Indian Constitution Amendment

भारतीय संविधान संशोधन (Indian Constitution Amendment)

संविधान संशोधन
(Constitution Amendment)

भारतीय संविधान का संशोधन (Indian Constitution Amendment) भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा किये जाते हैं। संविधान संशोधन (Constitution Amendment) की प्रक्रिया का विवरण संविधान के अनुच्छेद 368, भाग XX में दिया गया है।

हालाँकि संसद संविधान के मूल ढाँचे से जुड़े प्रावधानों में संशोधन नहीं कर सकती है। मूल ढाँचे से जुड़े इस सिद्धांत को सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती वाद (वर्ष 1973) में प्रतिपादित किया था। भारतीय संविधान में अब तक 105 बार संशोधन किया जा चुका है जबकि संविधान संशोधन के लिए अब तक 127 बिल लाए जा चुके हैं।

संविधान संशोधन की प्रक्रिया

संविधान में संशोधन की तीन पद्धतियां हैं –

  1. साधारण बहुमत
  2. विशेष बहुमत द्वारा विशेष
  3. बहुमत तथा राज्यों का अनुसमर्थन।

साधारण बहुमत

संविधान में कतिपय अंश ऐसे हैं जिनको संसद केवल साधारण बहुमत से परिवर्तित कर सकती है। ऐसे उपबंध निम्नलिखित हैं –

  1. अनुच्छेद 2, 3 और 4 जो संसद को कानून द्वारा यह अधिकार दिलाते हैं कि वह नए राज्यों को प्रविष्ट कर सके, सीमा परिवर्तन द्वारा नए राज्यों का निर्माण कर सकें और तदनुसार प्रथम एवं चतुर्थ अनुसूची में परिवर्तन कर सकें।
  2. अनुच्छेद 73(2) जो संसद की किसी अन्य व्यवस्था के होने तक राज्य में कुछ सुनिश्चित शक्तियां निहित करता है।
  3. अनुच्छेद 100(3) जिसमें संसद की नई व्यवस्था के होने तक संसदीय गणपूर्ति का प्रावधान है।
  4. अनुच्छेद 75, 97, 125, 148, 165(5) तथा 221(2) जो द्वितीय अनुसूची में परिवर्तन की अनुमति देते है।
  5. अनुच्छेद 105(3) संसद द्वारा परिभाषित किए जाने पर संसदीय विशेषाधिकारों की व्यवस्था करता है।
  6. अनुच्छेद 106 जो संसद द्वारा पारित किए जाने पर संसद सदस्यों के वेतन एवं भत्तों की व्यवस्था करता है।
  7. अनुच्छेद 118(2) जो संसद के दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत किए जाने पर प्रक्रिया से संबंधित विधि की व्यवस्था करता है।
  8. अनुच्छेद 120(3) जो संसद द्वारा किसी नयी व्यवस्था के न किए जाने पर 15 वर्षो के उपरान्त अंग्रेजी को संसदीय भाषा के रूप में छोडने की व्यवस्था करता है।
  9. अनुच्छेद 124(1) जिसमें यह व्यवस्था है कि संसद द्वारा किसी व्यवस्था के न होने तक उच्चतम न्यायालय में सात न्यायाधीश होंगे।
  10. अनुच्छेद 133(3) जो संसद द्वारा नई व्यवस्था न किए जाने तक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के द्वारा उच्चतम न्यायालय को भेजी गई अपील को रोकता है।
  11. अनुच्छेद 135 जो संसद द्वारा किसी अन्य व्यवस्था को न किए जाने तक उच्चतम न्यायालय के लिए एक सुनिश्चित अधिकार खेत्र नियत करता है।
  12. अनुच्छेद 169(1) जो कुछ शर्तो के साथ विधान परिषदों को भंग करने की व्यवस्था करता है।

विशेष बहुमत

संविधान के अधिकांश उपबन्धों में संशोधन के समय संसद में विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। विशेष या विशिष्ट बहुमत से तात्पर्य यह है कि सदन की कुल सदस्य संख्या का साधारण बहुमत तथा उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत। विशेष बहुमत की आवश्यता संसद के दोनों सदनों में होती है।

विशेष बहुमत और राज्यों का अनुसमर्थन

संविधान के कुछ उपबन्ध ऐसे हैं, जिनमें संशोधन करने के लिए संसद के दानों सदनों के विशेष बहुमत के साथ – साथ कम से कम आधे राज्यों के विधानमण्डलों की स्वीकृति आवश्यक है। इससे संबंधित निम्न विषय हैं –

  1. अनुच्छेद – 54 राष्ट्रपति का निर्वाचन।
  2. अनुच्छेद – 55 राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रणाली।
  3. अनुच्छेद – 72 संघ की कार्यपालिका शक्ति की सीमा।
  4. अनुच्छेद – 162 संघ के राज्यों की कार्यपालिका शक्ति सीमा।
  5. अनुच्छेद – 241 केन्द्रशासित क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय।
  6. भाग 5 का अध्याय 4 – संघ की न्यायपालिका।
  7. भाग 6 का अध्याय 5 – राज्यों के उच्च न्यायपालिका।
  8. भाग 11 का अध्याय 1 – संघ और राज्यों के विधायी संबंध।
  9. अनुच्छेद – 368 संविधान में सेशोधन प्रक्रिया।

संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं

अनुच्छेद 368 के अधीन रहते हुए संविधान संशोधन विधेयक उसी प्रक्रिया के पारित किए जाते हैं। किन्तु यदि संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में विरोध है तो गतिरोध दुर करने हेतु संयूक्त बैठक का कोई प्रावधान नहीं है।

राष्ट्रपति संशोधन विधेयक पर अनुमति देने के लिए बाध्य है

अनुच्छेद 111 के अनुसार जब साधारण विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजे जाते हैं तो वह अनुमति न देकर उसे सदनों को पुनर्विचार करने के लिए लौटा सकता है किन्तु अनुच्छेद 368 के अन्तर्गत राष्ट्रपति संविधान संशोधन विधेयक पर अनुमति देने के लिए बाध्य है। न ही विधेयक प्रस्तुत करने से पूर्व राष्ट्रपति की पूर्वानुमति की आवश्यकता है।

संविधान संशोधन सूची

1st संविधान संशोधन (1951)

  • इसके भूमि सुधार तथा न्यायिक समीक्षा से जुड़े अन्य कानूनों को नौंवी अनुसूची में स्थान दिया गया।
  • इसके तहत सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को उन्नति के लिये विशेष उपबंध बनाने हेतु राज्यों को शक्तियाँ दी गई।

2nd संविधान संशोधन अधिनियम, 1952

  • अनुच्छेद 81 को संशोधित करके लोकसभा के एक सदस्य के निर्वाचन के लिए 7/12 लाख मतदाताओं की सीमा निर्धारित की गई और लोकसभा के लिए सदस्यों की संख्या 500 निश्चित की गई।

3th संविधान संशोधन अधिनियम, 1955  

  • निजी संपत्ति के अनविार्य अधिग्रहण के स्थान पर दिये जाने वाले भत्ते क्षतिपूर्ति की मात्रा को न्यायालयों की जाँच के दायरे से बाहर किया गया।
  • नौवीं अनुसूची में कुछ और कानून (अधिनियम) जोड़े गये।

6वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशो की संख्या में वृद्धि की गई तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने की आज्ञा दी गई।

7वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

  • यह संशोधन राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1965 को लागू करने के लिये किया गया था।
  • द्वितीय तथा सातवीं अनुसूची में संशोधन किया गया।
  • राज्यों के चार वर्गों की समाप्ति (भाग-क, भाग-ख, भाग-ग और भाग-घ) की गई और इनके स्थान पर 14 राज्यों एवं 6 संघ शासित प्रदेशों को स्वीकृति दी गई।
  • दो या दो से अधिक राज्यों के लिये एक कॉमन (उभय) उच्च न्यायालय की स्थापना की व्यवस्था (प्रावधान) की गई।
  • उच्च न्यायालय में अतिरिक्त एवं कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई।

9वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1960

  • भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच हुए समझौतों के अनुसरण में पाकिस्तान को कतिपय राज्य क्षेत्रों का हस्तांतरण करने की दृष्टि से यह संशोधन किया गया।
  • पश्चिम बंगाल में स्थित बेरूबारी संघराज्य क्षेत्र को भारत-पाक समझौते (1958) के तहत पाकिस्तान को सौंप दिया गया।

10वाँ संविधान संशाोधन अधिनियम, 1960

  • दादर और नागर हवेली के क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र में सम्मिलत कर उसे केंद्र शासित प्रदेश में शामिल कर लिया गया।

 11वाँ संशोधन अधिनियम, 1961

  • उपराष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया में बदलाव किए गए- इसमें संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की बजाय निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई।
  • राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को उपयुक्त निर्वाचक मंडल में रिक्तता के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती।

12वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • गोवा, दमन और दीव को एक संघ शासित प्रदेश के रूप में संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल किया गया।

13वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • नागालैण्ड को भारतीय संघ के 16 वें राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

14वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1962

  • पाण्डिचेरी के नाम से केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। लोकसभा मे संघ शासित प्रदेशों के स्थानों की संख्या 20 से बढ़ाकर 25 कर दी गई।

15वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1963

  • उच्च न्यायलयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से 62 वर्ष कर दी गयी।

 18वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1966

  • पंजाब का पुनर्गठन किया तथा हरियाणा नामक नया राज्य बनाया गया।

 21वाँ  संविधान संशोधन अधिनियम, 1967

  • सिंधी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

22वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1969

  • असम राज्य के अंतर्गत ‘मेघालय‘ का सृजन किया गया ।

24वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

  • संसद को यह शक्ति दी गई कि वह अनुच्छेद 13 और 368 में संशोधन कर मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
  • संविधान संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति को मंजूरी (अपनी स्वीकृति) देने के लिये बाध्य कर दिया गया।

25वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

  • संपत्ति के मौलिक अधिकार में कटौती की गई।

26वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

  • इसके तहत देशी राज्यों के भूतपूर्व नरेशों के विशेषाधिकारों तथा प्रिवीपर्स की सुविधाओं को समाप्त कर दिया गया।

27वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1971

  • इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरूणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में स्थापित किया गया।

31वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1973

  • लोकसभा में निर्वाचित सीटों की संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई।

35वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1975

  • सिक्किम को दिये गये संरक्षित राज्य के दर्जे को समाप्त किया गया तथा उसे भारतीय संघ के एक सह-राज्य का दर्जा दिया गया।
  • दसवीं अनुसूची को जोड़ा गया तथा उसमें सिक्किम को भारतीय संघ में शामिल करने संबंधी नियम एवं शर्ते स्पष्ट की गईं।

36वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1975

  • सिक्किम को भारतीय संघ का 22वां राज्य बनाकर दसवीं अनुसूची को समाप्त कर दिया गया।

38वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1975

  • राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषाणा को गैर-वादयोग्य बना दिया गया।
  • राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासकों द्वारा जारी अध्यादेशों को गैर-वाद योग्य घोषित किया गया।
  • राष्ट्रपति को विभिन्न आधारों पर राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा करने की शक्तियाँ दी गई।

42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976

  • यह संविधान संशोधन अब तक किए गए संविधान संशोधनों में सबसे व्यापक संशोधन है। इसे लघु संविधान  कहा गया है।
  • यह संविधान संशोधन स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए किया गया था।
  • इस संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘प्रभुत्वसंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य’ शब्दों के स्थान पर ‘प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ शब्द और ‘राष्ट्र की एकता’ शब्दों के स्थान राष्ट्र की एकता और अखंडता शब्द रखे गए।
  • लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल में 5 से 6 वर्ष की बढ़ोतरी की गई।
  • इस अधिनियम द्वारा अनुच्छेद-356 को संशोधित करके किसी भी राज्य में राष्ट्रपति द्वारा प्रशासन की अवधि, एक समय में एक वर्ष से घटाकर 6 महीने कर दी गई।
  • तीन नये नीति-निदेशक तत्व जोड़े गए ये हैं – समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता, उद्योगों के प्रबंधन में कर्मकारों की सहभागिता, पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण करना।
  • पाँच विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में भेजा गया। ये हैं – शिक्षा, वन, वन्यजीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, नापतौल एवं न्याय प्रशासन, उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों को छोड़कर अन्य सभी न्यायालयों का गठन एवं संगठन
  • संसद एवं राज्य विधानसभाओं से कोरम की आवश्यकता की समाप्ति की गई।

44वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1978

  • लोक सभा तथा राज्य विधान सभाओं के वास्तविक कार्यकाल को पुनःस्थापित कर दिया गया (अर्थात् पुनः 5 वर्ष कर दिया गया।)
  • संसद एवं राज्य विधानमंडलों में कोरम की व्यवस्था को पूर्ववत रखा गया।
  • कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिये एक बार लौटाने/ वापस भेजने की राष्ट्रपति को शक्तियाँ दी गई। परंतु पुनर्विचारित सलाह को राष्ट्रपति को मानने के लिये बाध्य कर दिया गया।
  • राष्ट्रीय आपात के संदर्भ में ‘आंतरिक अशांति’ शब्द के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द को रखा गया।
  • राष्ट्रपति द्वारा कैबिनेट की लिखित सिफारिश के आधार ही राष्ट्रीय आपात की घोषणा करने की व्यवस्था की गई।
  • अनुच्छेद 20 तथा 21 द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान निलंबित नहीं किये जा सकने की व्यवस्था की गई।

50वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1984

  • इसके द्वारा अनुच्छेद 33 में संशोधन कर सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य करने वालों के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने, देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से संबंधित दायित्व भी दिए गए. साथ ही, इस सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्यपालन हेतु संसद को कानून बनाने के अधिकार भी दिए गए।

 52वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1985

  • संसद तथा विधानमंडलों के सदस्यों को दल-बदल के आधार पर अयोग्य ठहराने की व्यवस्था की गई तथा इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी के लिये एक नई अनुसूची (दसवीं अनुसूची) जोड़ी गई।

56वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1987

  • गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करके, दमन और दीव को पृथक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। इस संशोधन द्वारा गोवा राज्य की विधान सभा में 30 (तीस) सदस्यों की संख्या को निर्धारित किया गया।

58वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1987

  • इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया (अनुच्छेद 394) ।

 59वाँ संविधान संशोधन अधिनिमय, 1988

  • अनुच्छेद-356 का संशोधन करके यह नियम बनाया गया कि आपात की अवधि 6-6 महीने करके तीन वर्ष तक बढ़ायी जा सकती है।

 61वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1989

  • अनुच्छेद-326 में संशोधन करके मताधिकार की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।

 65वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1990

  • अनुच्छेद-338 को संशोधित करके अनुसूचति जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई।

 69वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1991

  • केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली को विशेष दर्जा देते हुए उसे ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ बनाया गया।
  • दिल्ली के लिये 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिपरिषद की व्यवस्था भी की गई।

 71वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। इसके साथ ही अनुसूचित भाषाओं की संख्या 18 हो गई।

 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • संविधान में एक नया भाग-9 तथा ग्यारहवी अनुसूची को जोड़ा गया।
  • पंचायती राज व्यव्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया।
  • इस अधिनियम में पंचायतों के गठन, संरचना निर्वाचन सदस्यों की अर्हताएं, पंचायतों के अधिकार एवं शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों का प्रावधान हैं।

 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992

  • संविधान में एक नया भाग- 9(A) तथा 12वीं अनुसूची जोड़ी गई थी।
  • नगरीय स्वायत्त संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
  • इस अधिनियम के अधीन नगरपालिकाओं की संरचना, गठन, सदस्यों की योग्यता, निर्वाचन, नगर पंचायतों के अधिकार एवं शक्तियों तथा उत्तरदायित्वों के संबंध में उपबंध स्थापित किए गए।

81वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2000

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से यह नियम बनाया गया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गयी 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा का बढ़ाया जा सकेगा।

86वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2002

  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है, इसे अनुच्छेद 21(A) के अंतर्गत संविधान जोड़ा गया है। इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 51(A) में संशोधन किए जाने का प्रावधान है।

88वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • सेवाओं पर कर का प्रावधान। अनुच्छेद 268 क जोड़ा गया।

89वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग का दो भागों में विभाजन कर दिया गया। अब इनके नाम क्रमशः ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग’ अनुच्छेद-338 एवं ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ अनुच्छेद 338-A होंगे।

91वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को निश्चित कर दिया गया।
  • दल बदल व्यवस्था में संशोधन, केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता, केंद्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोक सभा तथा विधान सभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा (जहां सदन की सदस्य संख्या 40-50 है, वहां अधिकतम 12 होगी)

92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

  • संविधान की आठवीं अनुसूची मेुं चार अन्य भाषायें जोड़ी गई। ये भाषायें हैं- बोड़ो, डोगरी, मैथिली एवं संथाली

97वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2011

  • इस संविधान संशोधन में हर नागरिक को कोऑपरेटिव सोसाइटी (सहकारी समितियाँ) के गठन का अधिकार दिया गया और इसमें संविधान के भाग 9 में भाग 9(B) जोड़ा गया।
  • संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 19(1)(C) में “सहकारी समितियाँ” शब्द जोड़ा गया।

99वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2014

  • इस विधेयक का उद्देश्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त कर इसका स्थान ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ देना था।
    नोट : सर्वोच्च न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ के गठन संबंधित “99वां संविधान संशोधन 2014” और ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को असंवैधानिक एवं शून्य घोषित करते हुए रद्द कर दिया।

100वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2015

  • भारत और बांग्लादेश के बीच हुई भू-सीमा संधि के लिए 100वां संशोधन किया गया। दोनों देशों ने आपसी सहमति से कुछ भू-भागों का आदान-प्रदान किया। समझौते के तहत बांग्लादेश से भारत में शामिल लोगों को भारतीय नागरिकता भी दी गई।

 101वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2016

  • GST व्यवस्था लागू करने हेतु। संविधान में अनुच्छेद 256(A) अंतः स्थापित किया गया।
  • इस संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 270 में निर्धारित किया गया कि केंद्र द्वारा संग्रहित GST को केंद्र व राज्यो के मध्य बांटा जाएगा।

102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018

  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (OBC) को संवैधानिक का दर्जा प्रदान किया गया। अनुच्छेद 338(B) जोड़ा गया।

 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2019

  • आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई

 104वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 (126वाँ संविधान संशोधन विधेयक)

  • इस विधेयक के तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया है।
  • इस विधेयक के तहत लोक सभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष और बढ़ाया गया है। इसमें SC और ST के लिए लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में 25 जनवरी, 2030 तक सीटों का आरक्षण बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में इस आरक्षण की समय सीमा 25 जनवरी, 2020 तक थी।
  • इस संविधान संशोधन विधेयक द्वारा संसद में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रदत्त आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है। आरक्षण के तहत एंग्लो-इंडियन समुदाय के 2 सदस्य लोक सभा में प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे।

 105वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2021 (127वाँ संविधान संशोधन विधेयक)

  • अधिनियम सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और सूची बनाने का राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का अधिकार बहाल हो गया। यह विधेयक अनुच्छेद 342A के खंड 1 और 2 में संशोधन करेगा।
Read Also :
Uttarakhand Study Material in Hindi Language (हिंदी भाषा में)  Click Here
Uttarakhand Study Material in English Language
Click Here 
Uttarakhand Study Material One Liner in Hindi Language
Click Here
Uttarakhand UKPSC Previous Year Exam Paper  Click Here
Uttarakhand UKSSSC Previous Year Exam Paper  Click Here
Indian Polity Notes in Hindi  Click Here
Geography Notes in Hindi Click Here
Modern History Notes in Hindi Click Here
Medieval History Notes in Hindi Click Here
Computer Notes in Hindi Click Here
Biology Notes in Hindi Click Here
Hindi Language Notes  Click Here

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!