Chalukya Ruler of Kalyani

कल्याणी के चालुक्य शासक (Chalukya Ruler of Kalyani)

कल्याणी के चालुक्य शासक
(Chalukya Ruler of Kalyani)

तैल II (Tail II)

  • तैल II ने अपना जीवन राष्ट्रकूट राजा कृष्ण III केस के रूप में प्रारंभ किया था, परन्तु शीघ्र ही उसने राष्ट्रकट राजा करक्का II को मारकर अपने को मुक्त कर लिया। 
  • वह गुजरात छोड पूरे राष्ट्रकूट राज्य का मालिक बन गया। 
  • तैल II ने परमार राज्य पर 6 बार आक्रमण किए परन्तु प्रत्येक बार मुंज उसे वापस खदेड देता था। 
  • जब मुंज ने चालुक्य राज्य पर आक्रमण किया तो तैल ने उसे पराजित कर मार डाला। 
  • तैल की राजधानी मान्यखेत थी।  
  • तैल के बाद उनका पुत्र सत्यसराया ने शासन किया। 

विक्रमादित्य V (Vikramaditya V)

  • सत्यसराया के बाद उनका भतीजा विक्रमादित्य V आया जिसने 6 सालों तक शासन किया। 
  • इसके शासन की एकमात्र महत्त्वपूर्ण घटना राजेन्द्र चोल का आक्रमण था।

जयसिम्हा II (Jaysimha II)

  • जयसिम्हा II ने अपने पूर्वजों के समय चोलों को हारे क्षेत्र पर पुनः कब्जा करने का प्रयास किया। 

सोमेश्वर I (Someshwar I)

  • सोमेश्वर I के गद्दी पर आते ही कल्याणी के चालुक्यों के इतिहास का वह गौरवपूर्ण काल प्रारंभ हुआ जो उनके पुत्र विक्रमादित्य VI के समय अपने शीर्ष पर पहुंचा। 
  • सोमेश्वर I का काल चोलों से संघर्ष से भरा रहा। 
  • इन्होंने राजधानी मान्यखेत से कल्याणी स्थानान्तरित की तथा इसके अनेक नए भवनों का सजाया। 
  • गद्दी पर आते ही सोमेश्वर ने वेंगी पर आक्रमण किया।
  • इन्होंने उत्तरी कोंकण पर विजय प्राप्त कर गुजरात तथा मालवा पर भी आक्रमण किया तथा परमार राज भोज की राजधानी धार पर आक्रमण कर उन्हें पराजित किया। 
  • सोमेश्वर I के चार पर थे जिनमें से उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र सोमेश्वर II को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।

सोमेश्वर II (Someshwar II)

  • इनके आठ साल के छोटे शासन काल में इनके तथा इनके भाई विक्रमादित्य VI के बीच संघर्ष होता रहा। 
  • अन्ततः विक्रमादित्य ने अपने बड़े भाई की हत्या कर 1076 में गद्दी पर अधिकार कर लिया। 

विक्रमादित्य VI (Vikramaditya VI)

  • इन्हें भी अपने छोटे भाई जयसिम्हा के विद्रोह का सामना करना पड़ा जो अन्तत: विफल रहा। 
  • विक्रमादित्य के शासनकाल में चार होयशाल प्रधान हुए – विनयादित्य, इरेयांगा, बल्लाल I तथा विष्णुवर्धन। 
  • विक्रमादित्य का राज्य उत्तर में नर्मदा तक तथा दक्षिण में तुमकुर तथा कोद्दापाह जिला तक था। 
  • 50 सालों का इसका लम्बा शासनकाल कला तथा साहित्य के क्षेत्र में भी विकास का समय था। 

सोमेश्वर III (Someshwar III)

  • विक्रमादित्य के बाद गद्दी पर सोमेश्वर III आए जिनके शासनकाल में चालुक्य राज्य बिखरने लगा। 
  • होयशाल सामंत विष्णुवर्धन ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी तथा पश्चिमी चालुक्य राज्य के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया। 
  • सोमेश्वर III अभिलाषीतर्पचिन्तामणि अथवा मनासोल्लासा  विश्वकोष के रचियता थे तथा इस कारण इन्हें सर्वज्ञ भी कहा जाता था।

बाद के शासक

  • सोमेश्वर के पुत्र जगदेकामाल्ल तथा तैल III के समय कालचुरियों की शत्रुता के कारण चालुक्य राज्य टूट गया। 
  • तैल के पुत्र सोमेश्वर IV ने कुछ समय तक राज्य को सम्भाल लिया परन्तु यादव राजा भिल्लामा ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया। 
  • इसके साथ ही कर्नाटक में चालुक्य शासन समाप्त हो गया तथा यहां अब तुंगभद्रा के ऊपर यादवों का तथा उसके नीचे होयशालों का राज्य था।

 

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