श्रावस्ती जनपद का परिचय (Introduction of Shravasti District)
श्रावस्ती की स्थिति (Location of Shravasti)
- मुख्यालय – भिंगा
- पुराना नाम व उपनाम – सहेत-महेत नगर
- मंडल – देवीपाटन
- क्षेत्रफल – 1,640 वर्ग किमी
- सीमा रेखा
- पूर्व में – बलरामपुर
- पश्चिम में – बहराइच
- उत्तर में – नेपाल
- दक्षिण में – गोंडा
- राष्ट्रीय राजमार्ग – NH-730
- नदियाँ/ नहरें – राप्ती, सरयू , भाकला
- परियोजनाएँ – सरयू या घाघरा नहर
श्रावस्ती की प्रशासनिक परिचय (Administrative Introduction of Shravasti)
- विधानसभा क्षेत्र – 2 (भिनगा, श्रावस्ती)
- लोकसभा सीट – 1 (श्रावस्ती)
- तहसील – 3 (भिनगा, इकौना, जमुनहा)
- विकासखंड (ब्लाक) – 5 (हरिहरपुर रानी, सिरसिया, जमुनहा, इकौना, गिलौला)
- कुल ग्राम – 536
- कुल ग्राम पंचायत – 400
- नगर पालिका परिषद – 1 (भिनगा)
- नगर पंचायत – 1
श्रावस्ती की जनसंख्या (Population of Shravasti)
- जनसंख्या – 11,17,361
- पुरुष जनसंख्या – 5,93,897
- महिला जनसंख्या – 5,23,464
- शहरी जनसंख्या – 38,649 (3.46%)
- ग्रामीण जनसंख्या – 10,78,712 (96.54%)
- साक्षरता दर – 46.74%
- पुरुष साक्षरता – 57.16%
- महिला साक्षरता – 34.78%
- जनसंख्या घनत्व – 681
- लिंगानुपात – 881
- जनसंख्या वृद्धि दर – (Negative) – 5.02%
- हिन्दू जनसंख्या – 7,68,643 (68.79%)
- मुस्लिम जनसंख्या – 3,43,981 (30.79%)
Population Source – census2011.co.in
श्रावस्ती के संस्थान व प्रमुख स्थान (Institution & Prime Location of Shravasti)
- धार्मिक स्थान – विभूतीनाथ
- प्रसिद्ध स्थल –कच्ची कुटी, विपश्यना ध्यान केन्द्र, पक्की कुटी
- उद्योग – पेपर उद्योग, धातु उद्योग, लकड़ी उद्योग
- अभयारण्य – सुहेलदेव वन्यजीव
Notes –
- श्रावस्ती जनपद का गठन दिनांक 22 मई, 1997 को हुआ था, दिनांक 13 जनवरी 2004 को शासन द्वारा इस जनपद का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया था। पुनः माह जून 2004 को यह जनपद अस्तित्व मे आया है।
- बोद्ध ग्रंथो के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नामक एक ऋषि यहाँ रहते थे, जिनके नाम के आधार पर इस नगर का नाम श्रावस्त पड़ गया था।
- महाभारत के अनुसार श्रावस्ती नाम श्रावस्त नाम के एक राजा के नाम पड़ गया।
- ब्राह्मण साहित्य, महाकाव्यों एवं पुराणों के अनुसार श्रावस्त का नामकरण श्रावस्त या श्रावास्तक के नाम के आधार पर हुआ था।
- श्रावस्ती के प्राचीन इतिहास को प्रकार्ण मे लाने के लिए प्रथम प्रयास जनरल कनिघम ने किया।
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