81. सऊदी अरब साम्राज्य ने निम्नलिखित में से किस स्थान पर दक्षिण पूर्व एशिया में मैत्री और सहयोग की संधि (टीएसी) में शामिल होने के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए हैं ?
(A) नेपीडॉ, म्यांमार
(B) बैंकॉक, थाईलैंड
(C) जकार्ता, इंडोनेशिया
(D) वियतनाम, कंबोडिया
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82. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की स्थापना के लिए सम्मेलन कहाँ हुआ था ?
(A) मुंबई
(B) तेहरान
(C) कतार
(D) बगदाद
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83. भारत के पहले नियोजित आधुनिक शहर की आधिकारिक भाषा निम्नलिखित में से कौन सी है ?
(A) पंजाबी
(B) हरियाणवी
(C) हिंदी
(D) अंग्रेजी
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चंडीगढ़, भारत का प्रथम नियोजित नगर है, जिसका डिजायन एक फ्रेंच आर्किटेक्ट ‘ली कार्बूजिए’ ने तैयार किया था। इसकी आधिकारिक भाषा पंजाबी हैं।
84. निम्नलिखित में से किससे संबंधित एकमात्र उदाहरण है, जब भारत के राष्ट्रपति ने अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग किया ?
(A) दहेज निषेध विधेयक
(B) भारतीय डाकघर (संशोधन) विधेयक
(C) पीईपीएसयू (PEPSU) विनियोग विधेयक
(D) हिंदू कोड विधेयक
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85. खाशाबा दादासाहेब जाधव निम्नलिखित में से किस खेल में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे ?
(A) एथ्लेटिक्स
(B) शूटिंग
(C) कुश्ती
(D) तैराकी
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86. राष्ट्रीय समुद्र – विज्ञान संस्थान (NIO) का मुख्यालय निम्नलिखित में से किस स्थान पर है ?
(A) डोना पौला, गोवा
(B) विशाखापट्नम, आंध्र प्रदेश
(C) मुंबई, महाराष्ट्र
(D) कोच्चि, केरल
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87. निम्नलिखित में से किस भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ने “हिंट्स फॉर सेल्फ-कल्चर” नामक पुस्तक लिखी थी ?
(A) लाला लाजपत राय
(B) बाल गंगाधर तिलक
(C) लाला हरदयाल
(D) रवीन्द्रनाथ टैगोर
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88. उस जलडमरूमध्य का नाम बताइए जो जावा सागर को हिन्द महासागर से जोड़ता है ।
(A) बोस्फोरस जलडमरूमध्य
(B) मलक्का जलडमरूमध्य
(C) सुंडा जलडमरूमध्य
(D) फॉर्मोसा जलडमरूमध्य
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89. ऋषि मनु के अनुसार, पुरानी पवित्र नदियों सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ________ के नाम से जाना जाता था ।
(A) इंद्रप्रस्थ
(B) तक्षशिला
(C) वर्णावत
(D) ब्रह्मवर्त
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90. गुजरात के छोटाउदेपुर क्षेत्र में आमतौर पर पिथौरा को प्रसाद के रूप में केवल पुरुषों द्वारा बनाए गए भित्ति चित्र (Wall Murals) अर्पण किये जाते हैं । यहाँ, “पिथौरा” का अर्थ ________ है ।
(A) अन्न के देवता
(B) वन के देवता
(C) लकड़ी के देवता
(D) अग्नि के देवता
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र. 91-95)
आज किसी भी व्यक्ति का सबसे अलग एक टापू की तरह जीना संभव नहीं रह गया है । भारत में विभिन्न पंथों और विविध मत-मतांतरों के लोग साथ-साथ रह रहे हैं। ऐसे में यह अधिक ज़रूरी हो गया है कि लोग एक-दूसरे को जानें; उनकी ज़रूरतों को, उनकी इच्छाओं-आकांक्षाओं को समझें उन्हें तरजीह दें और उनके धार्मिक विश्वासों, पद्धतियों, अनुष्ठानों को सम्मान दें । भारत जैसे देश में यह और भी अधिक ज़रूरी हैं, क्योंकि यह देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है । स्वामी विवेकानंद इस बात समझते थे और अपने आचार-विचार में अपने समय से बहुत आगे थे । उनका दृढ़ मत था कि विभिन्न धर्मों- संप्रदायों के बीच संवाद होना ही चाहिए। वे विभिन्न धर्मों- संप्रदायों की अनेकरूपता को जायज़ और स्वाभाविक मानते थे । स्वामी जी विभिन्न धार्मिक आस्थाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के पक्षधर थे और सभी को एक ही धर्म का अनुयायी बनाने के विरुद्ध थे । वे कहा करते थे, “यदि सभी मानव एक ही धर्म को मानने लगें, एक ही पूजा- पद्धति को अपना लें और एक-सी नैतिकता का अनुपालन करने लगें, तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी, क्योंकि यह सब हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए प्राणघातक होगा तथा हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से काट देगा । हमें सभी धर्म-संप्रदाय पंथ- विचारों के लोगों को और उनकी विचारधाराओं और उपासना पद्धतियों को उचित सम्मान देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को चाहे वह किसी जाति-धर्म और भाषा से सम्बंधित है, प्रकृति ने समान बनाया है । सभी मनुष्यों में एक ही परमात्मा का वास है । जागतिक विकास की दृष्टि से कोई पिछड़ा हो सकता है। यदि कोई पिछड़ा हुआ है तो उसे अपने साथ ले लेने से मानवता खिल उठती है ।
91. ‘आध्यात्मिक’ शब्द में क्रमशः उपसर्ग, मूल शब्द और प्रत्यय हैं ?
(A) आधि + आत्मा + क
(B) आधि + आत्म + इक
(C) अध्य + आत्म + इक
(D) अधि + आत्म + इक
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92. ‘स्वामी विवेकानंद इस बात को समझते थे और अपने आचार-विचार में अपने समय से बहुत आगे थे ।’ वाक्य का प्रकार है
(A) सामान्य वाक्य
(B) विधिवाचक वाक्य
(C) संयुक्त वाक्य
(D) मिश्रित वाक्य
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93. गद्यांश के अनुसार धर्म-सम्प्रदायों के विषय में विवेकानंद का विचार था कि
(A) सभी धर्म समान हैं और धर्म-सम्प्रदायों की अनेकरूपता जायज़ और स्वाभाविक है ।
(B) भारत में केवल एक धर्म का पालन होना चाहिए ।
(C) हिन्दुओं को भारत में रहने और अपना धर्मपालन करने का अधिकार है ।
(D) केवल हिन्दू धर्म की पूजा पद्धति सही है
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94. हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए क्या प्राणघातक होगा ?
(A) भारत में अनेक धर्मों का पालन ।
(B) पिछड़े लोगों पर अन्याय करना ।
(C) भारत में एक से अधिक धार्मिक विश्वासों का अपनाना ।
(D) भारत जैसे देश में किसी एक धर्म का पालन
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95. मानवता कब खिल उठती है ?
(A) जब एकाधिक धर्मो को मानने वाले साथ रहते हैं।
(B) जब सभी का आध्यात्मिक विकास होगा ।
(C) जब सभी में स्थित एक परमात्मा को ही एकमात्र सत्य स्वीकार किया जाता है ।
(D) जब पिछड़ों को सहारा दिया जाता है ।
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र: 96 – 100)
इस रत्नगर्भा वसुंधरा के अंतः स्थल में हीरे-मणि- माणिक्य और सम्पदा का अभाव नहीं है । धरती का विस्तीर्ण अतल गर्भ अनंत धनराशि से भरा पड़ा है । आवश्यकता है, इसके वक्ष को चीरकर उन्हें उगलवा लेने वाले दृढ़ संकल्प और साहस की । धरती के अंदर विद्यमान धनराशि के कारण ही धरती वसुंधरा कहलाती है। इस धरा पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यदि भाग्य में नहीं है तो हथेली पर आई वस्तु भी नष्ट हो जाती है । जब हम अपना चिंतन केवल भाग्यवाद को आधार मानकर करते हैं, तो हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं करते । प्रयत्न के अभाव में फल भी नहीं मिलता और लोग भाग्य को दोष देते रहते हैं । ऐसे भाग्यवादी लोगों को कायर माना जाता है । अकूत सम्पदा तो उसी को मिल सकती है जो पूर्ण संकल्प के साथ कार्य में प्रवृत्त हो । जैसे अर्जुन का ध्यान पक्षी की बेधे जाने वाली आँख पर था, उसी प्रकार जो लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ होकर सतत प्रयासशील रहता है, समय के परिपाक के साथ उस लक्ष्य को पाने में सफल हो जाता है । ऐसे लोग जो भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और प्रतीक्षा करते रहते हैं कि अली बाबा की सिम-सिम वाली गुफा का द्वार कब खुलता है, उन्हें जब असफलता का अँधेरा अपने चारों ओर घिरता दिखाई देता है, तब वे पछतावा करते हैं कि उन्होंने व्यर्थ ही समय गँवा दिया । मनुष्य के पास सभी कुछ पा लेने की क्षमता होती है, पर कैसे उसे पाया जाएगा उसके लिए संपूर्ण निर्णयशक्ति, दृढ़ संकल्प और अपेक्षित परिश्रम आवश्यक है। कई बार लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच कर हम प्रयत्न करना छोड़ देते हैं और भाग्य को दोष देते हैं । भाग्य जैसी कोई वस्तु या तो होती ही नहीं है और या परिश्रम की चाबी. के साथ मिलकर भाग्य की चाबी काम करती है । भाग्य की अकेली चाबी सफलता के ताले को नहीं खोल सकती । इसीलिए कवि तुलसीदास ने कहा है- कायर मन कर एक अधारा । दैव दैव आलसी पुकारा ॥
96. भाग्य को कौन लोग दोष देते रहते हैं ?
(A) जो परिश्रमशील होते हैं और सफल हो जाते हैं ।
(B) जिनको पहले से पता होता है कि उन्होंने मेहनत- नहीं की है और वे सफल होने वाले नहीं हैं।
(C) जो किसी भी परिस्थिति का सामना करने के. लिए तैयार रहते हैं ।
(D) जो प्रयत्न के अभाव में फल न मिल पाने के कारण बचाव का बहाना खोजते हैं।
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97. ‘परिश्रम’ शब्द कौन सी व्याकरणिक इकाई है ?
(A) संज्ञा
(B) क्रिया-विशेषण
(C) विशेषण
(D) सर्वनाम
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98. जब हम अपना चिंतन केवल भाग्यवाद को आधार मानकर करते हैं तब क्या होता है ?
(A) हम सफल हो जाते हैं ।
(B) संपूर्ण निर्णयशक्ति, दृढ़ संकल्प और अपेक्षित परिश्रम करने के कारण सफलता पा लेते हैं ।
(C) हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न नहीं करते हैं और असफल होते हैं ।
(D) हम पूरी तरह से मेहनत करते हैं।
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99. जीवन में भाग्य का फल किसको मिलता है ?
(A) जो भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं और प्रतीक्षा करते रहते हैं कि अली बाबा की सिम-सिम वाली गुफा का द्वार कब खुलता है ।
(B) जो दैव-दैव पुकार कर सफलता के ताले को खोलने का प्रयास करते हैं ।
(C) जो परिश्रम की चाबी के साथ भाग्य की चाबी मिलाकर सफलता का ताला खोलने का प्रयास करते हैं ।
(D) जो भाग्य की अकेली चाबी से सफलता के ताले को खोलने का प्रयास करते हैं ।
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100. गद्यांश में कायर किसको माना गया है ?
(A) जो युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग जाए ।
(B) जो मेहनत करने से पीछे न हटे।
(C) जो पड़ोसी के ललकारने पर घर के अंदर छिप जाए ।
(D) जो अपेक्षित परिश्रम से डरकर भाग्य का आश्रय ले ।
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Nice 👍
Exam achha tha bs thoda bahot to dikkat ayega hi pr sb thik tha kuchh questions to confusion Wale the
Doing Great work… actually exam dene ke bad analysis ke Liye hum Kuch esa hi chahte Hain ki eksath sb answers mile…so thanks for the exam pillar Team
Sir Question Number
26
41
44
45
47
70
71
79
83
95
Ko Ek Bar Si Se Answer Kijiye Shayad Galat Hain Inme Kuch Apke Dwara Bataye Gaye.
101% सही है भाई
Thank you so much sir…… Ek line se aapne saare question ka answer diya 🙏
Cut off kya
Sir jisme gandhi ji lagoti pahni thi uska answer 1913 hai jo option me bhi nhi tha to aap a bataye ki Esme hm logo ki kya galti thi or baccho ke future se khel khelna kaha tk sahi hai