भारत के प्रमुख फसलें – गेहूँ (Wheat)

गेहूँ (Wheat)

चावल के बाद गेहूँ हमारे देश का दूसरा महत्वपूर्ण खाद्यान्न पदार्थ है। भारत गेहूं का विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और यह विश्व का लगभग 8% गेहूँ उत्पन्न करता है। देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में रहने वाले लोगों का यह मुख्य आहार है।

गेहूँ की उपज के लिए निम्नलिखित दशाएँ उपलब्ध है।

तापमान – यह एक शितोष्ण कटिबन्धीय पौधा है, जिसके लिए 10 से 15° सोल्सियम तापमान होना आवश्यक है। गेहूँ को उगाते समय 10° सेल्सियस वर्द्धन के समय 15°C और पकते समय 20 से 25° सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।

वर्षा – गेहूँ की कृषि के लिए 80 से०मी० वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। 100 से०मी० से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में गेहूं की कृषि नहीं की जाती। वास्तव में 100 से०मी० वार्षिक वर्षा की समवर्षा रेखा गेहूँ तथा चावल के क्षेत्रों को विभाजित करती है। सिंचाई की सहायता से गेहूं 20 से०मी० वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।

मिट्टी – गेहूँ की कृषि अनेक प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती हैं। परंतु हल्की चिका मिट्टी, चिकायुक्त दोमट मिट्टी, भारी दोमट मिट्टी तथा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है। भारत में अधिकांश गेहूँ विशाल मैदान के जलोढ़ मिट्टियों के क्षेत्र में उगाया जाता है।

भूमि – गेहूँ की कृषि में बड़े पैमाने पर यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे समतल मैदानी भाग की आवश्यकता होती है।

श्रम – गेहूं की कृषि में यन्त्रों का प्रयोग अधिक किया जाता है अतः इसकी कृषि के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता नहीं होती।

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उत्पादन तथा वितरण – भारत की लगभग एक-तिहाई कृषि भूमि पर गेहूँ की कृषि की जाती हैं। यह भारत में रबी (शीतकालीन) की फसल है जो शीत ऋतु के समाप्त होने पर काट ली जाती है। हमारे देश में गेहूं के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पैकेज टेकनोलॉजी के कारण देश में 1967 में हरित क्रान्ति आई जिसके प्रभावाधीन भारत में कृषि उत्पादन बढ़ा परंतु हरित क्रान्ति का सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ के उत्पादन पर पड़ा। सन् 1970-71 में 1960-61 की तुलना में गेहूं का उत्पादन दुगुने से भी अधिक हो गया। इसी अवधि में गेहूँ के क्षेत्रफल तथा प्रति हेक्टेयर उपज में लगभग डेढ़ गुना वृद्धि हुई। 2017-2018 में लगभग 986.1 लाख टन गेहूँ पैदा किया गया।

गेहूँ की कृषि मुख्यतः पंजाब, हरियाण तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है। राजस्थान और गुजरात के कुछ चयनित क्षेत्रों में कृषि की जाती है। देश में कुल गेहूँ उत्पादन का लगभग दो-तिहाई भाग पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है गेहूँ के अन्तर्गत क्षेत्र को भी अब काफी बढ़ा दिया गया है, विशेष तौर पर बिहार और पश्चिमी बंगाल जैसे गैर-परम्परागत क्षेत्रों तक। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी गेहूँ की कृषि पर्याप्त बड़े क्षेत्र पर की जाती है। बिहार और पश्चिमी बंगाल दोनों मिलकर देश में गेहूं के कुल उप्पादन का 8% भाग उत्पन्न करते हैं। पश्चिमी बंगाल में गेहूं की उपज प्रति हेक्टेयर बहुत अधिक है।

वैश्विक बाजार

डेरिवेटिव्स एक्सचेंजेस शिकागो मर्कन्टाइल एक्सचेंज जिसने शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड का अधिग्रहण किया, कानसास सिटी बोर्ड ऑफ ट्रेड, झेंगझोउ कमोडिटी एक्सचेंज, दक्षिण अफ्रीकी फ्यूचर्स एक्सचेंज, एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स। यूएसएफओबी और ईयू (फ्रांस) एफओबी कीमतें भौतिक मूल्यों का निर्धारण करती हैं।

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आयात और निर्यात

अमेरिका , यूरोपीय संघ -28, कनाडा , ऑस्ट्रेलिया अर्जेंटिना और भारत  प्रमुख निर्यातक हैं वहीं ऐसे कई देश हैं जो विकासशील देशों से उत्पन्न अधिकतम मांग के लिए गेहूं का आयात करते हैं। मध्य-पूर्व एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका आयात करने वाले प्रमुख क्षेत्र हैं। इजिप्ट, ब्राजील, इंडोनेशिया और अल्जीरिया सबसे महत्वपूर्ण आयातक राष्ट्र हैं।

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