हरिद्वार ( Haridwar) जनपद का संक्षिप्त परिचय

December 7, 2018
Haridwar Map
Image Source – https://haridwar.nic.in

हरिद्वार (Haridwar)

  • मुख्यालय – हरिद्वार 
  • अक्षांश – 29°57′ अक्षांश से 31°02′ उत्तरी अक्षांश
  • देशांतर – 77°35′ देशांतर से 79°20′ पूर्वी देशांतर 
  • उपनाम –  मायानगरी, कपिला, गंगाधर
  • अस्तित्व – 28 दिसम्बर, 1988
  • क्षेत्रफल –  2360 वर्ग किमी.
  • वन क्षेत्रफल –  वर्ग किमी.
  • तहसील – 4 (हरिद्वार, रूड़की, भगवानपुर, लक्सर) 
  • विकासखंड – 6 (बहादराबाद, भगवानपुर, रूड़की, नारसन, लक्सर, खानपुर) 
  • ग्राम – 643
  • ग्राम पंचायत – 308
  • न्याय पंचायत – 46 
  • नगर पंचायत – 2 (झबरेडा, लंढोरा) 
  • नगर निगम – 2 (रूडकी, हरिद्वार) 
  • जनसंख्या – 18,90,422
    • पुरुष जनसंख्या – 10,05,295
    • महिला जनसंख्या – 8,85,127
  • शहरी जनसंख्या –  6,93,094 
  • ग्रामीण जनसंख्या – 11,97,328 
  • साक्षरता दर –  73.43%
    • पुरुष साक्षरता –  81.04% 
    • महिला साक्षरता –  64.79% 

 

  • जनसंख्या घनत्व – 801 
  • लिंगानुपात – 880 
  • जनसंख्या वृद्धि दर – 30.63% 
  • प्रसिद्ध मन्दिर – चंडीदेवी, मंशादेवी, मायादेवी, रतिप्रिया, श्रध्दादेवी  
  • प्रसिद्ध मेले, त्यौहार एवं उत्सव –  कुम्भ मेला, पिरान कलियर
  • प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – हर की पौड़ी, मायादेवी , मंशादेवी, भारतमाता, पिरान कलियर, दक्षेश्वर, वैष्णोमाता, बिलकेश्वर 
  • जल विद्धुत परियोजनायें – पथरी परियोजना, मोहम्मदपुर परियोजना  
  • राष्ट्रीय उद्यान – राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, झिलमिल ताल कन्जर्वेशन, मोतीचूर रिज़र्व  
  • सीमा रेखा
  • राष्ट्रीय राजमार्ग – NH-74, NH-58  
  • विश्वविद्यालय – 4 (उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, भारतीय प्रोधोगिकी संस्थान रूडकी) 
  • संस्थान – केन्द्रीय बिल्डिंग रिसर्च संस्थान, आई.आई.टी. रुड़की, पतंजलि विश्‍वविद्यालय, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
  • विधानसभा क्षेत्र – 11 (हरिद्वार, हरिद्वार ग्रामीण, भेल, रुड़की, पिरान कलियर, मंगलौर, ज्वालापुर (अनुसूचित जाति), झबरेड़ा (अनुसूचित जाति), लक्सर, खानपुर, भगवानपुर (अनुसूचित जाति))   
  • लोकसभा सीट – 1 (हरिद्वार लोकसभा) 
  • नदी – गंगा 

Source – https://haridwar.nic.in

इतिहास

प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग, हरिद्वार भारतीय संस्कृति और सभ्यता की बहुरूपदर्शिका प्रस्तुत करता है। हरिद्वार को ‘ईश्वर का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है जिसे मायापुरी, कपिला, गंगाधर के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव के अनुयायी और भगवान विष्णु के अनुयायी इसे क्रमशः हरद्वार और हरिद्वार नाम से उच्चारण करते हैं। जैसा की कुछ लोगो ने बताया है की यह देवभूमि चार धाम अर्थात बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के प्रवेश के लिए एक केन्द्र बिंदु है।

कहा जाता है कि महान राजा भगीरथ गंगा नदी को अपने पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी तक लाये है। यह भी कहा जाता है कि हरिद्वार को तीन देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश | कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर की पैड़ी के ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना पैर प्रिंट किया है, जहां पवित्र गंगा हर समय उसे छूती है। भक्तों का मानना है कि वे हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते हैं।

हरिद्वार चार स्थानों में से एक है; जहां हर छह साल बाद अर्ध कुंभ और हर बारह वर्ष बाद कुंभ मेला होता है। ऐसा कहा जाता है कि अमृत की बुँदे हर की पैड़ी के ब्रम्हकुंड में गिरती हैं इसलिए माना जाता है कि इस विशेष दिन में ब्रहमकुंड में किया स्नान बहुत शुभ है। प्राचीनतम जीवित शहरों में से एक होने के नाते, हरिद्वार प्राचीन हिंदू शास्त्रों में भी अपना उल्लेख पाता है जिसका समय बुद्ध से लेकर हाल ही के ब्रिटिश आगमन तक फैलता है। हरिद्वार कला, विज्ञान और संस्कृति को सीखने के लिए विश्व के आकर्षण का केन्द्र भी बनता हैं। हरिद्वार की आयुर्वेदिक दवाओं और हर्बल उपचारों के साथ ही अपनी अनूठी गुरुकुल विद्यालय, प्राकृतिक सुंदरता और हरियाली के लिए भी एक आकर्षण का केन्द्र है।

गंगा नदी की पहाड़ो से मैदान तक की यात्रा में हरिद्वार पहले प्रमुख शहरों में से एक है और यही कारण है कि यहां पानी साफ और शांत है। हरे भरे जंगल और छोटे तालाब इस पवित्र भूमि को प्राकृतिक सुंदरता से जोड़ते हैं। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान हरिद्वार से सिर्फ 10 किमी दूर है। जंगली जीवन और रोमांच प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थल है। प्रतिदिन सांय हरिद्वार के सभी प्रमुख घाट गंगा नदी की आरती की पवित्र ध्वनि एवं दीपकों के दिव्य प्रकाश से प्रदीप्त होते हैं।

आज हरिद्वार का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह एक आधुनिक सभ्यता का मंदिर भी है। भेल एक नवरत्न पीएसयू एवं 2034 एकड़ के कुल क्षेत्र में फैला सिडकुल जिसके तहत हरिद्वार में स्थापित इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल एस्टेट(आईआईई) में अनेक उद्योग स्थापित हैं। साथ ही इससे पहले रूड़की विश्वविद्यालय विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विश्व स्तर का पुराना और प्रतिष्ठित संस्थान है। जिले का एक अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय अर्थात गुरूकुल अपने विशाल परिसर के साथ पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा दे रहे हैं।

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