उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)
द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम
विषय | प्रश्नों की संख्या | अधिकतम अंक | समय अवधि |
कला (Art) | 200 | 200 | 03 घण्टे |
नोटः- लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।
परीक्षा पाठ्यक्रम (कला)
कला के मूलाधार : कला के तत्व • रेखा, रूप, रंग, तान, पोत, स्थान, आदि ।
संयोजन के सिद्धांत – एकरूपता, अनुरूपता, सन्तुलन प्रभाविता, लय, अनुपात ।
द्विआयामी एवं त्रिआयामी चित्रण, परिप्रेक्ष्य चित्रण
कलात्मक प्रक्रिया- अभिव्यक्ति, कल्पना, संवेदना, विषयवस्तु आदि ।
माध्यम और तकनीक – पेन्सिल, चारकोल, पेन, इंक, जल रंग, तैल रंग, ग्वाश, पेस्टल, म्यूरल, फेस्कों, टेम्परा, मोजाइक वाश तकनीकियां, और मिक्स मीडिया
प्राविधिक कला – अर्थ, परिभाषा, विशेषतायें । द्विआयामी एवं त्रिआयामी ठोस एवं सामान्य ज्यामितीय आकार, चित्रण औजार- पेन्सिल, स्केल्स, डिवाइडर, प्रोटेक्टर, कम्पास, टी-सक्वायर सेट- सक्वायर, अनियमित वक्र । त्रिभुज की परिभाषा और प्रकार समकोण, समबाहु, समद्विबाहु विषमबाहु त्रिभुज बनाने की विधियां । ज्यामितीय आकारों के गुण और पहचान।
भवन अनुरेखन, आकार, प्रकार, कलात्मक वास्तुकला अनुरेखन, आधार रूप । भवन और उसके घटकों के द्विआयामी एवं त्रिआयामी रूप का निर्माण करना। भवन के नींव (आधार) एवं मंजिल योजना के स्वरूप का कलात्मक निर्माण करना ।
कला का इतिहास : (चित्रकला एवं मूर्तिकला) भारतीय कला – प्रागैतिहासिक काल सिन्धु घाटी सभ्यता, मौर्य काल, गुप्त काल, अजन्ता, ऐलोरा एवं बाघ गुफाओं की कला, मुगल शैली, राजस्थानी शैली, उत्तराखण्ड शैली, पटना शैली, राजा रवि वर्मा, बंगाल शैली, काली घाट पेंटिग, पट्चित्रकला, प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप, कलकत्ता ग्रुप, मद्रास स्कुल, शिल्पी चक्र आदि, एवं स्वतंत्रता पश्चात् की समकालीन कला । इन्डो इस्लामिक स्थापत्य, मन्दिरों का स्थापत्य एवं मूर्तिकला |
लोक कला – उत्पत्ति, अर्थ, विकास। मधुबनी कला, रंगोली, थापा, मांडना, अल्पना, सांझी, गोदना ऐपण, कलमकारी,एवं उत्तराखंड की लोक संस्कृति और कला ।
पाश्चात्य कला – प्रागैतिहासिक कला मिस्र और मेसोपोटामिया की कला, कीट और इट्रस्कन कला, ग्रीक कला . रोमन कला, ईसाई कला, बाइजेन्टाइन कला, रोमनस्क कला, गोथिक कला, रीतिवाद, बारोक कला, रोकोको कला, स्वच्छन्दता वाद यथार्थ वाद, प्रभाववाद, अभिव्यक्तिवाद, घनवाद, फाववाद, अतियथार्थवाद, अमूर्तवाद, भविष्यवाद ।
सौन्दर्यशास्त्र : कला और सौन्दर्य – उत्पत्ति, अर्थ, परिभाषा, विशेषता, वर्गीकरण । षंडग, अलंकार, रस, ध्वनि, औचित्य आदि। कला और समाज, कला और परम्परा, कला और धर्म, कला और कल्पना, कला और अनुकृति, कला और सम्प्रेषण, कला और प्रतीक, कला और कलात्मकता, कला और मनोविज्ञान, सहजानुभूति, तदात्म्य, स्वप्न एवं अवास्तविक कल्पना, रूपवाद का सिद्धान्त । भारतीय और पाश्चात्य विद्वानों के अनुसार कला और सौन्दर्य ।