Gujadu Movement

गुजडू आन्दोलन (Gujadu Movement)

गुजडू आन्दोलन (Gujadu Movement)

गुजडू दक्षिण गढ़वाल का एक ग्रामीण इलाका है। यहाँ कांग्रेस को संगठित किया जाता था तथा आन्दोलन में भाग लेने वाले स्वयं सेवको की भर्ती के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान था। यह ‘गढ़वाल की बारदोली’ के रूप में भी विख्यात था।

यहाँ की जनता ने राम प्रसाद नौटियाल के नेतृत्व में आन्दोलन में भाग लिया था। राम प्रसाद नौटियाल सेना से पद छोड़ने के बाद गुजडू में आकर यहाँ की जनता की कठिनाइयों को दूर करने का प्रयत्न करने लगे और जनता को आर्थिक स्वावलम्बी बनाने व राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संगठित करना प्रारम्भ कर दिया। 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में यह क्षेत्र सत्याग्रहियों तथा स्वयं सेवकों के उत्पादन केन्द्र के रूप में कांग्रेस का गढ़ बन गया था।

सल्ट, दक्षिणी गढ़वाल में कुमाऊँ गढ़वाल का सीमावर्ती क्षेत्र था जो उस समय भूमिगत आन्दोलनकारियों का केन्द्र बन गया था। सरकार ने दक्षिणी क्षेत्र के भूमिगत आन्दोलन को कुचलने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों व सशस्त्र पुलिस की एक टुकड़ी गुजडू भेजी। पुलिसकर्मियों ने गुजडू तक मार्ग में पड़ने वाले खाटली और इड़ियाकोट गाँवों में प्रवेश कर भूमिगत कांग्रेसी नेताओं का भेद जानने के उद्देश्य से ग्रामीण जनता पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया। किन्तु जनता ने फिर भी भूमिगत नेताओं का भेद पुलिस को नहीं दिया। अन्त में पुलिस को कठोर दमनात्मक कार्यवाही से जनता को कोई कष्ट न मिले इसलिए भूमिगत नेता थान सिंह, गीताराम पोखरियाल, डबल सिंह, छवाण सिंह आदि कार्यकत्र्ताओं ने गुजडू को छोड़कर दिल्ली में भैरवदत्त धूलिया के करोलबाग स्थित निवास में शरण ली। प्रवासी व्यक्तियों और उनके संगठनों के साथ इन कार्यकर्ताओं ने गढ़वाल की गतिविधियों के साथ सम्पर्क बनाये रखा। 8, नवम्बर 1942 को दीपावली के अवसर पर पुलिस ने भैरवदत्त धुलिया के निवास स्थान को घेरकर इन सभी को गिरफ्तार कर लिया। सभी आन्दोलनकारियों को लैन्सडौन लाया गया। जहाँ इन पर मुकदमा चला।

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