विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
(University Grants Commission)
इतिहास
- 1945 – UGC का गठन पहली बार में अलीगढ़ , बनारस और दिल्ली के तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों के काम की देखरेख के लिए किया गया था ।
- 1947 – UGC की जिम्मेदारी बढ़ाकर सभी भारतीय विश्वविद्यालयों को शामिल कर लिया गया।
- 1948–49 – राधाकृष्णन आगोग की सिफारिश।
- 28 दिसंबर 1953 – शिक्षा, प्राकृतिक संसाधन और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा उद्घाटन किया गया।
- नवंबर 1956 – संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार का एक वैधानिक संगठन बन गया।
परिचय
- स्थापना – 1956
- मुख्यालय – नई दिल्ली
- क्षेत्रीय कार्यालय – 6 (बेंगलुरु, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे)
- वर्त्तमान अध्यक्ष – डॉ. ममीडाला जगदीश कुमार
- प्रथम अध्यक्ष – डॉ. शांति स्वरूप भटनागर
- UGC का आदर्श वाक्य – ज्ञान-विज्ञान विमुक्तये
उद्देश्य
- देश में विश्वविद्यालय शिक्षा के मानकों के समन्वय, निर्धारण और रखरखाव की निगरानी करना था।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य
- विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को अनुदान प्रदान करता है।
- शैक्षिक मानकों का निर्धारण।
- विश्वविद्यालयों को मान्यता देना।
- शोध को बढ़ावा ।
- समन्वय और नियमन
- शिक्षक विकास कार्यक्रम।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा विनियमित विश्वविद्यालय
भारत में विभिन्न प्रकार के विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने नियम और समर्थन हैं :-
- केंद्रीय विश्वविद्यालय: केंद्र सरकार द्वारा स्थापित, ये आमतौर पर बड़े और प्रसिद्ध होते हैं।
- राज्य विश्वविद्यालय: प्रत्येक राज्य संचालित, इनके अक्सर छोटे शहरों में कई संबद्ध कॉलेज होते हैं।
- डीम्ड यूनिवर्सिटी: अपनी उत्कृष्टता के लिए पहचाने जाने वाले विशेष संस्थान। उन्हें अपने नियम स्वयं निर्धारित करने की कुछ स्वतंत्रता दी जाती है।
- निजी विश्वविद्यालय: केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित, ये डिग्री प्रदान कर सकते हैं। वे अक्सर विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनके पास राज्य विश्वविद्यालयों की तरह संबद्ध कॉलेज नहीं हो सकते।
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए सितंबर 1994 में बैंगलोर में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) की स्थापना की।
NAAC के प्रमुख कार्य:
- मूल्यांकन और प्रत्यायन
- गुणवत्ता मानकों की स्थापना
- आवधिक मूल्यांकन
- संस्थानों को समर्थन और मार्गदर्शन
- रिपोर्ट और परिणाम
- शिक्षण और शोध में सुधार
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की प्रमुख आलोचनाएँ
- शिक्षा का राजनीतिकरण
- नीतिगत अशांति और मनमाने निर्णय
- अंतर्राष्ट्रीयता का अभाव
- भौगोलिक असंतुलन
- शोध के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी
- समाज की बदलती आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी
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