मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश – (सेन राजवंश) | ExamPillar
Sen Dynasty

मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश – (सेन राजवंश)

मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश

सेन राजवंश (Sen Dynasty)

पाल शासन के बाद सेन (Sen) परिवार ने बंगाल पर शासन किया। उसका संस्थापक सामंतसेन था जिसे ‘ब्रह्मक्षत्रिय’ कहा जाता था। ब्रह्मक्षत्रिय की उपाधि से लगता है कि सामंतसेन ब्राह्मण था, लेकिन उसके उत्तराधिकारियों ने स्वयं को सिर्फ क्षत्रिय कहा। सामंतसेन के पुत्र हेमंतसेन ने बंगाल की अस्थिर राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाते हुए एक स्वतंत्र राज्य बनाया।

 

विजय सेन (Vijay Sen)

  • हेमंतसेन के पुत्र विजयसेन ने 60 वर्ष के भी अपने लंबे शासनकाल में सेन परिवार को लोक प्रसिद्धी प्रदान की जीवन की ।
  • अपने शुरुआत एक साधारण सरदार के रूप में कर विजय ने लगभग समस्त बंगाल को जीता तथा इस परिवार की महानता की नींव डाली।
  • विजयसेन ने परमेश्वर, परमभट्टक, महाराजाधिराजा जैसी कई अन्य शाही उपाधियां धारण कीं। 
  • उसकी दो राजधानियां थीं – एक पश्चिम बंगाल में विजयपुरी तथा दूसरी, बांगलादेश विक्रमपुरा । 
  • प्रसिद्ध कवि श्री हर्ष ने उसकी स्मृति में विजय पशानि की रचना की।

बल्लाल सेन (Ballal Sen)

  • विजयसेन का उत्तराधिकारी उसका पुत्र बल्लालसेन था। 
  • बल्लालसेन का शासनकाल सामान्य तथा शांतिपूर्ण रहा तथा उसने अपने पिता से प्राप्त राज्य क्षेत्र को ज्यों का त्यों बचाए रखा। 
  • बल्लालसेन महान विद्वान था। 
  • बल्लालसेन ने चार पुस्तकें लिखीं जिनमें से दो ही अभी प्राप्त हैं। (दानसागर और अद्भुत सागर) । 
  • पहली पुस्तक शकुन – अपशकुन पर है जबकि दूसरी का विषय खगोल विषय है।

लक्ष्मण सेन (Laxman Sen)

  • वह 60 वर्ष की उम्र में 1179 ई० में अपने पिता का उत्तराधिकारी बना। 
  • अपने शासन काल के अंत में उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। आंतरिक विद्रोहों से कमजोर हुई सेन शक्ति को बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने ध्वस्त कर दिया। 
  • तबाकत-इ-नासिटी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण का विस्तृत विवरण मिलता है।
  • लक्ष्मण सेन का शासनकाल साहित्यिक गतिविधियों के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है। 
  • वह धर्मपरायण वैष्णव था। 
  • गीत गोविंद के लेखक तथा बंगाल के प्रसिद्ध वैष्णव कवि जयदेव उसके दरबार में रहते थे। 
  • पवनदूत के लेखक धोयी तथा आयशप्त के लेखक गोवर्धन अन्य प्रसिद्ध कवि थे, जो उसके दरबारी थे। 
  • स्वयं लक्ष्मण सेन ने अपने पिता द्वारा शुरू किए गए अद्भुत सागर नामक पुस्तक को पूर्ण किया। 
  • तबाकत-ई-नासिटी के अनुसार लक्ष्मण सेन के वंशज बंगाल के कुछ हिस्सों पर कुछ दिन तक शासन करते रहे।

 

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