निर्देश : नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न सं० 106 से 114) के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
उत्तर भारत के संत कवि कबीर और दक्षिण भारत के संत कवि तिरुवल्लुवर के समय में लगभग दो हज़ार वर्ष का अंतराल है किंतु इन दोनों महाकविर्यों के जीवन में अद्भुत साम्य पाया जाता है। दोनों के माता-पिता ने जन्म देकर इन्हें त्याग दिया था, दोनों का लालन-पालन निस्संतान दंपतियों ने बड़े स्नेह और जतन से किया। था। व्यवसाय से दोनों जुलाहे थे। दोनों ने सात्विक गृहस्थ जीवन की साधना की थी।
तिरुवल्लुवर का प्रामाणिक जीवन-वृत्तांत प्राप्त नहीं होता। प्रायः उन्हें चेन्नई के निकट मइलापुर गाँव का जुलाहा माना जाता है किंतु कुछ लोगों के अनुसार वे राजा एल्लाल के शासन में एक बड़े पदाधिकारी थे और उन्हें वैसा ही सम्मान प्राप्त था जैसा चंद्रगुप्त के शासनकाल में चाणक्य को। उनके बारे में अनेक दंतकथाएँ प्रचलित हैं। जैसे कहा जाता है कि एक संन्यासी नारी जाति से घृणा करता था। उसका विश्वास था कि स्त्रियाँ बुराई की जड़ हैं और उनके साथ ईश्वर-भक्ति हो ही नहीं सकती। तिरुवल्लुवर ने बड़े आदर से उसे अपने घर बुलाया। दो दिन उनके परिवार में रहकर संन्यासी के विचार ही बदल गए। उसने कहा, “यदि तिरुवल्लुवर और उनकी पत्नी जैसी जोड़ी हो तो गृहस्थ जीवन ही श्रेष्ठ है।”
कबीर के दोहों की भाँति तिरुवल्लुवर ने भी छोटे छंद में कविता रची जिसे ‘कुरल’ कहा जाता है। कुरों का संग्रह ‘तिरुक्कुरल’ उनका एकमात्र ग्रंथ है। तिरुक्कुरल को तमिल भाषा का वेद माना जाता है। इसका प्रत्येक कुरल एक सूक्ति है और ये सूक्तियाँ सभी धर्मों का सार हैं। संपूर्ण मानवजाति को शुभ के लिए प्रेरित करना ही इसका उद्देश्य प्रतीत होता है। जैसे धर्म के बारे में दो कुरलों का आशय है :
- भद्र पुरुषो! पवित्र मानव होना ही धर्म है। स्वच्छ मन वाले बनो और देखो तुम उन्नति के शिखर पर कहाँ-से-कहाँ पहुँच जाते हो।
- झूठ न बोलने के गुण को ग्रहण करो तो किसी अन्य धर्म की आवश्यकता ही न रहेगी।
16. यदि कबीर का समय पंद्रहवीं शताब्दी ईसवी है तो तिरुवल्लुवर का समय होगा :
(1) लगभग पहली सदी ईसवी
(2) लगभग 1500 वर्ष ई० पू०
(3) लगभग 1000 वर्ष ई० पू०
(4) लगभग 500 वर्ष ई० पू०
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17. तिरुवल्लुवर के अनुसार श्रेष्ठ धर्म है :
(1) किसी अन्य धर्म की आवश्यकता न रहना
(2) ईश्वर में आस्था होना
(3) मन से पवित्र होना
(4) मंदिरों में जाना
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18. ‘तमिल’ किस देश-प्रदेश की भाषा है?
(1) कर्नाटक
(2) श्रीलंका
(3) तमिलनाडु
(4) केरल
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19. जो संबंध चंद्रगुप्त का चाणक्य से था वही संबंध :
(1) तिरुवल्लुवर का एल्लाल से था
(2) चाणक्य का चंद्रगुप्त से था
(3) चंद्रगुप्त का एल्लाल से था
(4) एल्लाल का तिरुवल्लुवर से था
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20. तिरुवल्लुवर और कबीर में साम्य के बिंदु हैं :
(क) जन्म के बाद माता-पिता के द्वारा त्याग देना
(ख) एक-से छंद में कविता करना
(ग) जुलाहे का व्यवसाय करना
(घ) नारी जाति से घृणा करना
सही विकल्प को चुनिए।
(1) (क) तथा (ख)
(2) (क), (ख) तथा (ग)
(3) (क), (ख) तथा (घ)
(4) (ख) तथा (ग)
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21. नारी जाति से घृणा करने वाले संन्यासी के विचार तिरुवल्लुवर ने कैसे बदले?
(1) उसका स्वागत-सत्कार करके
(2) सुंदर उपदेश देकर
(3) अपनी रचनाएँ सुनाकर
(4) अपनी गृहस्थी का साक्षी बनाकर
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22. ‘ईश्वर-भक्ति’ शब्द का विग्रह और समास होगा :
(1) ईश्वर की भक्ति करता हो जो बहुव्रीहि
(2) ईश्वर और भक्ति–द्वंद्व
(3) ईश्वर की भक्ति–तत्पुरुष
(4) ईश्वर रूपी भक्ति कर्मधारय
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23. किसी धर्म की आवश्यकता कब नहीं रह जाती?
(1) ईश्वर की शरण माँग लेने पर
(2) नास्तिक हो जाने पर
(3) धर्म पर विश्वास न होने पर
(4) झूठ को त्याग देने पर
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24. ‘स्नेह’ और ‘जतन’ शब्द क्रमशः हैं :
(1) आगत और तद्भव
(2) तत्सम और तद्भव
(3) तद्भव और देशज
(4) देशज और आगत
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निर्देश : नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न सं० 25 से 30) के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है मैं अकिंचन
किंतु फिर भी कर रहा इतना निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।
माँ मुझे बलिदान का वरदान दे दो
तोड़ती हैं मोह का बंधन क्षमा दो
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो
और बाएँ हाथ में ध्वज को थमा दो।
सुमन अर्पित चमन अर्पित
नीड़ का कण-कण समर्पित
चाहता हूँ, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें।
25. ‘माँ’ संबोधन किसके लिए है?
(1) देवी दुर्गा के लिए
(2) जननी के लिए
(3) पृथ्वी के लिए
(4) मातृभूमि के लिए
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26. कवि निवेदन कर रहा है कि :
(1) उस पर दया की जाए
(2) उसे ऋण चुकाने का अवसर मिले
(3) वह मूल्यवान थाल में माथा सजाकर लाए
(4) उसके जीवनदान को स्वीकार किया जाए
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27. नीड़ का कण-कण समर्पित’ कथन में नीड़’ का आशय है :
(1) महल
(2) तिनके
(3) घर-परिवार
(4) झोंपड़ी
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28. “चाहता है, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दें” –
कथन में कुछ और से तात्पर्य है कि कुछ ऐसा दिया जाए जो :
(1) थाल में दी जाने वाली भेंट से अच्छा हो
(2) ऋण चुकाने से बढ़कर हो
(3) बलिदान से भी बढ़कर हो
(4) ब्याज चुकाने से बेहतर हो
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29. ‘अकिंचन’ का अर्थ है :
(1) अति निर्धन
(2) ऋणी
(3) बेसहारा
(4) परमदुखी
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30. ‘बलिदान’ शब्द से बना विशेषण है :
(1) बलिदानी
(2) प्रबल दानी
(3) बलवान
(4) आत्मबलि
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