Economic Survey 2018-19

आर्थिक समीक्षा 2018 -19 (Economic Survey 2018-19)

समावेशी वृद्धि के लिए भारत में न्‍यूनतम वेतन प्रणाली पुनर्निर्धारण

  • समीक्षा में कामगारों की रक्षा और गरीबी के उन्‍मूलन के लिए बेहतर तरीके से निर्मित न्‍यूनतम वेतन प्रणाली की पेशकश की है।
  • भारत की मौजूदा न्‍यूनतम वेतन प्रणाली में सभी राज्‍यों में विभिन्‍न अनुसूचित रोजगार श्रेणियों के लिए 1,915 न्‍यूनतम वेतन हैं।
  • भारत में प्रत्‍येक तीन में से एक दिहाड़ी मजदूर न्‍यूनतम वेतन कानून के द्वारा सुरक्षित नहीं है।
  • समीक्षा न्‍यूनतम वेतन को तर्कसंगत बनाये जाने का समर्थन करती है, जैसा कि वेतन संबंधी संहिता विधेयक के अंतर्गत प्रस्‍तावित किया गया है।
  • समीक्षा द्वारा सभी रोजगारों/कामगारों के लिए न्‍यूनतम वेतन का प्रस्‍ताव किया गया है।
  • केन्‍द्र सरकार द्वारा पांच भौगोलिक क्षेत्रों में पृथक ‘नेशनल फ्लोर मिनिमम वेज’ अधिसूचित किया जाना चाहिए।
  • राज्‍यों द्वारा न्‍यूनतम वेतन ‘फ्लोर वेज’  से कम स्‍तरों पर निर्धारित नहीं होना चाहिए।
  • न्‍यूनतम वेतन या तो कौशलों के आधार पर या भौगोलिक क्षेत्र अथवा दोनों आधारों पर अधिसूचित किये जा सकते हैं।
  • समीक्षा प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करते हुए न्‍यूनतम वेतन प्रणाली को सरल और कार्यान्‍वयन योग्‍य बनाने का प्रस्‍ताव करती है।
  • समीक्षा में न्‍यूनतम वेतन के बारे में नियमित अधिसूचनाओं के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल लेवल डैशबोर्ड’ का प्रस्‍ताव किया गया है।
  • टोल फ्री नम्‍बर वैधानिक न्‍यूनतम वेतन का भुगतान न होने पर पर शिकायत दर्ज कराने के लिए।
  • ज्‍यादा लचीले और सतत आर्थिक विकास के लिए एक समावेशी व्‍यवस्‍था के रूप में प्रभावी न्‍यूनतम वेतन नीति।

2018-19 में अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति : एक व्‍यापक दृष्टि

  • 2018-19 में भारत अब भी तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍था है।
  • जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 प्रतिशत की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 प्रतिशत हुई।
  • 2018-19 में मुद्रास्‍फीति की दर 3.4 प्रतिशत तक सीमित रही।
  • सकल अग्रिम के प्रतिशत के रूप में फंसे हुए कर्ज दिसम्‍बर, 2018 के अंत में घटकर 10.1 प्रतिशत रह गये, जोकि मार्च 2018 में 11.5 प्रतिशत थे।
  • 2017-18 के बाद से निवेश की वृद्धि में सुधार हो रहा है :
    • स्थिर निवेश में वृद्धि दर 2016-17 में 8.3 प्रतिशत से बढ़कर अगले साल 9.3 प्रतिशत और उससे अगले साल 2018-19 में 10.0 प्रतिशत हो गई।
  •  चालू खाता घाटा जीडीपी के 2.1 प्रतिशत पर समायोजित करने योग्‍य है।
  • केन्‍द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 3.4 प्रतिशत रह गया।
  • निजी निवेश में वृद्धि और खपत में तेजी से 2019-20 में वृद्धि दर में बढ़ोतरी होने की संभावना है।

राजकोषीय घटनाक्रम

  • जीडीपी के 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे और 44.5 प्रतिशत (अनंतिम) के ऋण-जीडीपी अनुपात के साथ वित्त वर्ष 2018-19 का समापन
  • जीडीपी के प्रतिशत के अनुसार, वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 के अनंतिम अनुमान में केन्द्र सरकार के कुल परिव्‍यय में 0.3 प्रतिशत की कमी:
    • राजस्‍व व्‍यय में 0.4 प्रतिशत की कमी और पूंजीगत व्‍यय में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि
  •  वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान में राज्‍यों के स्‍वयं के कर और गैर-कर राजस्‍व में उल्‍लेखनीय वृद्धि और वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में इसके इसी स्‍तर पर बरकरार रहने की परिकल्‍पना की गई है।
  • सामान्‍य सरकार (केन्‍द्र और राज्‍य) राजकोषीय सुदृढ़ीकरण और राजकोषीय अनुशासन की राह पर।

संशोधित राजकोषीय सुदृढ़ीकरण मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2020-21 तक जीडीपी के 3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे और वर्ष 2024-25 तक जीडीपी के 40 प्रतिशत केन्‍द्र सरकार ऋण को प्राप्‍त करने की परिकल्‍पना की गई है।

मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता  

  • एनपीए अनुपात में कमी आने से बैंकिंग प्रणाली बेहतर हुई।
  • दिवाला और दिवालियापन संहिता से बड़ी मात्रा में फंसे कर्जों का समाधान हुआ और व्यापार संस्कृति बेहतर हुई।
  • 31 मार्च, 2019 तक सीआईआरपी के तहत 1,73,359 करोड़ रुपये के दावे वाले 94 मामलों का समाधान हुआ।
  • 28 फरवरी, 2019 तक 2.84 लाख करोड़ रुपये के 6079 मामले वापस ले लिये गए।
  • आरबीआई की रिपोर्ट की अनुसार फंसे कर्ज वाले खातों से बैंकों ने 50,000 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
  • अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपयों को गैर-मानक से मानक परिसंपत्तियों में अपग्रेड किया गया।
  • बैंचमार्क नीति दर पहले 50 बीपीएस बढ़ाई गई और फिर पिछले वर्ष बाद में 75 बीपीएस घटा दी गई।
  • सितंबर, 2018 से तरलता स्थिति कमजोर रही और सरकारी बॉन्डों पर इसका असर दिखा।
  • एनबीएफसी क्षेत्र में दबाव और पूंजी बाजार से प्राप्त किए जाने वाले इक्विटी वित्त उपलब्धता में कमी के कारण वित्तीय प्रवाह संकुचित रहा।
  • 2018-19 के दौरान सार्वजनिक इक्विटी जारी करने के माध्यम से पूंजी निर्माण में 81 प्रतिशत की कमी आई।
  • एनबीएफसी के ऋण विकास दर में मार्च, 2018 के 30 प्रतिशत की तुलना में मार्च, 2019 में 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।   

मूल्य और महंगाई दर

  • सीपीआईसी पर आधारित महंगाई दर में लगातार 5वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई। पिछले 2 वर्षों से यह 4 प्रतिशत से कम रही है।
  • उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) आधारित खाद्य मुद्रा स्फ्रीति में भी लगातार 5वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई और ये पिछले 2वर्षों के दौरान 2 प्रतिशत से भी कम रही है।
  • सीपीआई-सी आधारित महंगाई दर (सीपीआई में खाद्यान्न और ईंधन छोड़कर) 2017-18 की तुलना में 2018-19 में हुई वृद्धि के बाद मार्च, 2019 से कम हो रही है।
  • 2018-19 के दौरान सीपीआई-सी आधारित महंगाई दर के मुख्य कारक हैं आवास, ईंधन व अन्य। मुख्य महंगाई दर के निर्धारण में सेवा क्षेत्र का महत्व बढ़ा है।
  • 2017-18 की तुलना में 2018-19 के दौरान सीपीआई ग्रामीण महंगाई दर में कमी आई है। हालांकि सीपीआई शहरी महंगाई दर में 2018-19 के दौरान थोड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। 2018-19 के दौरान कई राज्यों में सीपीआई महंगाई दर में कमी आई है।        

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