Daily Editorial - Adani vs Hindenburg

अडानी बनाम हिंडनबर्ग विवाद (Adani vs Hindenburg)

हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) और भारत के अडानी समूह (Adani Group) के बीच पिछले 18 महीनों से चल रहे विवाद ने हाल ही में एक नया मोड़ लिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च, जो एक अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म है, ने आरोप लगाया है कि भारत के बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) की प्रमुख, माधबी पुरी बुच, और उनके पति का इस मामले में हितों का टकराव हो सकता है। इस लेख में हम इस विवाद के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे, जिसमें गौतम अडानी का परिचय, हिंडनबर्ग के आरोप, और सेबी की प्रतिक्रिया शामिल है।

गौतम अडानी और हिंडनबर्ग रिसर्च कौन हैं?

गौतम अडानी:

गौतम अडानी ने एक छोटे व्यापारी के रूप में शुरुआत की और देखते ही देखते एक विशाल कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर लिया। गुजरात के रहने वाले अडानी, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं, और इस रिश्ते पर कई बार राजनीतिक बहस हुई है। अडानी ने बंदरगाहों, बिजली उत्पादन, हवाई अड्डों, खनन, नवीकरणीय ऊर्जा, मीडिया और सीमेंट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यवसाय किया है। एक समय अडानी, एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति भी बन गए थे।

हिंडनबर्ग रिसर्च:

हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय अनुसंधान कंपनी है, जिसे 2017 में नाथन एंडरसन द्वारा स्थापित किया गया था। यह कंपनी अपने फॉरेंसिक वित्तीय अनुसंधान के लिए जानी जाती है, जिसमें वह कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों का गहराई से अध्ययन करती है और किसी भी गड़बड़ी को उजागर करती है। हिंडनबर्ग अक्सर उन कंपनियों के खिलाफ शॉर्ट पोजीशन लेती है, जिनके बारे में वह मानती है कि वे वित्तीय अनियमितताओं में शामिल हैं।

हिंडनबर्ग के आरोप और अडानी समूह की प्रतिक्रिया

हिंडनबर्ग के आरोप:

पिछले साल, हिंडनबर्ग ने अडानी समूह की कंपनियों में शॉर्ट पोजीशन लेने की घोषणा की थी। इसने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें अडानी समूह पर टैक्स हैवन्स का गलत उपयोग करने और अत्यधिक ऋण स्तरों को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर किया गया था। हिंडनबर्ग का दावा था कि अडानी समूह ने अपने शेयरों की कीमत को बढ़ाने के लिए अपारदर्शी तरीकों का सहारा लिया।

अडानी समूह की प्रतिक्रिया:

अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को निराधार बताते हुए कहा कि यह आरोप केवल अटकलों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग का उद्देश्य केवल कंपनी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है और यह आरोप “अस्थिर अटकलें” हैं।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद की स्थिति

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जारी होने के बाद, अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में करीब $150 बिलियन की गिरावट आई। हालांकि, बाद में इन शेयरों में कुछ सुधार देखा गया, लेकिन यह सुधार अभी भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले के स्तर से लगभग $35 बिलियन कम है।
इस गिरावट के बाद, अडानी समूह ने अबू धाबी के इंटरनेशनल होल्डिंग और निवेश फर्म GQG जैसे निवेशकों का स्वागत किया, जिससे निवेशकों का भरोसा वापस लौटा। जुलाई 2024 में, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस ने $1 बिलियन जुटाकर शेयर बाजार में वापसी की, जिससे समूह के प्रति बाजार का विश्वास बढ़ा।

नवीनतम आरोप: सेबी प्रमुख पर हिंडनबर्ग का निशाना

हाल ही में, हिंडनबर्ग ने एक नई रिपोर्ट जारी की, जिसमें सेबी की प्रमुख, माधबी पुरी बुच, और उनके पति पर आरोप लगाया कि उन्होंने अडानी समूह से जुड़े ऑफशोर फंड्स में निवेश किया था।
हिंडनबर्ग का आरोप है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने 2015 में ग्लोबल अपॉर्च्युनिटी फंड के एक सब-फंड में निवेश किया और 2018 में इसे छोड़ दिया। यह वही फंड है जिसे अडानी समूह के शेयरों में व्यापार करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हिंडनबर्ग का दावा है कि सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में इसलिए देरी की क्योंकि इस कार्रवाई का संबंध सेबी की प्रमुख से हो सकता था।

बाजार पर प्रभाव:

इन आरोपों के बाद, अडानी समूह की 10 लिस्टेड कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में $11 बिलियन की गिरावट आई। इस घटना ने भारतीय शेयर बाजार को भी प्रभावित किया और निवेशकों के बीच चिंता बढ़ाई।

सेबी और माधबी पुरी बुच की प्रतिक्रिया

माधबी पुरी बुच ने एक बयान में कहा कि उनके और उनके पति के निवेश व्यक्तिगत थे और उन्होंने सेबी प्रमुख का पद संभालने से पहले ये निवेश किए थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने सभी आवश्यक खुलासे किए थे। इसके अलावा, जिस फंड में उन्होंने निवेश किया था, उसने भी बयान जारी कर कहा कि उसने अडानी समूह के किसी भी शेयर में निवेश नहीं किया था।

सेबी की प्रतिक्रिया:

सेबी ने भी एक बयान जारी कर निवेशकों से आग्रह किया कि वे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जैसे समाचारों पर प्रतिक्रिया देने से पहले सावधानी बरतें। सेबी ने यह भी जानकारी दी कि अडानी समूह के खिलाफ चल रही 24 में से 23 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और समूह की 6 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।

निष्कर्ष

हिंडनबर्ग और अडानी समूह के बीच का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है और इसने भारतीय वित्तीय बाजार में गहरी पैठ बना ली है। हिंडनबर्ग के आरोप और सेबी की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि इस मामले में अभी और भी खुलासे हो सकते हैं। निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने निवेश को लेकर सतर्क रहें और सही जानकारी के आधार पर ही निर्णय लें।

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