MPPSC Pre Exam 2021 Paper II (CSAT) 25 July 2021 (Answer Key) | TheExamPillar
MPPSC Pre Exam Paper 2021 Answer Key

MPPSC Pre Exam 2021 Paper II (CSAT) 25 July 2021 (Answer Key)

निर्देश (प्रश्न सं. 81 से 85) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

गद्यांश-1

मेघदूत में कुबेर के शाप से निर्वासित एक विरही यक्ष की मनोव्यथा मार्मिक चित्रण ललित गेय मन्दाक्रान्ता छंद में किया गया है। इसके दो भाग हैं – पूर्वमेघ और उत्तरमेघ । पूर्वमेघ बाह्य प्रकृति का मनोरम चित्र है तो उत्तरमेघ अन्तः प्रकृति का अभिराम रूप। अपने कर्तव्य पालन में त्रुटि के कारण एक वर्ष के लिए निर्वासित यक्ष प्राणप्रिया से दूर रामगिरि आश्रम में किसी तरह दिन काट रहा है। आठ मास बीतने पर आषाढ़ मास में आकाश में उमड़ते मेघ को देखकर प्रेम की ज्वाला धधक उठती है और कामातुर यक्ष जड़ चेतन को समान मानते हए मेघ को ही दूत बनाकर प्रियतमा के पास भेजता है । वह रामगिरि से अलका पहुँचने का मार्ग बताते हुए अन्त में अपना संदेश सुनाता है । काव्य सौन्दर्य मेघदूत में किसी विरह विधुरा प्रेयसी के समीप मेघ को प्रेम का सन्देशवाहक बनाकर भेजने की कल्पना विश्व साहित्य में अपूर्व और हृदयाकर्षक है । वाल्मीकि रामायण में अशोक वाटिका में रावण द्वारा अपहृत सीता के पास हनुमान को भेजना और महाभारत में हंस के द्वारा दमयंती के हृदय में पुण्य श्लोक राजा नल के प्रति प्रणय भाव के प्रादुर्भाव की कमनीय कथा अवश्य ही कालिदास से प्राचीनतर है किन्तु किसी अचेतन वस्तु को प्रेम प्रसंग में दूत बनाकर भेजना कवि कुलगुरु कालिदास की नि:संदेह अद्भुत मौलिक कल्पना है।

81. यक्ष को शाप किसने दिया ?
(A) प्रियतमा ने

(B) मेघ ने
(C) विरही यक्ष ने
(D) कुबेर ने

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Answer – (D)

82. कर्त्तव्य पालन में त्रुटि के कारण कौन निर्वासित हुआ?
(A) कालिदास
(B) हंस
(C) प्रियतमा
(D) यक्ष

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Answer – (D)

83. कालिदास की मौलिक कल्पना क्या है ?
(A) हनुमान को दूत बनाकर भेजना
(B) हंस को दूत बनाकर भेजना
(C) अचेतन वस्तु को दूत बनाकर भेजना
(D) प्रेम प्रसंग का चित्रण करना

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Answer – (C)

84. ‘रामायण’ के रचयिता कौन हैं ?
(A) वेद व्यास
(B) वाल्मीकि
(C) तुलसीदास
(D) कालिदास

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Answer – (B)

85. अन्तः प्रकृति का अभिराम रूप किसमें है ?
(A) पूर्वमेघ में
(B) उत्तरमेघ में
(C) पूर्वमेघ और उत्तरमेघ दोनों में
(D) दोनों में से किसी में भी नहीं

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Answer – (B)

निर्देश (प्रश्न सं. 86 से 90) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

गद्यांश – 2

पृथ्वी के विभिन्न भागों में मानव जीवित रहने के लिए विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ करता है। इन्हीं आर्थिक क्रियाओं द्वारा पृथ्वी का अधिकांश भाग मूल रूप से परिवर्तित हो गया है। जिन भागों में पूर्व में सघन वनावरण था, वर्तमान में वहाँ कृषि पारिस्थितिक विकसित कर ली गई है तथा फसलें लहरा रही हैं या फिर औद्योगिक परिदृश्य विकसित हो गया है, जहाँ से प्रतिक्षण वृहत् कारखानों से प्रदूषित धुआँ वायुमण्डल में छोड़ा जा रहा है। मानव की आर्थिक क्रियाओं के बढ़ते संकेन्द्रण तथा बदलते स्वरूप के कारण विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का वितरण तथा गुणात्मक स्तर भी प्रभावित हुआ है। इस प्रकार प्रकृति में सर्वत्र मनुष्य द्वारा परिवर्तित क्षेत्र ही दिखाई दे रहा है । मनुष्य की संसाधनों के रूपांतरण तथा उपभोग की क्षमता उसके आर्थिक विकास के स्तर का मूल मापदण्ड है। अत: आर्थिक प्रदेशों में संसाधनों के प्रकार व उनके उपयोग की क्षमता को भी आधार माना जाता है।

86. सघन वनों ने किसका रूप धारण कर लिया ?
(A) कंक्रीट के जंगलों का
(B) राजप्रासादों का
(C) पर्वतांचलों का
(D) खेतों का

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Answer – (D)

87. औद्योगिक परिदृश्य के विकास के परिणामस्वरूप क्या हुआ ?
(A) आयु प्रदूषण
(B) हरित क्रान्ति
(C) उपभोग की क्षमता में वृद्धि
(D) समाजोन्नति

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Answer – (A)

88. मनुष्य के आर्थिक विकास के स्तर का मूल मापदण्ड क्या है ?
(A) कृषि कार्य
(B) संसाधनों का रूपांतरण तथा उपभोग की क्षमता
(C) बढ़ता प्रदूषण
(D) सामाजिक परिवर्तन

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Answer – (B)

89. आर्थिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप क्या हुआ ?
(A) समानता
(B) अर्थ हानि
(C) परिवर्तन
(D) वृक्षारोपण

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Answer – (C)

90. जीवित रहने के लिए मानव क्या करता है ?
(A) आर्थिक क्रियाएँ
(B) संकेन्द्रण
(C) संसाधनों का वितरण
(D) प्रदूषण

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Answer – (D)

निर्देश (प्रश्न सं. 91 से 95) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

गद्यांश – 3 

यदि शिक्षा अनिवार्य करनी हो या शिक्षा प्राप्ति की इच्छा रखने वाले सब लड़के-लड़कियों के लिए उसे सुलभ बनाना हो, तो हमारे स्कूल और कॉलेज पूरे नहीं तो करीब-करीब स्वावलम्बी हो जाने चाहिए । दान, राजकीय सहायता अथवा विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस के द्वारा भी उन्हें स्वावलम्बी बनाया जा सकता है, लेकिन यहाँ वैसा स्वावलम्बन इष्ट नहीं है । विद्यार्थियों को खुद कुछ ऐसा काम करते रहना चाहिए, जिससे आर्थिक प्राप्ति हो और इस तरह स्कूल तथा कॉलेज स्वावलम्बी बनें । औद्योगिक तालीम को अनिवार्य बनाकर ही ऐसा किया जा सकता है। विद्यार्थियों को साहित्यिक तालीम के साथ-साथ औद्योगिक तालीम भी मिलनी चाहिए, इस आवश्यकता के सिवा – और आजकल इस बात का महत्त्व अधिकाधिक स्वीकार किया जा रहा है – हमारे देश में तो औद्योगिक तालीम की आवश्यकता शिक्षा को स्वावलम्बी बनाने के लिए भी है। लेकिन यह तभी हो सकता है जब हमारे विद्यार्थी श्रम का गौरव अनुभव करना सीखें और हाथ-उद्योग के अज्ञान को समाज में अप्रतिष्ठा का चिह्न समझने का रिवाज पड़े।

91. किसके साथ औद्योगिक तालीम भी दी जानी चाहिए ?
(A) अनिवार्य शिक्षा के साथ
(B) कॉलेज शिक्षा के साथ
(C) साहित्यिक तालीम के साथ
(D) स्कूली शिक्षा के साथ

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Answer – (C)

92. औद्योगिक तालीम को अनिवार्य बनाकर क्या हो सकता है ?
(A) आर्थिक प्राप्ति
(B) स्कूल – कॉलेज का विस्तार
(C) निःशुल्क शिक्षा का विकास
(D) शिक्षा का प्रसार

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Answer – (A)

93. विद्यार्थियों के लिए क्या अनुभव करना सीखना आवश्यक है ?
(A) श्रम का गौरव
(B) स्कूली शिक्षा की अनिवार्यता
(C) साहित्यिक तालीम
(D) सामाजिक प्रतिष्ठा

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Answer – (A)

94. उपर्युक्त गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक है
(A) अनिवार्य शिक्षा
(B) विद्यार्थी और शिक्षा
(C) स्वावलम्बी शिक्षा
(D) शिक्षा का महत्त्व

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Answer – (C)

95. सबके लिए शिक्षा सुलभ करने हेतु स्कूल और कॉलेजों को बनाना होगा
(A) प्रतिष्ठित
(B) अनिवार्य
(C) निःशुल्क
(D) स्वावलम्बी

निर्देश (प्रश्न सं. 96 से 100) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

गद्यांश – 4

संस्मरण का माध्यम आत्मकथा से प्रेरित होने पर भी शिल्प में उससे भिन्न है । वस्तुत: अकाल्पनिक गद्य-वृत्तों की धारणा सबसे पहले संस्मरण को ही देखकर बनती है । जीवनी और आत्मकथा के साथ इतिहास का संबंध कुछ इस तरह जुड़ा रहा कि उनका साहित्यिक रूप बहुत बाद में विकसित हो पाया, पर संस्मरण आरंभ से ही सर्जनात्मक गद्य का उपयोग करता दिखाई पड़ता है और अपनी व्यापक प्रकृति के कारण विविध गद्य रूपों के बीच केन्द्रीय स्थिति में है । तीव्र भावात्मक गठन और गहरी सर्जनात्मक भाषा के परंपरित काव्य रूप जैसे – उपन्यास, माटक, कविता आधुनिक त्वरित संचार से उत्पन्न तनावों के युग में सब समय पाठक के लिए रुचिकर नहीं हो पाते । वैसी स्थिति में वह पत्रकारिता के विविध रूपों की ओर उन्मुख होता है जो अपनी प्रकृति में मूलतः सूचनात्मक और वस्तुपरक होते हैं । संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज जैसे नये गद्य रूप इन दोनों स्थितियों के बीच के अन्तराल में विकसित हुए हैं, और जैसा पहले संकेत किया गया, आधुनिक कला वृत्ति के अनुकूल स्वचेतनता और निवैयक्तिकता के विरोधी धुवों के बीच समतुलित क्षेत्र का विस्तार करते हैं।

96. अकाल्पनिक गद्य-वृतों की धारणा सबसे पहले किसे देखकर बनती है?
(A) संस्मरण
(B) आत्मकथा
(C) जीवनी
(D) इतिहास

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Answer – (A)

97. संस्मरण का माध्यम शिल्प में किससे भिन्न
(A) जीवनी से
(B) आत्मकथा से
(C) इतिहास से
(D) अकाल्पनिक गद्य-वृत्तों से

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Answer – (B)

98. आधुनिक त्वरित संचार से उत्पन्न तनावों के कारण पाठक किस ओर उन्मुख होता है ?
(A) संस्मरण की ओर
(B) आत्मकथा की ओर
(C) भाषा के परंपरित काव्य रूपों की ओर
(D) पत्रकारिता के विविध रूपों की ओर

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Answer – (D)

99. गहरी सर्जनात्मक भाषा के परंपरित काव्य रूप में क्या सम्मिलित नहीं है ?
(A) उपन्यास
(B) नाटक
(C) फीचर
(D) कविता

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Answer – (C)

100. सूचनात्मक और वस्तुपरक प्रकृति किसकी होती है ?
(A) संस्मरण और आत्मकथा की
(B) परंपरित काव्य रूपों की
(C) जीवनी और आत्मकथा की
(D) पत्रकारिता के विविध रूपों की

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Answer – (D)

 

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