मानसूनी वर्षा के प्रारंभ होते ही देश के 4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की चिंताएँ बढ़ने लगती हैं। पता नहीं कब नदी में उफान आ जाए और उनके गाढ़े पसीने की कमाई पानी में बह जाए। अन्य सभी विपदाओं की तुलना में बाढ़ से जान-माल को सबसे अधिक हानि होती है।
बाढ़ क्या है?
ऐसे भूमि क्षेत्र में वर्षा या किन्हीं अन्य जल स्रोतों के जल का भर जाना जिसमें सामान्यतः पानी नहीं भरता है, बाढ़ कहलाता है। दूसरे शब्दों में नदी के तटों को तोड़कर या उनके ऊपर से होकर जल का चारों ओर फैल जाना ही बाढ़ है।
बाढ़ के कारण
भारत में बाढ़ आने के निम्नलिखित कारण हैं: –
- भारी वर्षा – नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में होने वाली भारी वर्षा के कारण अतिरिक्त जल तेज प्रवाह के साथ बहता है जिससे बाढ़ आती है।
- नदियों में अवसादों का जमा होना – नदियों की धारा क्षेत्र में अवसादों के जमा होने से वे छिछली हो जाती हैं। ऐसी नदियों की जल प्रवाह की क्षमता घट जाती है। भारी वर्षा का पानी किनारों के ऊपर से बहने लगता है।
- वनों का विनाश – वनस्पति वर्षा जल को बहने से रोककर भूमि में रिसने को बाध्य करती है। वनस्पति के विनाश से भूमि नंगी हो जाती है और वर्षा का पानी बेरोक-टोक तेज गति से नदियों में पहुंच कर बाढ़ का कारण बनता है।
- चक्रवात – चक्रवातों के कारण उठी ऊंची-ऊंची लहरें समुद्री जल को तटवर्ती । क्षेत्रों में फैला देती है। अक्तूबर 1999 के चक्रवात के कारण आई बाढ़ ने उड़ीसा में भारी तबाही मचाई थी।
- अपवाह तंत्र से छेड़छाड़ – बिना सोचे-समझे सड़कों, रेलमार्गों, नहरों आदि के निर्माण से प्राकृतिक अपवाह तंत्र अवरुद्ध होकर बाढ़ का कारण बनता है।
- नदियों का मार्ग परिवर्तन – नदियों के मोड़ और उनके मार्ग परिवर्तन से भी बाढ़ आती है।
- सुनामी (भूकंपीय ऊंची समुद्री लहर) – तटवर्ती क्षेत्रों को दूर-दूर तक जल मग्न कर देती है।
बाढ़ से हानि
नदियों में आई बाढ़ की मार मनुष्य और पशुओं दोनों को झेलनी पड़ती है। बाढ़ से लोग बेघर हो जाते हैं। मकान ढह जाते हैं। उद्योग धन्धे चौपट हो जाते हैं। फसलें पानी में डूब जाती हैं। बेजुबान पालतू पशु और वन्य जीव मर जाते हैं। तटवर्ती क्षेत्रों में मछुआरों की नावें, जाल आदि नष्ट हो जाते हैं। मलेरिया, दस्त जैसी बीमारियां फैल जाती हैं। पेय जल प्रदूषित हो जाता है तथा कभी-कभी उसकी भारी कमी हो जाती है। खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं और बाहर से आपूर्ति कठिन हो जाती है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
देश का लगभग 4 करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रवण है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग आठवां भाग है। सबसे अधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्र सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र की द्रोणियों में ही है। राज्यों की दृष्टि से बाढ़ प्रवण राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम हैं। इनके बाद हरियाणा, पंजाब और आंध्रप्रदेश का स्थान है। अब तो राजस्थान और गुजरात में भी बाढ़ आती है। कर्नाटक और महाराष्ट्र भी बाढ़ से अछूते नहीं हैं।
बाढ़ रोकने के उपाय
- संग्रहण जलाशय – नदियों के मार्गों में संग्रहण जलाशयों के निर्माण से अतिरिक्त पानी को उनमें रोका जा सकता है लेकिन अब तक किए गए उपाय कारगर सिद्ध नहीं हुए हैं। दामोदर नदी की बाढ़ रोकने के लिए बनाए गए बाध उसकी बाढ़ों को नहीं रोक पाए हैं।
- तटबंध – नदियों के किनारों पर तटबंध बनाकर पाश्र्ववर्ती क्षेत्रों में फैलने वाले बाढ़ के पानी को रोका जा सकता है। दिल्ली में यमुना पर बने तटबंधों का निर्माण बाढ़ रोकने में कारगर सिद्ध हुआ है।
- वृक्षारोपण – नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में यदि वृक्षारोपण किया जाए तो बाढ़ के प्रकोपों को काफी कम किया जा सकता है।
- प्राकृतिक अपवाह तंत्र की पुनस्र्थापना – सड़कों, नहरों, रेलमार्गों आदि के निर्माण से अवरूद्ध प्राकृतिक अपवाह तंत्र को पुनः चालू करने से भी बाढ़े रोकी जा सकती हैं।
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