 70 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 2
शंकरदेव असमिया नाटक तथा रंगमंच के जनक हैं । उन्होंने आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व नाटक लिखने तथा मंचन करने की शुरुआत की, उस समय संस्कृत नाटक अपने उतार पर था तथा अन्य प्रांतीय भाषाओं अर्थात् उत्तर भारतीय भाषाओं में नियमित तथा विशिष्ट नाट्य साहित्य का विकास नहीं हुआ था । ऐसे में एक प्रश्न स्वाभाविक तौर पर उठाया जा सकता है कि मध्यकालीन भारत में प्रारंभिक दौर में शंकरदेव ने अपने स्तर पर नियमित रंगमंच तथा सम्पूर्ण लंबाई वाले नाटकों का लेखन किस तरह से किया ? कला के समग्र परिवेश के परिप्रेक्ष्य में भी यह सवाल अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है । अपनी एक रचना में शंकरदेव ने अपना परिचय देते हुए लिखा कि उनका संबंध एक गंधर्व कुल से रहा है तथा यह भी कि उनके पिता, कुसुम्बर अपने जमाने के प्रमुख गंधर्व रहे थे । गंधर्व पद का सीधा सा अर्थ है – गायक तथा संगीतविद् ।
66. असमिया रंगमंच के जनक हैं।
(A) कुसुम्बर
(B) शंकरदेव
(C) गंधर्व
(D) माधव देव
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67. शंकरदेव के समय संस्कृत नाटक की स्थिति थी
(A) चढ़ान पर
(B) उतार पर
(C) मध्यान पर
(D) इनमें से कोई नहीं
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68. कुसुम्बर कौन थे ?
(A) नाटककार
(B) चित्रकार
(C) गायक और संगीतविद्
(D) स्वर्णकार
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69. शंकरदेव का समय है
(A) प्राचीन काल
(B) मध्यकाल
(C) रीतिकाल
(D) आधुनिक काल
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70. असमिया नाटक लेखन की शुरुआत मानी जाती है
(A) 1000 वर्ष पूर्व
(B) 1500 वर्ष पूर्व
(C) 200 वर्ष पूर्व
(D) 500 वर्ष पूर्व
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निर्देश ( प्रश्न संख्या 71 से 75 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 3
सफलता के द्वार के ताले बिना परिश्रम की कुंजी के नहीं खुलते । जीवन की सफलता का रहस्य परिश्रम है । परिश्रम करने वाला व्यक्ति कर्मवीर कहा जाता है । ऐसा व्यक्ति किसी बाधा से विचलित नहीं होता । वैज्ञानिक आविष्कारों के पीछे केवल परिश्रम है । यहाँ तक कि मधुमक्खी के परिश्रम का उदाहरण देखा जा सकता है जो फूलों के रस की एक-एक बूँद एकत्र कर शहद का छत्ता तैयार करती है । ऊपर की ओर चढ़ती चींटी जो न जाने कितनी बार गिरती है, पुनः श्रम कर आगे बढ़ती है ।
71. जीवन में सफलता किस चीज से मिलती है ?
(A) परिश्रम
(B) बलिदान
(C) बुद्धि
(D) चालाकी
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72. वैज्ञानिक खोजों के पीछे मूल क्या है ?
(A) कल्पना
(B) परिश्रम
(C) धन
(D) जिज्ञासा
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73. इस गद्यांश का उचित शीर्षक होगा :
(A) चींटी का श्रम
(B) मधुमक्खी का परिश्रम
(C) त्याग एवं बलिदान
(D) परिश्रम : सफलता की कुंजी
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74. मधुमक्खी किस तरह शहद तैयार करती है ?
(A) हर फूल से सुगंध लाकर
(B) फूलों के रस की एक-एक बूँद एकत्र करके
(C) घूम-घूम कर पत्तियों से रस ग्रहण करके
(D) फूलों पर मंडरा कर
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75. परिश्रम करने वाले को क्या कहते हैं ?
(A) धर्मवीर
(B) युद्धवीर
(C) कर्मवीर
(D) अग्निवीर
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निर्देश (प्रश्न संख्या 76 से 80 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 4
1857 के विप्लव की जितनी सघन व्यापकता थी, अंग्रेज़ों ने उसे उतनी ही बर्बरता के साथ कुचल दिया था । उस विप्लव ने दोनों ही पक्षों को सोचने और अपने-अपने निष्कर्ष निकालने के लिए विवश भी कर दिया था । अंग्रेज़ों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि भारतीयों की साम्प्रदायिक एकता और राष्ट्रीयता की भावना अंग्रेज़ी साम्राज्य के लिए खतरनाक होगी; अतः उनमें परस्पर फूट डालकर वैमनस्य की भावना भरने की नीति पर चलना होगा । भारतीयों ने विप्लव.. के परिणामों से यह निष्कर्ष प्राप्त किया था कि अंग्रेज़ों को भारत से बेदखल करने के लिए शस्त्र ही पर्याप्त नहीं हैं, शास्त्र भी जरूरी हैं । लिहाजा नई पीढ़ी को भारतीय संस्कारों और राष्ट्रीय भावनाओं से परिपूरित करने के लिए अपनी भाषा में मिलने वाली शिक्षा की आवश्यकता है ।
76. ‘बेदखल’ का अर्थ है
(A) अधिकार च्युत
(B) अधिकार युक्त
(C) जला देना
(D) फूँक देना
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77. 1857 के विप्लव से अंग्रेज़ों ने क्या निष्कर्ष निकाला ?
(A) भारतीयों को आसानी से दबाया जा सकता है ।
(B) भारतीयों में फूट नहीं डाली जा सकती है ।
(C) भारतीयों की एकता और राष्ट्रीयता अंग्रेज़ों के लिए खतरा है ।
(D) भारतीयों के लिए सिर्फ शास्त्र ज़रूरी हैं ।
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78. राष्ट्रीय भावनाओं के विकास हेतु भारतीयों को क्या करना चाहिए ?
(A) अंग्रेज़ों के तौर तरीके अपनाने चाहिए ।
(B) अंग्रेज़ी भाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए ।
(C) अपनी भाषा में शिक्षा देनी चाहिए ।
(D) स्वाभिमान का विकास किया जाना चाहिए ।
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79. भारतीयों ने विप्लव से क्या सीखा ?
(A) अंग्रेज़ों से तर्क से जीता जा सकता है ।
(B) अंग्रेज़ों से कूटनीति से जीता जा सकता है ।
(C) अंग्रेज़ों से लड़ने की आवश्यकता नहीं है ।
(D) अंग्रेज़ों से जीतने हेतु शस्त्र के साथ शास्त्र भी ज़रूरी हैं ।
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80. अंग्रेज़ी साम्राज्य के लिए खतरनाक थी
(A) साम्प्रदायिक एकता और राष्ट्रीय भावना
(B) वैमनस्य की भावना
(C) फूट की भावना
(D) कटुता की भावना
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