उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के प्रमुख घटनाक्रम

उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन के प्रमुख घटनाक्रम 

  • 5 – 6 मई 1938  – श्रीनगर (गढ़वाल) में राष्ट्रीय कांग्रेस का विशेष अधिवेशन (अध्यक्ष – जवाहर लाल नेहरू) इस अधिवेशन में पहली बार पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग की गई थी।  
  • 1938 – पृथक राज्य हेतु गढ़देश सेवा संघ (हिमालय सेवा संघ) की स्थापना दिल्ली में श्रीदेव सुमन द्वारा।  
  • 1946 – हल्द्वानी में बद्रीदत्त पाण्डेय द्वारा उत्तरांचल के पर्वतीय भाग को विशेष वर्ग की बात कही गई साथ ही अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा द्वारा कुमाऊँ व गढ़वाल को अलग इकाई के रूप में गठन बात कही गई।   
  • 1950 – पर्वतीय विकास समिति द्वारा हिमाचल व उत्तराखंड के पर्वतीय भाग से वृहद हिमालय राज्य बनाने की मांग।  
  • 1957 – मानवेन्द्र शाह द्वारा पृथक राज्य हेतु आंदोलन (1967 में आंदोलन वापस ले लिया गया।)
  • 25 जून 1967 – रामनगर में पर्वतीय राज्य परिषद का गठन (अध्यक्ष – दया कृष्ण पाण्डेय) (कुछ परिवर्तन के साथ इसका पुनर्गठन 1973 में ‘पृथक पर्वतीय राज्य परिषद’)
  • 12 मई 1970 – इंदिरा गाँधी द्वारा पर्वतीय क्षेत्र के लिए पृथक प्रशासनिक इकाई का गठन किया गया।  
  • 3 अक्टूबर 1970 – भारतीय कमुयुनिस्ट पार्टी के महासचिव पी. सी. जोशी ने कुमाऊँ राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया।
  • 7 जून 1972  – उत्तरांचल परिषद का गठन नैनीताल में। (1973 में दिल्ली चलो का नारा (प्रताप सिंह नेगी के नेतृत्व में।)
  • 1976 – में उत्तराखंड युवा परिषद का गठन किया और 1978 में सदस्यों ने संसद का घेराव किया गया।  
  • 1979 – त्रेपन सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तराँचल राज्य परिषद की स्थापना की।
  • 1979 – उत्तराखंड क्रांति दल का गठन (पहला अध्यक्ष – देवी दत्त पंत) इसमें 8 पर्वतीय जिलों को मिलकर पृथक राज्य की मांग की गई। 
  • 1984 – ऑल इण्डिया स्टूडेंट फेडरेशन ने राज्य की मांग को लेकर गढ़वाल में 900 कि.मी. की साइकिल यात्रा के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाई।
  • 23 नवम्बर 1987 – उत्तराखंड क्रांति दल का विभाजन तथा हरिद्वार को पहली बार उत्तराखंड में शामिल करने की मांग (वोट क्लब पर प्रदर्शन)। 
  • 23 अप्रैल 1987 – उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने राज्य की मांग को लेकर संसद में एक पत्र बम फेंका
  • 1987 –  लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में अल्मोड़ा के पार्टी सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को स्वीकार किया।
  • 1988 – शोबन सिंह जीना की अध्यक्षता में ‘उत्तरांचल उत्थान परिषद’ का गठन किया।
  • जनवरी 1989 – सभी संगठनो ने संयुक्त आन्दोलन चलाने के लिए ‘उत्तराँचल संयुक्त संघर्ष समिति’ का गठन किया।
  • 1990 – जसवंत सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड क्रांति दल के विधायक के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा में पृथक राज्य का पहला प्रस्ताव रखा
  • 20 अगस्त 1991 – तत्कालीन प्रदेश सरकार ने पृथक उत्तराँचल का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास भेज दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया।
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  • जुलाई 1992 – उत्तराखंड क्रांतिदल ने पृथक राज्य के सम्बन्ध में एक दस्तावेज जारी किया तथा गैरसैण (चंद्रनगर नाम रखा) को प्रस्तावित राजधानी घोषित किया, इस दस्तावेज को उत्तराखंड क्रांतिदल का पहला ब्लू-प्रिंट माना गया।
  • जनवरी 1993 – रामशंकर कौशिक समिति का गठन यह समिति राज्य और राजधानी पर विचार हेतु बनी।  
  • मई 1994 – कौशिक समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे उत्तराखंड को पृथक राज्य और उसकी राजधानी गैरसैंण में बनाने की सिफारिश की गई।
  • 21 जुलाई 1993  – सरकार (मुलायम सिंह यादव) ने कौशिक समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया। इसमें 8 पहाड़ी जिलों को मिला कर पृथक राज्य बनाने का प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसहमति से पास कर केन्द्र सरकार को भेज दिया।
  • 1994 – 27 % आरक्षण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु।  (7 अगस्त को इंद्रमणि बडोनी द्वारा आमरण अनशन आरक्षण के विरोध में)
  • 1 सितम्बर, 1994 – खटीमा गोलीकांड, ऊधम सिंह नगर के खटीमा में पुलिस द्वारा छात्रों तथा पूर्व सैनिकों की रैली पर गोली चलने से 25 लोगों की मृत्यु हो गई।  
  • 2 सितम्बर, 1994 – मसूरी गोलीकांड, मसूरी में विरोध प्रकट करने के लिए आयोजित रैली में लोगों ने पी.ए.सी. (P.A.C) तथा पुलिस पर हमला कर दिया जिसमें 7 लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना से पुलिस उप-अधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी की मौत हो गई। इस घटना को मसूरी गोलीकांड के नाम से जाना जाता है।  
  • 2 अक्टूबर 1994 – रामपुर तिराहा कांड, (मुजफ्फरनगर काण्ड) दिल्ली रैली में जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहे मुजफ्फरनगर में पुलिस के कुछ लोगों द्वारा महिलाओं के साथ दुराचार किया और फायरिंग में 6 लोगों की मृत्यु हो गई।
    इस घटना को क्रूर शासक की क्रूर साजिश कहा गया।
  • 25 जनवरी 1995 – उत्तराँचल संघर्ष समिति ने उच्चतम न्यायालय से राष्ट्रिपति भवन तक ‘संविधान बचाओ यात्रा’ निकली।
  • 10 नवम्बर 1995 – श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू पर आमरण अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज से यशोधर बेजवाल और राजेश रावत की मृत्यु हो गई।
  • 15 अगस्त 1996 – तत्कालीन प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने उत्तराँचल राज्य के निर्माण की घोषणा की।
  • 27 जुलाई 2000 – उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 के नाम से लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।
  • 1 अगस्त 2000 – उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया।
  • 10 अगस्त 2000 – उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया।
  • 28 अगस्त 2000 – राष्ट्रपति के. आर. नारायण ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दे दी।
  • 9 नवम्बर 2000 – देश के 27वें राज्य के रूप में उत्तरांचल का गठन हुआ और जिसकी अस्थाई राजधानी को देहरादून बनाया गया। इसी दिन पहले अंतरिम मुख्यमंत्री के रूप में नित्यानंद स्वामी ने प्रथम मुख्यमंत्री का पद संभाला।
  • 29 दिसम्बर 2006 – उत्तरांचल राज्य के नाम परिवर्तन (उत्तराखंड रखने हेतु) की ‘आधिकारिक सूचना’ जारी की गई।
  • 1 जनवरी 2007 – उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
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Uttarakhand Current Affairs Jan - Feb 2023 (Hindi Language)
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