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Uttarakhand Public Service Commission (UKPSC) Mains Syllabus

Uttarakhand PCS Main Syllabus

सम्मिलित राज्य सिविल / प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम परिशिष्ट
(Combined State Civil / Select Subordinate Services Main Examination Course Appendix)

मुख्य परीक्षा योजना

क्र0सं0 विषय अधिकतम अंक समय अवधि
1 प्रथम प्रश्नपत्र भाषा  300 3 घंटे 
2 द्वितीय प्रश्नपत्र भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, समाज एवं संस्कृति 200 3 घंटे 
3 तृतीय प्रश्नपत्र भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध 200 3 घंटे 
4 चतुर्थ प्रश्नपत्र भारत एवं विश्व का भूगोल 200 3 घंटे 
5 पंचम प्रश्नपत्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास 200 3 घंटे 
6 षष्ठम प्रश्नपत्र सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 200 3 घंटे 
7 सप्तम प्रश्नपत्र सामान्य अभिरूचि एवं आचार शास्त्र 200 3 घंटे 
8 साक्षात्कार 200
कुल अंक 1700

नोट- भाषा प्रश्नपत्र में न्यूनतम 35 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 

 

सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

प्रथम प्रश्न पत्र (भाषा)

समयावधि – 03 घण्टे पूर्णांक – 300

सामान्य हिन्दी, सामान्य अंग्रेजी एवं निबन्ध लेखन

मुख्य परीक्षा

सामान्य हिन्दी – 150 अंक

राजभाषा परिनियमावली (संक्षिप्त परिचय) – 10 अंक

शब्द रचना – 25 अंक
(i) उपसर्ग एवं प्रत्यय
(ii) संधि एवं समास
(iii) वचन एवं लिंग
(iv) व्याकरणिक कोटियां – संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, क्रिया-विशेषण,अव्यय (परिभाषा एवं भेद)
(V) वाच्य परिवर्तन (कर्तृवाच्य/कर्मवाच्य/भाववाच्य)

शब्द विवेक – 25 अंक
(i) शब्दभेद –
क. तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, संकर
ख. रूढ यौगिक और योगरूढ
ग. पर्यायवाची, समानार्थी, विलोम, अनेकार्थी, समूहवाची, समरूप किन्तु भिन्नार्थक, पारिभाषिक, शब्दयुग्म, वाक्य या वाक्यांश के लिए एक शब्द, संक्षिप्ताक्षर
(ii) शब्द शुद्धि 

वाक्य रचना – 10 अंक
(i) रचना के आधार पर वाक्य परिवर्तन (सरल, मिश्र एवं संयुक्त)
(ii) व्याकरण के आधार पर वाक्य परिवर्तन (प्रश्नवाचक, विस्मयादिबोधक, सकारात्मक, नकारात्मक)
(iii) विरामचिह्न
(iv) वाक्यशुद्धि संजीय प्रकाश चतुर्वेदी)
(V) स्लोगन लेखन 

भाषा का मानकीकरण
(i) वर्तनी का मानकीकरण
(ii) व्याकरण का मानकीकरण
(iii) लिपि का मानकीकरण
(iv) उच्चारण का मानकीकरण

लोकोक्ति एवं मुहावरे – 10 अंक 

अपठित गद्यांश (हिन्दी) – 15 अंक (2+5+8) 

(i) शीर्षकीकरण
(ii) भावार्थ
(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या 

कार्यालयी पत्रों के प्रारूप – 20 अंक
शासकीय पत्र, अर्द्धशासकीय पत्र, अधिसूचना, परिपत्र, कार्यालयादेश, कार्यालय ज्ञाप, अनुस्मारक, विज्ञप्ति
टिप्पण/प्रारूपण/संक्षेपण – 15 अंक (5+5+5)
हिन्दी भाषा का कम्प्यूटरीकरण शब्द संसाधन, डाटाप्रविष्टि, मुद्रण, इन्टरनेट – 10 अंक

General English – 20 Marks

(i) Comprehension – (10 M)
(The passage for Comprehension should test the candidate’s knowledge of English language as well as his/her understanding of the organization of the key concepts of the passage. Questions should focus both on the ideas contained in the passage and on language components, such as vocabulary, phrasal verbs, synonyms and antonyms etc.) 

(ii) Translation from Hindi into English / English into Hindi – 05 M 

(iii) Common errors in English – 05M

निबन्ध लेखन (Essay Writing) – 130 अंक

दिए गये दो खण्डों में खण्ड (क) में उल्लिखित विषयों में से किसी एक विषय का चयन करते हुए हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में लगभग 500 (पाँच सौ) शब्दों एवं खण्ड (ख) में उल्लिखित विषयों में से किसी एक विषय का चयन करते हुए हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा में लगभग 700 (सात सौ) शब्दों में अभ्यर्थीगण द्वारा निबन्ध लिखा जायेगा।

खण्ड (क) 55 अंक

  1. उत्तराखण्ड की सामाजिक संरचना, इतिहास संस्कृति एवं कला (Social Structure, History, Culture and Art of Uttarakhand)
  2. उत्तराखण्ड का आर्थिक एवं भौगोलिक परिदृश्य एवं पर्यावरण (Economic and Geographical Scenario and Environment of Uttarakhand)
  3. उत्तराखण्ड का साहित्य (Literature of Uttarakhand) 
  4. उत्तराखण्ड में महिला सशक्तीकरण : चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ (Women Empowerment in Uttarakhand: Challenges and Prospects) 

खण्ड (ख) 75 अंक

  1. भारतीय अर्थ एवं राज व्यवस्था (Indian Economy and Polity System)
  2. विज्ञान एवं तकनीकी (Science and Technology)
  3. आपदा एवं जन स्वास्थ्य प्रबंधन (Disaster and Public Health Management) 
  4. समसामयिक घटनाचक्र (Current Events)
  5. विश्व सुरक्षा, मानवाधिकार और भारत (Global Security, Human Rights and India)

नोट:- भाषा के प्रश्न-पत्र में न्यूनतम 35 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। 


सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

द्वितीय प्रश्न पत्र (भारत का इतिहास, राष्ट्रीय आंदोलन, समाज एवं संस्कृति)

समयः 03 घण्टे 200 अंक

मुख्य परीक्षा

प्रागैतिहासिक काल – जातियां एवं संस्कृति 

आद्यऐतिहासिक काल : पुरापाषाणकाल – आखेटक और खाद्य संग्रहक ; मध्यपाषाणयुगखाद्य उत्पादक आदि। 

ताम्रपाषाणयुग : कृषक संस्कृति, बस्तियां, ताम्रनिधियां एवं गैरिक मृदभाण्ड अवस्था ; 

कांस्ययुगीन सभ्यताएं – हड़प्पा संस्कृति, भौगोलिक विस्तार, नगर योजना, संरचनाएं एवं निकास व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन, आदि। 

वैदिक युग – ऋग्वैदिक युग – राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन, उत्तरवैदिक युग-राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन, महाकाव्य एवं धर्मशास्त्रों का युग, छठी शताब्दी ई0पू0 में धार्मिक आन्दोलन- जैन एवं बौद्ध धर्म एवं अन्य पहलू। 

महाजनपदों एवं मगध साम्राज्य का उत्कर्ष, पारसी एवं यूनानी आक्रमण : पर्शिया का आक्रमण ; सिकन्दर महान एवं उसकी विरासत ।

मौर्य साम्राज्य : चन्द्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार, अशोक एवं उसका धम्म, मौर्य साम्राज्य का पतन ; मौर्यकाल का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन आदि। 

मौर्योत्तर काल : शक, कुषाण, पहलव, वाकाटक एवं सातवाहन कालीन राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन तथा अन्य पहलू ।

गुप्त राजवंश – चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, स्कन्दगुप्त, परवर्ती गुप्त शासक एवं गुप्त वंश का पतन; गुप्तकालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन, गुप्तोत्तर कालहर्षवर्द्धन एवं उसका युग; पाल, प्रतिहार, राष्ट्रकूट, चोल, चालुक्य, पल्लव, चन्देल, परमार, गहडवाल, चौहान, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन आदि । 

भारत में इस्लाम का आगमन, अरबों का सिंध पर आक्रमण, तुर्को का भारत पर आक्रमण, दिल्ली सल्तनत अनुभाग अधिकारीकी स्थापना : कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया : प्रारंभिक तुर्की शासन का स्वरूप : बलबन – न्याय – व्यवस्था और राजत्व का सिद्धान्त। 

खिलजी वंश : जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी; साम्राज्य विस्तार, प्रशासनिक, सैन्य एवं आर्थिक सुधार। 

तुगलक वंश : गयासुद्दीन तुगलक, मुहम्मद बिन तुगलक–राजनीतिक एवं प्रशासनिक प्रयोग, फिरोजशाह तुगलक, मंगोल आक्रमण और उसका प्रभाव । दिल्ली सल्तनत का विघटन, प्रथम अफगान राज्य ; उत्तर भारत में स्वतंत्र मुस्लिम राज्यों का उदय-जौनपुर के शर्की; कश्मीर का सुल्तान सिकन्दर और सुल्तान जैनुल आबिदीन; मालवा, बंगाल और गुजरात तथा अन्य राज्य । 

सामाजिक-धार्मिक आन्दोलन : सूफीवाद एवं भक्ति आन्दोलन । 

दक्षिण भारत : संगम युग, देवगिरि के यादव, वारंगल के काकतीय, द्वारसमुद्र के होयसल, मदुरै के पाण्ड्य; चोल राजवंश, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन, विजयनगर और बहमनी राज्य- राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन, दिल्ली सल्तनत का राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक जीवन । 

मुगल साम्राज्य की स्थापना – बाबर, हुमायूँ, शेरशाह सूरी, अकबर, जहाँगीर, शाहजहां, औरंगजेब; परवर्ती मुगल और मुगल साम्राज्य का पतन, बहादुर शाह जफर, मुगल प्रशासन, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक जीवन, कला, संस्कृति और तकनीक । 

मराठा शक्ति का उत्कर्ष – शिवाजी और उनका प्रशासन, पेशवाओं का उत्कर्ष, मराठा और समाज, बुन्देले, सिख, जाट, सतनामी। 

यूरोपीय शक्तियों का आगमन और विस्तार – पुर्तगाली, डच, फ्रांसीसी और अंग्रेज। आंग्ल फ्रांसीसी प्रतिस्पर्धा और कर्नाटक युद्ध । 

उपनिवेशवाद का प्रारम्भ : ईस्ट इंडिया कम्पनी और बंगाल – नबाब सिराजुद्दौला, प्लासी का युद्ध, मीर जाफर, मीरकासिम, बक्सर का युद्ध, द्वैध शासन प्रणाली, क्लाइव की दूसरी गवर्नरी।

18वीं शताब्दी में समाज और अर्थव्यवस्था, भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण, वारेन हेस्टिंग्स, लॉर्ड कार्नवालिस, लॉर्ड वेलेजली, लॉर्ड हेस्टिंग्स, विलियम बेटिंक, लॉर्ड एलेनबरो और सिन्ध का विलय-लॉर्ड आकलैण्ड और प्रथम अफगान युद्ध, अंग्रेज और भारतीय राज्य- मैसूर, पंजाब, अवध, हैदराबाद, मराठा : लार्ड डलहौजी। 

1757 – 1857 के मध्य ब्रिटिश सरकार का ढांचा एवं आर्थिक नीतियां; प्रशासनिक संगठन और सामाजिक एवं सांस्कृतिक नीतियां। 

उन्नीसवीं शताब्दी में सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन : ब्रह्म समाज, आर्य समाज, थियोसोफिकल सोसायटी इत्यादि। 

ब्रिटिश शासन का प्रतिरोध : जनजातीय तथा असैनिक विद्रोह, लोकप्रिय आंदोलन तथा सैनिक विद्रोह (1757-1856), 1857 का विद्रोह; कारण, स्वरूप, घटनाक्रम, परिणाम एवं विफलता। 

1858 के बाद प्रशासनिक परिवर्तन : अंग्रेजी शासन के आर्थिक प्रभाव, औद्योगीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन : भारत में राष्ट्रवाद का विकास, राष्ट्रीय आंदोलन का उदय, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-उद्गम, उदारवादी एवं अतिवादी विचारधारा, बंगाल का विभाजन (1905), स्वदेशी आंदोलन(1905), मुस्लिम लीग की स्थापना(1906), सूरत अधिवेशन और कांग्रेस का प्रथम विभाजन (1907), मार्ले-मिण्टो सुधार अधिनियम (1909)। 

प्रथम विश्व युद्ध और राष्ट्रीय आंदोलन : होमरूल आंदोलन, लखनऊ समझौता (1976), चम्पारन और खेड़ा सत्याग्रह (1917) : गांधी-युग, राष्ट्रीय आंदोलन (1919-1927); मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम (1919), रौलेट अधिनियम (1919), जलियाँवालाबाग नरसंहार, खिलाफत और असहयोग आंदोलन (1919-1922), चौरी चौरा काण्ड (1922), स्वराज पार्टी, साइमन कमीशन (1927), भारत एवं विदेशों में क्रांतिकारी आन्दोलन। 

राष्ट्रीय आंदोलन (1927-1947) : साइमन कमीशन का बहिष्कार, नेहरू रिपोर्ट, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (1929), प्रेस और राष्ट्रीय आन्दोलन, पूर्ण स्वराज, सविनय अवज्ञा आंदोलन, प्रथम गोल मेज सम्मेलन, गांधी-इर्विन समझौता, द्वितीय गोल मेज सम्मेलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन का द्वितीय चरण, साम्प्रदायिक निर्णय (कम्यूनल अवार्ड), तृतीय गोलमेज सम्मेलन, पूना समझौता, बी0आर0 अम्बेडकर एवं दलित आन्दोलन, राष्ट्रवादी राजनीति (1935–1939), भारत सरकार अधिनियम (1935), कांग्रेस मंत्रिमण्डल, समाजवादी, साम्यवादी पूंजीवादी विचाराधारा एवं उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव एवं विचारधारा का विकास, कृषक एवं कामगार आंदोलन : कांग्रेस और वैश्विक मामले। कांग्रेस मंत्रिमण्डलों का त्यागपत्र, सुभाष चन्द्र बोस एवं आजाद हिन्द फौज (आई0एन0ए0)। साम्प्रदायिकता का विकास तथा पाकिस्तान की माँग । 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन : अगस्त प्रस्ताव, व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आन्दोलन, क्रिप्स मिशन, भारत छोड़ो आंदोलन, सी0आर0 दास फार्मूला, गांधी- जिन्ना वार्ता, भूला भाई देसाई–लियाकत अली समझौता, वेवेल योजना और शिमला सम्मेलन, प्रांतीय एवं आम चुनाव, कैबिनेट मिशन योजना, आज़ाद हिन्द फौज, सीधी कार्यवाही दिवस, अन्तरिम सरकार, माउंटबेटन योजना, भारतीय

स्वतंत्रता अधिनियम (1947) : साम्प्रदायिक दंगे एवं भारत का विभाजन । 

स्वतन्त्रयोत्तर भारत : संविधान सभा और संविधान का निर्माण, आजादी के बाद का भारत, भारत की विदेश नीति- पंचशील, निर्गुट आन्दोलन, सार्क, पंचवर्षीय योजनायें, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, प्रिवी पर्स की समाप्ति, जीव प्रकाश चतुर्वेदी जे0पी0 (जय प्रकाश नारायण) का आन्दोलन, आपातकाल, मिली-जुली सरकारों का युग, आन्तरिक विद्रोह। 

वैदेशिक नीति : पंचशील, भारत-चीन एवं भारत-पाकिस्तान युद्ध, निर्गुट आन्दोलन, सार्क (साउथ एशियन एसोसियेशन फॉर रीजनल कॉआपरेशन)

उत्तराखण्ड का इतिहास एवं संस्कृति : प्रागैतिहासिक काल, आद्य ऐतिहासिक काल, उत्तराखण्ड की प्राचीन जनजातियां, कुणिन्द एवं यौधेय, कत्यूरी राजवंश, गढ़वाल का परमार राजवंश – शासन, समाज, अर्थव्यवस्था, कुमाऊँ का चंद राजवंश- शासन, समाज, अर्थव्यवस्था, गोरखा आक्रमण एवं उत्तराखण्ड में शासन, उत्तराखण्ड में धर्म एवं संस्कृति ।

उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन : प्रशासनिक व्यवस्था, सामाजिक सुधार, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, एवं चिकित्सा व्यवस्था, उत्तराखण्ड में देशी भाषा की पत्रकारिता का विकास, टिहरी रियासत-शासन, समाज, अर्थव्यवस्था, धर्म एवं संस्कृति, उत्तराखण्ड और राष्ट्रीय आन्दोलन, उत्तराखण्ड के प्रमुख स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, स्वतंत्रता एवं टिहरी रियासत का विलय।

उत्तराखण्ड के जन आन्दोलन : कुली बेगार, टिहरी राज्य में रियासत विरोधी आन्दोलन, डोला–पालकी आन्दोलन, चिपको आन्दोलन, नशा विरोधी आन्दोलन, उत्तराखण्ड के संत एवं सामाजिक सुधारक, पृथक उत्तराखण्ड राज्य हेतु आन्दोलन एवं उसके तात्कालिक एवं दूरगामी परिणाम, उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थल एवं मंदिर; उत्तराखंड के प्रमुख पुरातात्विक स्थल, उत्तराखंड के प्रमुख सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक मेलें, त्यौहार एवं यात्रायें, सांस्कृतिक महत्व के स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख गीत एवं नृत्य, वाद्ययंत्र, चित्रकला, वेशभूषा, एवं खान-पान, बोलियां, उत्तराखंड के प्रमुख लोकगायक, रंगकर्मी, उत्तराखण्ड के शिल्प, उद्योग एवं वाणिज्य, उत्तराखण्ड में शिक्षा का विकास।



सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

तृतीय प्रश्न पत्र (भारतीय राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संबंध)

समयः 03 घण्टे 200 अंक

मुख्य परीक्षा

भारतीय राजनीति का संवैधानिक ढांचा 

  • भारत में संवैधानिक विकास।
  • भारतीय संविधान का निर्माण। 
  • उद्देशिका और उसका महत्व। 
  • भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं मौलिक अधिकार और कर्तव्य ।
  • राज्य के नीति-निदेशक तत्व। 
  • संघीय ढांचा : संघ -राज्य संबंध। 
  • भारत में संसदीय प्रणाली । 
  • संवैधानिक निकाय : भारत का निर्वाचन आयोग, वित्त आयोग, भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, संघ/राज्य लोक सेवा आयोग व अन्य (नियुक्ति, शक्तियां और उत्तरदायित्व)। 
  • न्यायपालिका : गठन, भूमिका, न्यायिक समीक्षा और न्यायिक सक्रियता। 
  • संविधान संशोधन पद्धति और महत्वपूर्ण संविधान संशोधन। 

भारतीय राजनीति 

  • संघीय कार्यपालिका। 
  • राज्य कार्य पालिका। 
  • संसद और राज्य विधान मण्डल। 
  • भारत में चुनाव प्रणाली, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं। 
  • राजनीतिक दल और दबाव समूह। 
  • क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका।
  • लोक जबावदेही : संसद, कार्य पालिका और न्याय पालिका।
  • नागरिक और प्रशासन : नागरिकों की शिकायतों के निवारण के संस्थान और तंत्र, नागरिक, मंच, केन्द्रीय सर्तकता आयोग और लोकपाल तथा लोकायुक्त।
  • प्रेस (समाचार पत्र और इलैक्ट्रॉनिक माध्यम) : नीति निर्माण पर प्रभाव, जनमत निर्माण और लोक शिक्षा तथा भारतीय प्रेस परिषद । 

भारत में प्रशासनिक व्यवस्था 

  • भारत में प्रशासनिक प्रणाली का मूल्यांकन और प्रगति । 
  • संघ सरकार : मंत्रिमण्डल सचिवालय, केन्द्रीय सचिवालय, प्रधान मंत्री कार्यालय । 
  • नये राज्यों के गठन की मांग ।
  • राज्य सरकार : राज्य सचिवालय, मुख्य सचिव, विभाग और निदेशालय, बोर्ड , निगम और आयोग। 
  • भारत में संघ राज्य क्षेत्रों तथा अन्य विनिर्दिष्ट राज्यों तथा क्षेत्रों का प्रशासन। 
  • भारत में सिविल सेवायेंः प्रकार, विशेषताएं, भूमिका और कार्य निष्पादन। 
  • जिला प्रशासन। 
  • प्रशासनिक अधिनिर्णय : भारत में विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक अधिकरण। 
  • लोक अदालत और विधि संबंधी जागरूकता अभियान। 
  • भारत में प्रशासनिक सुधार जिनसे विभिन्न आयोग और समितियां शामिल है। 

पंचायती राज 

  • विकास प्रशासन : संस्थाएं, नीति–प्रर्वतन व युक्ति, समस्याएं और चुनौतियां । 
  • स्थानीय शासन : 73वां और 74वां संविधान संशोधन। 
  • भारत में शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं का स्वरूप। 
  • शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के वित्त पोषण के साधन । 
  • राज्य वित्त आयोग और राज्य चुनाव आयोग। 
  • विकेन्द्रीयकृत आयोजना। 

भारत में लोक प्रबन्धन 

निम्नलिखित के संदर्भ में लोक प्रबंधन 

  • विनियामक शासन। 
  • नियम और कानून प्रशासन। 
  • सिटिज़न सेंट्रिक गवर्नेस (नागरिक केन्द्रित शासन)। 
  • ई-गवर्नेस। 
  • सेवा का अधिकार। 
  • सूचना का अधिकार ।
  • समाधान योजना।
  • बजटीय सुधार। 
  • उपभोक्ता सरंक्षण।
  • प्रशासन में सत्यनिष्ठा जिसमें भारत में भ्रष्टाचार के निवारण एवं कदाचारों की रोकथाम के उपाय शामिल है।

मानव संसाधन एवं सामुदायिक विकास 

रोजगार एवं विकास 

  • मानव संसाधन प्रबन्धन एवं मानव संसाधन विकास तथा भारत में इसके संकेतक। 
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या की प्रकृति एवं प्रकार। केन्द्र सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार की योजनायें। 
  • ग्रामीण विकास एवं सामुदायिक विकास की योजनाये- केन्द्र एवं राज्य प्रायोजित योजनाओं सहित सम्बन्धित संस्थाओं एवं संगठनों की भूमिका।

शिक्षा

  • मानव संसाधन के विकास एवं सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका । 
  • भारत में शिक्षा की पद्वति : समस्यायें एवं मुद्दे (सार्वभौमिकरण एवं व्यावसायिकरण सहित) महिलाओं तथा अन्य सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित वर्गों तथा अल्पसंख्यकों के लिये शिक्षा। 
  • शिक्षा का अधिकार : उत्तराखण्ड में सर्वशिक्षा अभियान तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान । 
  • उत्तराखण्ड में उच्च, प्राविधिक एवं व्यावसायिक शिक्षा की स्थिति। 
  • शिक्षा के उन्नयन में विभिन्न संस्थाओं की भूमिका ( केन्द्र, राज्य तथा अन्य संगठनों सहित) 

स्वास्थ्य 

  • मानव संसाधन के विकास के एक संघटक के रूप में स्वास्थ्य । 
  • भारत तथा उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य देख-रेख प्रणाली । 
  • स्वास्थ्य संकेतक। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन : उद्देश्य सरंक्षण, कार्य एवं कार्यक्रम । 
  • स्वास्थ्य देख-रेख प्रणाली में सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी । 
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन तथा अन्य सम्बन्धित योजनायें । 
  • स्वास्थ्य एवं पोषण।
  • खाद्य सुरक्षा अधिनियम इत्यादि। 

सामाजिक कल्याण एवं सामाजिक विधायन 

  • परिर्वतन के तत्व के रूप में सामाजिक विधायन । 
  • समाज के असुरिक्षत वर्गों के लिये सामजिक विधायन एवं योजनाएं: केन्द्र एवं राज्य । 
  • नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम- 1955।
  • अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोध अधिनियम -1989)।
  • महिला एवं पारिवारिक हिंसा (रोकथाम अधिनियम-2005) । 
  • बच्चों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों आदि के संरक्षण एवं कल्याण हेतु सामाजिक विधायन ।
  • महिलाओं एवं बच्चों के यौन शोषण निवारण के उपाय। 
  • अशक्त, वृद्व एवं अन्य के कल्याण के लिये अधिनियम, नीतियां, संस्थायें एवं योजनायें ।

अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध 

  • भारतीय विदेश नीति के सिद्वान्त एवं आधार । 
  • भारत एवं उसके पड़ोसी देश ।
  • वैश्वीकरण एवं विकासशील देशों पर इसका प्रभाव । 
  • अन्तर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन : संयुक्त राष्ट्र एवं उसके विशिष्ट अभिकरण। 
  • क्षेत्रीय संगठन – दक्षेस, आसियान, यूरोपीय संघ, गुट निरपेक्ष आन्दोलन, ओपेक एवं राष्ट्रमण्डल आदि।
  • भारतीय सांस्कृतिक कूटनीति एवं प्रवासी भारतीय । 

उत्तराखण्ड राज्यः राजनीतिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक संदर्भ 

  • उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक, राजनीतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि। 
  • राज्य की राजनीतिक एवं प्रशासनिक संस्कृति।
  • राजनीतिक व्यवस्था, दलीय राजनीति, गठबंधन सरकारों की राजनीति, क्षेत्रीय दलों की भूमिका और कार्य तथा दबाव समूह।
  • प्रशासनिक प्रणालीः राज्य सरकार की सरंचना, मंत्रिमण्डल और विभाग, प्रशासनिक अभिकरण तथा जिला एवं तहसील स्तरीय प्रशासन । 
  • राज्य लोक सेवा।
  • राज्य लोक सेवा आयोग । 
  • लोक आयुक्त, राज्य सर्तकता अभिकरण। 
  • उत्तराखण्ड में पंचायती राज एवं नगरीय प्रशासन । 
  • उत्तराखण्ड की समाज कल्याण योजनाएं । 

समसामयिक घटनाएं – राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय, और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं।


सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

चतुर्थ प्रश्न पत्र (भारत एवं विश्व का भूगोल) 

समय : 03 घण्टे पूर्णाक : 200 

मुख्य परीक्षा

विश्व का भूगोल : 

भूगोल की परिभाषा एवं प्रमुख संकल्पनाएं, सौरमण्डल, गोलाभीय निर्देशांक एवं प्रक्षेप, समय, पृथ्वी का परिभ्रमण एवं परिक्रमण, चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण एवं सम-ताप रेखायें, आदि। 

स्थलमण्डल : महाद्वीप एवं महासागरों की उत्पत्ति – महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, संवाहनिक धारा सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत, पर्वत, पठार, मैदान, झीलें एवं चट्टानों के प्रकार, अपवाह प्रतिरूप, अनाच्छादन के कारक-नदी, वायु, हिमनद, आदि। 

वायुमण्डल : वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना, सौर्यताप, उष्मा–बजट, आर्द्रता एवं वर्षण, वायुदाब एवं वायुपेटियां आदि । 

जलमण्डल : महासागर – महासागरीय नितल के उच्चावच, धारायें, ज्वार-भाटा, तापमान एवं लवणता, जल-चक्र आदि। 

भौगोलिक घटनाएं : मूंकप, सुनामी, ज्वालामुखी क्रिया, मानसून, अलनिनो प्रभाव एवं चक्रवात, प्राकृतिक संकट एवं आपदायें आदि। 

प्राकृतिक संसाधनों का वितरण : प्राकृतिक संसाधनों का विश्व वितरण – वन, लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला, खनिज-तेल, जलविद्युत शक्ति, अणुशक्ति, ऊर्जा के गैर परम्परागत स्त्रोत आदि।

कृषि : कृषि अवस्थितिकी, कृषि प्रकार, कृषि प्रदेश आदि। 

उद्योग : उद्योगों के स्थानीकरण के कारक, वस्त्र, लौह-इस्पात, सीमेंट, चीनी उद्योग आदि। 

जनसंख्या : वृद्धि, वितरण, घनत्व, लिंग अनुपात, प्रवासन, स्वास्थ्य, नगरीकरण आदि । 

प्रमुख जनजातियां : एस्किमो, पिग्मी, वुशमैन, किरगीज आदि। 

परिवहन : ट्रांस साइवेरियन, कैनेडियन नेशनल, कैनेडियन पैसिफिक रेलमार्ग, केप ऑफ गुड होप जल मार्ग आदि। पर्यावरण : पारिस्थितिकी एवं पारिस्थितकी तंत्र की संकल्पना, जैव विविधता- प्रकार एवं ह्यस, प्रदूषण–वायु, जल, वैश्विक उष्मन, ओजोन क्षरण, सतत् विकास की अवधारणा आदि । 

विश्वव्यापार : व्यापार एवं आर्थिक समूह–विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू0टी0ओ0), यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ई0ई0सी0), ब्राजील – रूस – भारत – चीन – दक्षिण अफ्रीका (बी0आर0आई0सी0एस0), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) आदि। 

भारत का भूगोल : स्थिति, विस्तार एवं संघीय ढाँचा, भूगर्भिक संरचना एवं उच्चावच, जलवायु, अपवाह प्रणाली, वनस्पति, मृदा, जल संसाधन, संसाधन अल्पता एवं उर्जा संकट आदि।

पर्यावरणीय अवनयन एवं संरक्षण : वायु, जल, मृदा आदि। 

खनिज : लौह-अयस्क, कोयला, पेट्रोलियम आदि का वितरण एवं उत्पादन आदि। 

कृषि : गेहूँ, चावल, चाय, मिलेट्स, कॉफी एवं रबर, कृषि-जलवायु प्रदेश, कृषि क्रान्तियां आदि।

उद्योग : सूती वस्त्र, सीमेन्ट, कागज, चीनी एवं रसायन आदि उद्योगों का स्थानीकरण, उत्पादन एवं व्यापार आदि। 

जनसंख्या : वृद्धि, वितरण, घनत्व, साक्षरता, लिंग–अनुपात, ग्रामीण-नगर संरचना आदि के प्रादेशिक प्रतिरूप आदि । 

परिवहन : रेलमार्ग, सडक मार्ग, वायुमार्ग एवं जल मार्गों की प्रादेशिक विकास में भूमिका आदि।

जनजातियां : गोण्ड, भील, सन्थाल, नागा आदि जनजातियों का निवास्य, आर्थिकी एवं समाज तथा रूपान्तरण की प्रवृत्तियां। 

उत्तराखण्ड का भूगोल : स्थिति, विस्तार एवं सामरिक महत्व, संरचना एवं उच्चावच, जलवायुविक विशेषताएं, अपवाह तंत्र, प्राकृतिक वनस्पति, खनन एवं उत्खनन, मृदा आदि। 

कृषि एवं सिंचाई, औद्यानिकी, पशुपालन, कृषि उत्पादों का भण्डारण एवं विपणन। 

पर्यटन – समस्यायें एवं सम्भावनायें। 

जनसंख्या, वितरण, घनत्व, लिंगानुपात, प्रवासन, स्वास्थ्य, नगरीकरण एवं नगर केन्द्र, अनुसूचित जातियां एवं अनुसूचित जनजातियां (भोटिया, थारू, जौनसारी, बॉक्सा एवं वनराजि इत्यादि), परिवहन मार्ग, औद्योगिक विकास एवं प्रमुख जलविद्युत परियोजनायें । 

पर्यावरण एवं वन आंदोलन : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य, प्राकृतिक संकट एवं आपदा प्रबंधन, चिपको एवं मैती आंदोलन आदि।



सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

पंचम प्रश्न – पत्र (आर्थिक एवं सामाजिक विकास)

समय : 03 घण्टे पूर्णाक : 200

मुख्य परीक्षा

आर्थिक एवं सामाजिक विकास : 

आर्थिक एवं सामाजिक विकास का अर्थ, मानव विकास सूचकांक (HDI) तथा मानव गरीबी सूचकांक।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ – स्वतंत्रता पूर्व एवं पश्चात् ।

भारत की जनगणना : सामाजिक एवं आर्थिक विशेषताएँ, जनसंख्या वृद्धि एवं आर्थिक विकास।

भारत के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में महिलाओं की भूमिका, भारतीय समाज पर वैश्वीकरण का प्रभाव – गरीबी एवं विकास। 

गरीबी रेखा तथा भारत में गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम । 

ग्रामीण एवं सामाजिक विकास योजनायें – कल्याण एवं विकासात्मक कार्यक्रम : स्वयं सहायता समूह, मनरेगा तथा समुदाय शक्ति संरचना, धारणीय विकास एवं समावेशी वृद्धि । 

राष्ट्रीय आय – मापन एवं सरंचना। 

भारत में क्षेत्रीय एवं आय विषमताएँ : इन्हें दूर करने के सरकारी प्रयास । 

भारतीय कृषि एवं उद्योग 

भारतीय आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका – कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों में अन्तर्संबंध।

कृषि की समस्यायें : भूमि सुधार, मृदा उर्वरता, साखपूर्ति, नाबार्ड, कृषि आर्थिक सहायतायें एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि। 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली : उद्देश्य, कार्य एवं खाद्यान्न सुरक्षा। 

औद्योगिक विकास एवं संरचना – सार्वजनिक, निजी एवं संयुक्त क्षेत्र, औद्योगिक रूग्णता, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का महत्व, आर्थिक विकास का सार्वजनिक–निजी साझेदारी प्रारूप।

औद्योगिक विकास में विदेशी पूंजी एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका, नई आर्थिक नीति का कृषि, उद्योग एवं विदेशी व्यापार पर प्रभाव। 

नियोजन एवं विदेशी व्यापार 

1951 के पश्चात भारत में नियोजन : उद्देश्य एवं उपलब्धियां, बाजार आधारित एवं नियोजित अर्थव्यवस्थाएँ : एक तुलनात्मक दृष्टिकोण, भारत का विदेशी व्यापार – मात्रा, संरचना एवं दिशा। 

निर्यात संवर्धन एवं आयात प्रतिस्थापन 

भुगतान संतुलन एवं अवमूल्यन।

विश्वव्यापार संगठन, बौद्धिक संपदा अधिकार के पहलुओं से संबंधित व्यापार (ट्रिप्स), व्यापार से संबंधित निवेश के उपाय (टिम्स), विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष (आई0एम0एफ0) एवं एशियन विकास बैंक (एडी0बी0)।

सार्वजनिक वित्त एवं मौद्रिक प्रणाली 

राज्य एवं केन्द्र सरकारों की आय के स्रोत।

कराधान, सार्वजनिक, व्यय एवं सार्वजनिक ऋणों के प्रभाव, आंतरिक एवं वाह्य ऋण, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर । 

बजटीय घाटा – राजस्व, प्राथमिक एवं राजकोषीय, राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, राजकोषीय नीति, केन्द्र राज्य वित्तीय संबंध एवं अद्यतन वित्त आयोग। 

मौद्रिक प्रबंधन – मौद्रिक नीति, साख निर्माण एवं साख नियंत्रण। 

भारतीय मौद्रिक प्रणाली – भारतीय रिजर्व बैंक (आर0बी0आई0) एवं व्यापारिक बैंकों की भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका। 

उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था 

राज्य की अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें। 

प्राकृतिक संसाधन : जल, वन, खनिज आदि ।

आधार संरचना : भौतिक – सड़क, रेल, एवं वायु यातायात 

संस्थात्मक – बैंक, स्वयं सहायता समूह (एस0एच0जी0), शिक्षा, ऊर्जा, संचार, स्वास्थ्य व आदि।

राज्य की आर्थिक रूपरेखा : राज्य घरेलू उत्पाद और इसके अवयव, प्रति व्यक्ति आय, आय के प्रमुख स्त्रोत, कृषि, वन उत्पाद, जल विद्युत परियोजनायें, पर्यटन आदि।

औद्योगिक विकास – समस्यायें एवं सम्भावनायें -वृहत, मध्यम, लघु एवं कुटीर उद्योग।

आर्थिक नियोजन : राज्य में नियोजन संबंधित चुनौतियां राज्य योजना आयोग। 

राज्य की प्रमुख आर्थिक समस्यायें : प्राकृतिक आपदायें, प्रवासन, पर्यावर्णीय ह्यस, परिवहन एवं संचार सुविधाओं का विकास आदि । 

कल्याणकारी कार्यक्रम : महिला सशक्तिकरण, मनरेगा, सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास आदि।


सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

षष्ठम प्रश्न-पत्र (सामान्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

समय : 03 घण्टे पूर्णाक : 200 

मुख्य परीक्षा

फिजिकल एंड केमिकल साइंस 

गति : भौतिक राशियों का मापन एवं मात्रक पद्धतिया; सरलरेखीय गति, वृत्तीय गति एवं कम्पन्निय गति; बल एवं गति के नियम; सार्वत्रिक गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत, ग्रेवटी, ग्रेवटी की त्वरणता, कृत्रिम उपग्रह, भारत के उपग्रह और उनकी हिस्टरी; कार्य, शक्ति एवं ऊर्जा; दाब की व्याख्या, वायुमण्डलीय दाब एवं हाईड्रोस्टेटिक दाब और उनकी रोजमर्रा की जिन्दगी में उपयोग; सतह पर खिंचाव; यांत्रिक तरंगे; श्रव्य, इन्फ्रासोनिक एवं पराश्रव्य तरंगे, और उनकी मुख्य विशेषताएं; भूकम्प और उसके कारण, एपिसेन्टर, सिस्मिक तरंगे और उनका प्रसारण; इलेक्ट्रोमेगनेटिक तरंगे, उनके प्रकार और विशेषताएं, एक्सरे, उनके प्रकार और मानवीय जीवन में उपयोगिताएं। 

लेजर का प्रारम्भिक ज्ञान, होलोग्राफी, रेडियोधर्मिता, नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय संलयन, विद्युतीय धारा, उसके रसायनिक, उष्मीय और मेगनेटिक प्रभाव; विद्युतीय मोटर; विद्युतीय जनरेटर और विद्युतीय ट्रांसफॉर्मर; विद्युतीय पावर प्लांट, घरों में पावर सप्लाई और इससे सम्बन्धित सावधानियां; मानवीय आंख, इसमें त्रुटियां, इनके कारण और रोकथाम; माइक्रोस्कोप और टेलिस्कोप; कन्डक्टर्स, सेमिकन्डक्टर्स और इन्श्यूलेटरस। 

ऊर्जा : नॉन-रिन्यूएबल और रिन्यूएबल ऊर्जा के स्त्रोत, ऊर्जाएं जैसे सोलर, हवा, बायोगैस, बायोमास, भूमीय ऊर्जा, टाईडल और दूसरी रिन्यूएबल स्त्रोत; सोलर एप्लायंसिस जैसे सोलर सैल, सोलर कूकर, पानी हिटर इत्यादि; बायोगैस – सिद्धांत और प्रक्रिया। 

भारत में ऊर्जा का प्रारूप : ऊर्जा की कमी में कठिनाईयां, सरकारी पौलिसी और प्रोग्राम्स पावर पैदा करने हेतु, नाभिकीय पावर प्रोग्राम, भारत की नाभिकीय पोलिसी–खास बातें, नाभिकीय पोलिसी के नये ट्रेण्डस–एन0पी0टी0 और सी0टी0बी0टी0, ऊष्मीय पावर प्रोग्राम, जलीय–विद्युतीय, पावर प्रोग्राम, पावर प्रसारण और राष्ट्रीय ग्रिड, ऐजेन्सीज और संस्थाएं जो ऊर्जा सुरक्षा में सम्मिलित हों, अनुसन्धान और डवलेपमेंट। 

प्रमाणु संरचना का प्रारम्भिक ज्ञान; तत्वों और यौगिकों के प्रकार; भौतिक और रसायनिक बंदलाव; अम्ल, क्षार, बफरज और साल्ट्स; pH स्केल; पीने के पानी के गुण और शुद्धिकरण के आधुनिक तरीकें; वाशिंग सोड़ा, बेकिंग सोड़ा, ब्लीचिंग पाउड़र एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस के बनाने की विधि के तरीके; इमारत के सामानों का तैयार करना – लाईम, सिमेंट, ग्लास, एलूमिनियम और स्टील; साधारणतय प्रयोग में आने वाले ड्राइज, डिटरजेन्ट्स, एक्सप्लोसिवेज, पेन्ट्स और वार्निसीज के बनाने के तरीके व गुण; पेट्रोलियम पदार्थों के गुण और उपयोग एल्कोहलज् (मीथेनॉल और इथेनॉल) बनाने की तरीके; पॉलीमरज-कृत्रिम फाइबर्स (नायलॉन और रेयॉन), कोमोड़ीटी प्लास्टिक्स (पॉलीथीलीन, पॉलीस्टाईरीन और पॉली विनाइल क्लोराइड), इंजीनियरिंग प्लास्टिक्स (एबी0एस0 और पॉली कार्बोनेट) तथा रबड़ (पॉली आइसोपरीन और पॉलीबुटाड़ाइन) के उपयोग; मेडीसन और उनके वर्गीकण के बारे में मूलभूत विचार; फूड प्रिजर्वेटिवसज्, एल्केलायड् (निकोटीन और कोकेन), कार्बोहाइड्रेट्स (ग्लूकोज, सुक्रोज और सैल्यूलोज) तथा स्टीरायड्ज (कोलेस्ट्रोल) का प्रारम्भिक अध्ययन।। 

स्पेस टेक्नोलॉजी : भारतीय स्पेस प्रोग्राम और इसके औद्योगिकी, एग्रीकल्चर, टेलीकम्यूनिकेशन, दूरदर्शन, शिक्षा और भारतीय मिज़ाइल प्रोग्राम के संदर्भ में उपयोग, रिमोट सेंसिग, जियोग्राफिकल सूचना सिस्टम (जी0आई0एस0) और मौसम की भविष्यवाणी में इसकी उपयोगिता, आपदा चेतावनी, पानी, तेल और मिनरल डवलेप्मेंट, शहरी प्लानिंग और ग्रामीण डवलेप्मेंट क्रियाएँ, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के बारे में और भारतीय रिमोट सेंसिग (आई0आर0एस0) उपग्रह सिस्टम।। 

जीवन विज्ञान 

जन्तु कोशिका की रचना एवं कार्य एवं कोशिकीय अवयव, जैविक अणु; स्तनधारियों के विभिन्न तंत्रों की मूल कार्यविधि जैसे- पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र, श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र, उत्सर्जन, एन्डोक्राइन, प्रजनन तंत्र, रक्त समूह, गुणसूत्र, सम्बद्धता, लिंग संबद्ध वंशानुगतता और लिंग निर्धारण, डी0एन0ए0 एंव आर0एन0ए0; आर्थिक जंतु विज्ञान (मछली एवं मत्स्योउत्पादन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन, वर्मी कल्चर, सुअर पालन, कुक्कुट पालन, दुग्ध उत्पादन इत्यादि); घरेलू एवं जंगली जानवर, जन्तुओं की मानव को उपयोगिता, जन्तुओं का मनुष्य द्वारा भोजन एवं दवा में प्रयोग। 

पादप एवं मानव, पौधों के विशिष्ट लक्षण, पादक कोशिका के लक्षण एवं कार्य तथा कोशिकीय अवयव, कवक, जीवाणु, विषाणु इत्यादि द्वारा पादप रोग एवं उसका निवारण, परिस्थतिकी तंत्र की रूपरेखा, खाद्यजाल एवं खाद्यचक्र, आर्थिक वनस्पति । 

जैव प्रौद्यागिकीः- जैव प्रौद्योगिकी का परिचय, इसकी मनुष्य जीवन को विकसित करने में विभिन्न पक्षों की उपयोगिता, एवं आर्थिक तंत्र, जैसे कृषि (जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, जैविक ईंधन, अनुवांशिक परिष्कृत फसलें), औद्योगिक विकास एवं रोजगार पैदा करना, जैव प्रौद्यागिकी के कृषि क्षेत्र जैसे औषधियां, मानव स्वास्थ्य लाभ, खाद्य प्रौद्यागिकी, ऊर्जा उत्पादन इत्यादि, सरकार के जैव प्रौद्यागिकी को देश में बढ़ावा देने के प्रयास । नैतिक, सामाजिक, विधिक एवं बौद्विक संपदा अधिकार जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित विकास में। 

आनुवंशिक अभियंत्रण का प्रस्तावना एवं प्रयोग तथा तना कोशिका शोध, नैनों तकनीक का कृषि, पशुपालन (क्लोनिंग एवं ट्रासजेनिक जन्तुओं में प्रयोग, इनविट्रो जनन एवं आनुवंशिक , परिवर्तित जीव इत्यादि )

पर्यावरण को साफ करने में जैव प्रौद्योगिकी, हाईब्रिड बीजों का उत्पादन तथा इसके बनाने की विधि, बी.टी. कपास तथा बी.टी. बैगन आदि, ऊतकीय संवर्धन एवं आणविक मारकर। 

सूक्ष्म जीव संक्रमणः जीवाणु, विषाणु, प्रोटोजोआ तथा कवक के मानव संक्रमण की प्रस्तावना। सूक्षम जीव द्वारा उत्पन्न संक्रमण की मूलभूत जानकारी जैसे- डायरिया, दस्त, कॉलेरा, टीबी, डेंगू, मलेरिया, इस्क्रब टाइफस, विषाणु संक्रमण जैसे- एड्स, एनसिफेलाइट्स, चिकनगुनिया, वर्ड फ्लू एवं फैलने के दौरान निवारक/रोकथाम के उपाय। 

जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियां, वैक्सीन की प्रारम्भिक जानकारी। 

प्रतिरक्षा के मौलिक सिद्धान्त। 

कम्प्यूटर, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा साइबर सुरक्षा : 

इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कम्प्यूटर की परिभाषा, कम्प्यूटर के तत्व एवं उसकी इकाईयां : इनपुट यूनिट, आउटपुट यूनिट, प्राथमिक भंडारण, द्वितीयक भंडारण एवं प्रोसेसिंग यूनिट। कम्प्यूटरों का वर्गीकरण, अनुप्रयोग, इतिहास एवं सीमा बंधन।

आँकड़ा, आँकड़ा प्रोसेसिंग, व्यापारिक आँकड़ा प्रोसेसिंग, आँकड़ा भण्डारण, फाईल प्रबंधन प्रणाली एवं डेटाबेस प्रबंधन ।

सॉफ्टवेयर एवं पी0सी0 सॉफ्टवेयर पैकजों का अनुप्रयोग : सॉफ्टवेयर की परिभाषा, सॉफ्टवेयरों का वर्गीकरण एवं इनका महत्व, वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट एवं पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण सॉफ्टवेयर पैकेजों का ज्ञान। 

सम्प्रेषण प्रणाली के मूलभूत तत्व, आँकड़ा पारेषण के तरीके, पारेषण मीडिया, नेटवर्क संस्थिति, नेटवर्क के प्रकार, सम्प्रेषण प्रोटोकाल एवं नेटवर्क सुरक्षा पद्धति। इंटरनेट की परिभाषा, खोज उपकरण, वेब ब्राउजर, ई-मेल एवं सर्च इंजन, आई टी अनुप्रयोग : इलेक्ट्रोनिक कार्डस, इलेक्ट्रोनिक्स खरीदारी एवं इलेक्ट्रोनिक व्यापार।

आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले तत्वों की भूमिका, संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साईटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, सुरक्षा में बायोमैट्रिक उपकरणों की भूमिका, आई टी एक्ट (2000) । सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियों एवं उनका प्रबंधन, संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच संबंध, विभिन्न सुरक्षा बलों /संस्थाओं द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों का प्रबंधन ।

पर्यावरणीय समस्या एंव आपदा प्रबंधन 

प्रदूषण के प्रकार एवं प्रबंधन-वायु, जल, भू, ध्वनि/शोरगुल, रेडियोधर्मिता एवं ई-(ईलेक्ट्रोनिक) कचरा, औद्योगिक कचरा एवं प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का प्रभाव, पुर्नचकण एवं पुर्नउपयोग। जलसंभर प्रबंधन, जलसंभर से सतत विकास। प्रदूषण नियंत्रण में मानव सहभागिता, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य, प्रदुषण का मानव और पौधों पर प्रभाव, शहरीकरण एवं औद्योगिक विकास।

वैश्विक पर्यावरण विषय 

जैसे – ग्रीन हाऊस प्रभाव, ग्रीन हाऊस गैसें एवं उनका निस्तारण। जलवायु परिवर्तन, अम्लवर्षा, वैश्विक ताप वृद्धि, ओजोन क्षरण, जैव विविधता एवं संरक्षण। हॉट स्पॉट जैव विविधता को खतरा, पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम (1986) एवं वन संरक्षण एक्ट, क्योटो प्रोटोकॉल, कार्बन क्रेडिट और कार्बन पद्धचिन्ह। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरणीय संरक्षण कार्यक्रम (यू0एन0ई0पी0), राष्ट्रीय उद्यान, सेन्चुरी, बायोस्फेयर रिजर्व एवं वानस्पतिक उद्यान, वाईल्ड लाइफ एवं प्रबंधन। मानव एवं जंगली जीव संघर्ष, भूकम्पीय संवेदनशील क्षेत्र, विकास एवं पर्यावरण। 

आपदा प्रबंधन 

आपदा की परिभाषा, प्रकृति, प्रकार एवं वर्गीकरण। प्राकृतिक आपदा के कारक तथा कम करने के प्रयास, आपदा प्रबंधन एक्ट (2005), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिकार (एन0डी0एम0ए0)

उत्तराखण्ड पुर्नवास एवं नवनिर्माण प्राधिकरण ; भूकम्प, बाढ़, बादल फटना, साइक्लोन सूनामी, भूमीय अपरदन, सूखा इत्यादि, आपदा को कम करने के प्रयासों को प्रभावित करने वाले कारक, उत्तराखण्ड हिमालय एवं अन्य हिमालय क्षेत्रों में आपदा, उत्तराखण्ड पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्रों की जरूरतें। मानव निर्मित आपदायें ; रासायनिक एवं नाभिकीय जोखिम/संकट (हजार्ड) इत्यादि। अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदायें एवं उनका प्रभाव। एन0डी0आर0एफ0 (राष्ट्रीय आपदा रिस्पॉन्स (अनुक्रिया) फोर्स) एवं एस0डी0आर0एफ0 (राज्य आपदा रिस्पॉन्स (अनुक्रिया) फोर्स)। राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर की समसमायिक घटनाओं का अध्ययन ।


सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

सप्तम प्रश्न-पत्र (सामान्य अभिरूचि एवं आचार शास्त्र) 

 

समय : 03 घण्टे पूर्णाक : 200 

मुख्य परीक्षा

सामान्य अभिरूचि पूर्णांक : 120

संख्यायें एवं उनका वर्गीकरण : प्राकृतिक, वास्तविक (परिमेय, अपरिमेय), पूर्णाक, संख्याओं का विभाजन एवं अभाज्य संख्यायें, वास्तविक संख्याओं पर संक्रियायें, वास्तविक संख्याओं के लिए घातांक नियम, पूर्णांक संख्याओं का लघुत्तम समापवर्त्य (LCM) एवं महत्तम समापवर्त्य (HCF) तथा उनमें सम्बन्ध एवं अन्तर।

अनुपात एवं उसके गुण, एक दी गई संख्या को एक दिए हुए अनुपात में व्यक्त करना, अनुपातों की तुलना, उनसे संबंधित समानुपात, दो या दो से अधिक संख्याओं का समानुपातिक सम्बन्ध। 

संख्या को दर प्रतिशत में और दर प्रतिशत को संख्या में बदलना, दी गई संख्या को अन्य संख्या के प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित करना, प्रतिशत का दशमलव में परिवर्तन तथा दशमलव का प्रतिशत में परिवर्तन, किसी संख्या पर प्रतिशत परिवर्तन का प्रभाव, किसी संख्या के प्रतिशत का द्विस्तरीय परिवर्तन, प्रतिशत अधिकता एवं प्रतिशत न्यूनता, वृद्धि प्रतिशत, लाभ/ हानि प्रतिशत, लागत मूल्य तथा विक्रय मूल्य में संबंध। 

साधारण ब्याज पर मूलधन (पी), दर (आर) तथा अवधि (टी) में परिवर्तन का प्रभाव, समान किस्तों में अदायगी, चक्रवृद्धि ब्याज जबकि ब्याज को वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, त्रैमासिक रूप से सम्मिलित किया जाता है, वृद्धि एवं ह्मस की दर, मूलधन, समय, ब्याज की दर ज्ञात करना, साधारण एवं चक्रवृद्धि ब्याज में अंतर।

कार्य एवं समय की आधारभूत अवधारणाओं पर प्रश्न । 

सरल रेखीय युगपत् समीकरण ।

समुच्चय, उपसमुच्चय, उचित उपसम्मुच्चय, रिक्त समुच्चय, समुच्चयों के बीच संक्रियाएं (संघ, प्रतिच्छेद, अन्तर), वेन आरेख। त्रिभुज, आयत, वर्ग, समलंब चतुर्भुज एवं वृत्त, उनकी रचना एवं गुण संबंधी प्रमेय तथा परिमाप और क्षेत्रफल, गोला, आयतकार एवं वृत्ताकार बेलन तथा शंकु तथा घन के आयतन एवं पृष्ठ क्षेत्रफल।

कार्तीय पद्धति, बिन्दु का आलेखन एवं दूरी सूत्र, विभाजन सूत्र, त्रिभुज का क्षेत्रफल ।

समरूपता, व्यवस्थिकरण, कारण और प्रभाव, वंश वृक्ष, पहेलियों पर आधारित प्रश्न, अनुक्रम एवं श्रेणी, वर्णमाला के अक्षरों पर आधारित प्रश्न, न्यायबद्ध, वक्तव्य और निर्णय, घड़ी पर आधारित प्रश्न।

आंकड़ों की सार्थकता, पर्याप्तता, संग्रह, आंकड़ों का वर्गीकण, बारम्बारता, संचयी बारम्बारता, सारणीयन एवं आंकड़ों का निरूपण : सरल, बहुदण्ड तथा उपविभाजित दण्ड आरेख, पाई आरेख, आयत चित्र, बारम्बारता वक्र, बारम्बारता बहुभुज, तोरण, आकड़ों का विश्लेषण एवं व्याख्या।

समान्तर माध्य, गुणोत्तर माध्य, हरात्मक माध्य, माध्यिका, बहुलक, विभिन्न प्रेक्षणों का सामूहिक माध्य, किसी समूह के अवयवों को बढ़ाकर अथवा कम करके माध्य निकालना, चतुर्थक, दशमक और शतमक। 

प्रायिकता की शास्त्रीय एवं सांख्यिकीय परिभाषा, प्रायिकता के जोड़ एवं गुणा प्रमेय, सरल उदाहरणों सहित, घटनाएं, समष्टि क्षेत्र।

आचार शास्त्र पूर्णांक : 80 

इस खण्ड में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में अभ्यर्थियों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, दृष्टिकोण, मनोवृत्ति , नैतिक आचरण एवं इससे संबंधित केस स्टडी जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा।

भावनात्मक/मनोवैज्ञानिक/मानववादी समझ, अवधारणाएं तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग। 

नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंध, मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्व, इसके निर्धारक और परिणाम, नीतिशास्त्र के आयाम, निजी और सार्वजनिक सम्बन्धों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य, महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा, मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका । 

अभिवृत्ति, सारांश (कन्टेन्ट), संरचना, वृत्तिय विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध, नैतिक और राजनैतिक अभिरूचि, सामाजिक प्रभाव और धारणा। 

सिविल सेवा के लिए अभिरूचि तथा बुनियादी मूल्य, सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना।

राज्य, भारत तथा विश्व के नैतिक विचार को तथा दार्शनिकों के योगदान ।

लोक प्रशासनों में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र, स्थिति तथा समस्याएं, सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएं तथा दुविधाएं, नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतरात्मा, शासन व्यवस्थाओं में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का रूपान्तरण, अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों तथा विविध व्यवस्था (फंडिग) में नैतिक मुद्दें, कारपोरेट शासन व्यवस्था।

शासन व्यवस्था में ईमानदारी, लोक सेवा की अवधारणा व शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता। 

सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां, बदलते परिवेश में लोक सेवकों की चुनौतियां ।

आपदा एवं आपदा प्रबंधन, प्रचलित/सहायक विधि के अन्तर्गत तकनीकी का विकास, आपदा एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में लोक सेवकों की भूमिका। 

उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडी)

 

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