भूकंप क्या है?
सामान्य शब्दों में धरातल का अचानक कांपने लगना या हिल उठना ही भूकंप (Earthquake) है। अधिकतर भूकंप हल्के से कंपन के रूप में आते हैं। लेकिन बड़े या विनाशकारी भूकंप प्रायः हल्के झटकों के साथ शुरू होते हैं और फिर झटकों की तीव्रता बढ़ती जाती है तथा उसके बाद झटकों की तीव्रता कम होती जाती है। झटकों की अवधि प्रायः कुछ सेकेंडों में ही होती है।
तीव्र भूकंप की आशंका वाले क्षेत्र
भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंप के विभिन्न तीव्रताओं वाले क्षेत्रों का मानचित्र बनाया है। इसका संशोधित संस्करण सन् 2002 में प्रकाशित किया गया था। भूकंपों की तीव्रता में भिन्नता के आधार पर संपूर्ण भारत को चार क्षेत्रों में बांटा गया है। प्रत्येक क्षेत्र की तीव्रता और भूकंप से होने वाली हानियों का विवरण नीचे दिया गया है।
क्षेत्र I (Zone I) – जहां को खतरा नहीं है।
क्षेत्र II (Zone II) – जहां कम खतरा है।
क्षेत्र III (Zone III) – जहां औसत खतरा है।
क्षेत्र IV (Zone IV) – जहां अधिक खतरा है।
क्षेत्र V (Zone V) – जहां बहुत अधिक खतरा है।
दिल्ली और मुबंई अधिक खतरे वाले क्षेत्र सं. IV में स्थित हैं। संपूर्ण उत्तर-पूर्वी भारत, कच्छ, गुजरात, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर के कुछ भाग अत्यधिक खतरे वाले क्षेत्र संख्या-V में शामिल हैं। अब प्रायद्वीपीय पठार भी भूकंपों से अछूता नहीं रहा है। महाराष्ट्र राज्य के लाटूर (1993, रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 6.4) तथा कोयना (1967, तीव्रता 6.5) के भूकंप इस बात के प्रमाण ।
भूकम्प का प्रभाव
- संपत्ति की हानि – भूकंप आने से इमारते ध्वस्त हो जाते हैं। धरातल के नीचे बनी पाइपलाइनें और रेल की पटरियां टूट जाती हैं या बरबाद हो जाती हैं। नदियों पर बने बांध ढह जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप आई बाढ़ बहुत विनाशकारी होती है। दक्षिण भारत में आये 1967 के भूकम्प में कोयना बांध क्षतिग्रस्त हुआ था।
- जनहानि – भूकंप के कुछ सेकेंड के झटके हजारों लोगों की जाने ले लेता है। भारत में सन 1988 और 26 जनवरी 2001 के मध्य आए पाँच बड़े भूकंप में लगभग 31000 लोग अकाल मौत के शिकार हुए।
- नदियों का मार्ग परिवर्तन – भूकंप के प्रभाव से कभी-कभी नदियों के मार्ग अवरूद्ध हो जाते या मार्ग परिवर्तित हो जाते हैं।
- सुनामी – भूकंप के कारण समुद्र में एक ऊंची तरंग उठती है। इसे ही जापान में सुनामी कहते हैं। यह कभी 20-25 मीटर तक ऊंची हो जाती है। यह सागर तट की बस्तियों को लील जाती है। जहाजों को डुबो देती है। 27 दिसम्बर 2004 को सुमात्रा, इन्डोनेशिया के निकट महासागर में जन्मे भूकंप से बनी सुनामी से दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों के तटवर्ती क्षेत्रों में अरबों रूपयों की संपत्ति नष्ट हो गई। दो लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई।
- कीचड़ के फव्वारे – भीषण भूकंपों के कारण धरातल पर गरम पानी और कीचड़ के फव्वारे फूट पड़ते हैं। 1934 ई. के बिहार के भूकंप के समय धरातल में बनी दरारों से कीचड़ ऐसे निकल रही थी, मानों पिचकारी से जलधारा फूट रही हो। किसानों के हरे भरे खेत घुटनों-घुटनों तक कीचड़ में दब गए थे।
- दरारें फूटना – सड़कों, रेलमार्गों और खेतों में कभी-कभी दरारें पड़ जाती हैं, जिससे वे बेकार हो जाते हैं। सैन फ्रांसिस्को (कैलेफोर्निया) के भूकंप के दौरान सैन एण्ड्रियास भ्रंश का निर्माण हुआ था।
- अन्य प्रभाव – भूस्खलन और हिमस्खलन होने लगता है। ग्लेशियर के हिमखंड टूटकर तेजी से फिसलने लगते हैं।
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