नेटवर्किंग के लाभ (Advantages of Networking)
नेटवर्विंग के निम्नलिखित लाभ हैं।
- साधनों का साझा (Resources Sharing) हम नेटवर्क के किसी भी कम्प्यूटर से जुड़े हुए साधन का उपयोग नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों पर कार्य करते हुए कर सकते हैं। उदाहरण के लिए- यदि किसी कम्प्यूटर के साथ लेजर प्रिण्टर जुड़ा हुआ है, तो नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों से उस प्रिण्टर पर कोई भी सामग्री छापी जा सकती है।
- डेटा का तीव्र सम्प्रेषण (Rapidly Transmission of Data) कम्प्यटरों के नेटवर्किंग से दो कम्प्यूटरों के बीच सूचना का आदान-प्रदान तीव्र तथा सुरक्षित रूप से होता है। इससे कार्य की गति तेज होती है और समय की बचत होती है।
- विश्वसनीयता (Reliability) नेटवर्किंग में किसी फाइल की दो या अधिक प्रतियाँ अलग-अलग कम्प्यूटरों पर स्टोर की जा सकती है। यदि किसी कारणवश एक कम्प्यूटर खराब या असफल हो जाता है, तो वह डेटा दूसरे कम्प्यूटरों से प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार नेटवर्क के कम्प्यूटर एक-दूसरे के लिए बैकअप का कार्य भी कर सकते हैं। जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
पर्सनल एरिया नेटवर्क (Personal Area Network-PAN)
ये बहुत छोटी दूरी के लिए उपयोग होने वाला नेटवर्क है, जिसकी क्षमता कम दूरी पर उपस्थित एक या दो व्यक्तियों तक होती है। उदाहरण के लिए ब्लूटुथ, वायरलैस, यू एस बी आदि पैन के उदाहरण है।
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network – VPN)
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक प्रकार का नेटवर्क है जो किसी प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि किसी कम्पनी के आन्तरिक नेटवर्क (Internal Network) से जुड़ने के लिए इण्टरनेट का प्रयोग करके बनाया जाता है।
यह आजकल का एक तेजी से प्रसारित होने वाला नेटवर्क हैं, जिसका प्रयोग बड़ी-बड़ी संस्थाओं में तेजी से बढ़ा है। ये नेटवर्क आभासी भी हैं और निजी भी, निजी इसलिए क्योंकि इस नेटवर्क में किसी संस्था की निजता की पूरी गारण्टी होती है तथा आभासी इसलिए, क्योंकि यह नेटवर्क वैन का प्रयोग नहीं करता है।
लैन, मैन और वैन में अन्तर (Differences between LAN, MAN and WAN) |
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लैन |
मैन |
वैन |
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दूरी | सीमित (आम तौर पर 2,500 मीटर तक की दूरी के लिए) | सीमित (आम तौर पर 200 किलोमीटर एक असीमित की दूरी क लिए) | |
गति | अधिक (आम तौर पर 1000 एमबीपीएस तक) | अधिक (आम तौर पर 100 से 1000 एमबीपीएस तक) | निम्न (आम तौर पर 10 से 100 एमबीपीएस तक) |
मीडिया | ट्विस्टिड पेयर केंबल फाइबर ऑप्टिकल केबल, कोएक्सीयल केबल | ट्विस्टिड पेयर केबल फाइबर ऑप्टिकल केबल | ट्विस्टिड पेयर केबल्स, कोएक्सियल केबल, फाइबर ऑप्टिकल केबल, उपग्रह को शामिल करने के लिए वायरलैस |
नोड्स | कोई भी हो सकते हैं, किन्तु अधिकतर डेस्कटॉप होते हैं। | कोई भी हो सकते हैं, किन्तु अधिकतर डेस्कटॉप तथा मिनी कम्प्यूटर होते हैं। | कोई भी हो सकते हैं, किन्तु अधिकतर डेस्कटॉप कम्प्यूटर होते हैं। |
नेटवर्किंग युक्तियाँ (Networking Devices)
सिग्नल्स की वास्तविक शक्ति को बढ़ाने के लिए नेटवर्किग युक्तियों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त नेटवर्क युक्तियों का प्रयोग दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता है। कुछ प्रमुख नेटवर्किंग युक्तियाँ निम्न हैं।
1. रिपीटर (Repeater)
रिपीटर ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं जो निम्न स्तर (Low level) के सिग्नल्स को प्राप्त (Receive) करके उन्हें उच्च स्तर का बनाकर वापस भेजते हैं। इस प्रकार सिग्नल्स लम्बी दूरियों को बिना बाधा के तय कर सकते हैं। रिपीटर्स का प्रयोग कमजोर पड़ चुके सिग्नल्स एवं उनसे | होने वाली समस्याओं से बचाता है।
रिपीटर्स का प्रयोग नेटवर्क में कम्प्यूटरों को एक-दूसरे से जोड़ने वाले केबल की लम्बाई बढ़ाने में किया जाता है। इनकी उपयोगिता सर्वाधिक उस समय होती है, जब कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के लिए काफी लम्बी केबल की आवश्यकता होती है।
2. हब (Hub)
हब का प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है जहाँ नेटवर्क की सारी केबल मिलती है। ये एक प्रकार का रिपीटर होता है जिसमें नेटवर्क चैनलों को जोड़ने के लिए पोट्र्स लगे होते हैं। आमतौर पर एक हब में 4, 8, 16, अथवा 24 पोर्ट लगे होते हैं। इसके अतिरिक्त हब पर प्रत्येक पोर्ट के लिए एक इण्डीकेटर लाइट (लाइट एमिटिंग डॉयोड-LED) लगी होती है।
जब पोर्ट से जुड़ा कम्प्यूटर ऑन होता है तब लाइट जलती रहती है। हब में कम्प्यूटरों को जोड़ना अथवा हबों को आपस में जोड़ना या हटाना बहुत सरल होता है। एक बड़े हब में करीबन 24 कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता है। इससे अधिक कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त हब का प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया (दो यो अधिक हबों को आपस में जोड़ना) को डेजी चेनिंग कहते हैं।
3. गेटवे (Gateway)
गेटवे एक ऐसी युक्ति है, जिसका प्रयोग दो विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकाल को जोड़ने के काम आता है। इन्हें प्रोटोकॉल परिवर्तक (Protocol converters) भी कहते हैं। ये फायरवॉल की तरह कार्य करते हैं।
4. स्विच (Switch)
स्विच वे हार्डवेयर होते हैं जो विभिन्न कम्प्यूटरों को एक लैन (LAN) में जोड़ते हैं। स्विच को हब के स्थान पर उपयोग किया जाता है। हब तथा स्विच के मध्य एक महत्वपूर्ण अन्तर यह है, कि हब स्वयं तक आने वाले डेटा को अपने प्रत्येक पोर्ट पर भेजता है, जबकि स्विच स्वयं तक आने वाले डेटा को केवल उसके गन्तव्य स्थान (Destination) तक भेजता है।
5. राउटर (Router)
राउटर का प्रयोग नेटवर्क में डेटा को कहीं भी भेजने में करते हैं, इस प्रक्रिया को राउटिंग कहते हैं। राउटर एक जंक्शन की तरह कार्य करते हैं। बड़े नेटवर्को में एक से अधिक रूट होते हैं, जिनके जरिए सूचनाएँ अपने गन्तव्य स्थान तक पहुँच सकती है। ऐसे में राउटर्स ये तय करते हैं, कि किसी सूचना को किस रास्ते से उसके गन्तव्य तक पहुँचाना है। राउटिंग स्विच (Routing Switch) ऐसे स्विच, जिनमें राउटर जैसी विशेषताएँ होती हैं, राउटिंग स्विच कहलाते हैं।
राउटिंग स्विच नेटवर्क के किसी कम्प्यूटर तक भेजी जाने वाली सूचनाओं को पहचान कर, उन्हें रास्ता दिखाते हैं। राउटिंग स्विच, सूचनाओं को सबसे सही रास्ता खोजकर उनके गन्तव्य स्थान तक पहुँचाता हैं।
7. ब्रिज (Bridge)
ब्रिज छोटे नेटवर्को को आपस में जोड़ने के काम आते हैं, ताकि ये आपस में जुड़कर एक बड़े नेटवर्क की तरह काम कर सकें। ब्रिज एक बड़े या व्यस्त नेटवर्क को छोटे हिस्सों में बाँटने का भी कार्य करता है।
व्यस्त नेटवर्क को तब बाँटा जाता है जब नेटवर्क के एक हिस्से को बाकी हिस्सों से अलग रखा जाना हो।
8. मॉडेम (Modem)
मॉडेम एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में तथा डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलता है। एक मॉडेम को हमेशा एक टेलीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर के मध्य लगाया जाता है।
डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को मोड्यूलेशन तथा एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को डीमोड्यूलेशन कहते हैं।
सर्वर (Server)
सर्वर वह कम्प्यूटर होता है, जो इण्टरनेट का प्रयोग करने वालों अर्थात् उपयोगकर्ता को सूचनाएँ प्रदान करने की क्षमता रखता है। यह नेटवर्क का सबसे प्रमुख तथा केन्द्रीय कम्प्यूटर होता हैं। नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटर सर्वर से जुड़े होते हैं। सर्वर क्षमता और गति की दृष्टि से अन्य सभी कम्प्यूटरो से श्रेष्ट होता है और प्रायः नेटवर्क का अधिकांश अथवा समस्त डेटा सर्वर पर ही रखा जाता है।
नोड (Node)
सर्वर के अलावा नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटरों को नोड कहा जाता है। ये वे कम्प्यूटर होते हैं, जिन पर उपयोगकर्ता कार्य करते हैं। प्रत्येक नोड का एक निश्चित नाम और पहचान होती है। कई नोड अधिक शक्तिशाली होते हैं। ऐसे नोडों को प्रायः वर्कस्टेशन (Workstation) कहा जाता है। नोडों को प्रायः क्लाइंट (Client) भी कहा जाता है।
प्रोटोकॉल (Protocol)
वह प्रणाली, जो सम्पूर्ण संचार-प्रक्रिया में विविध डिवाइसों के मध्य सामंजस्य स्थापित करती है, प्रोटोकॉल कहलाती है। प्रोटोकॉल की उपस्थिति में ही डेटा तथा सूचनाओं को प्रेक्षक से लेकर प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क का आधार भी प्रोटोकॉल ही है।
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