बैंक और वित्तीय क्षेत्र
- पिछले एक वर्ष में वाणिज्यिक बैंकों के फंसे कर्ज में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई। पिछले चार वर्षों में चार लाख करोड़ से अधिक की कर्ज वसूली हुई।
- सात वर्षों में प्रावधान कवरेज अनुपात सात वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर।
- घरेलू ऋण वृद्धि दर बढ़कर 13.8 प्रतिशत पर पहुंची।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए किए गए उपाय : –
- ऋण क्षमता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव।
- ऑनलाइन व्यक्तिगत ऋण, घर तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने तथा एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के ग्राहक द्वारा सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में बैंकिंग सेवाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए बैंकों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना।
- खाताधारकों को किसी अन्य द्वारा उनके खातों में जमा की गई राशि पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त बनाने के उपाय करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधन को सशक्त बनाने के लिए सुधार।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
- वित्त विधेयक में गैर-बैंकिंग कंपनियों पर रिजर्व बैंक के विनियामक अधिकारों को सशक्त बनाने का प्रस्ताव।
- एनबीएफसी को पब्लिक इश्यू के जरिये धन जुटाने के लिए डीआरआर का सृजन करने की आवश्यकता समाप्त कर दी जाएगी।
- सभी गैर-बैंकिंग कंपनियोंको टीआरईडीएस प्लेटफॉर्म में सीधे भाग लेने की अनुमति देने के लिए कदम उठाये जाएंगे।
- आवास संबंधी सभी वित्तीय क्षेत्र के विनियमन का अधिकार, एनएचबी से लेकर वापस आरबीआई को सौंपने का प्रस्ताव।
- अगले पांच वर्षों में अवसंरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ का निवेश करने की योजना।
- एनपीएस ट्रस्ट को पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से अलग रखने के प्रयास किये जाएंगे।
- नेट ओन्ड फंड की जरूरत को 5,000 करोड़ से कम करके 1,000 करोड़ करने का प्रस्ताव।
- देश में अंतर्राष्ट्रीय बीमा कारोबार की सुविधा प्रदान करने का प्रस्ताव।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्रों में विदेशी बीमाकर्ताओं की शाखा खुलवाने की व्यवस्था।
गैर-वित्तीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान
- सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विनिवेश के जरिये 1,05,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
- सरकार एयर इंडिया में विनिवेश की रणनीति फिर से शुरू करेगी और निजी क्षेत्रों को और साथ ही निजी क्षेत्रों की रणनीतिक भागीदारी के लिए और भी सीपीएसई को मौका देगी।
- सरकार पीएसयू की रणनीतिक बिक्री का भी रास्ता अपनाएगी तथा गैर-वित्तीय क्षेत्रों में पीएसयू को मजबूत तथा सुसंगठित बनाये रखने का काम जारी रहेगी।
- सरकार पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत बनाये रखने की नीति में आवश्यकता आने पर संशोधन करने पर विचार कर रही है।
- सरकार द्वारा 51 प्रतिशत हिस्सेदारी कम करने के मामले में सरकार के नियंत्रण वाले संस्थानों की हिस्सेदारी को भी शामिल किया जाएगा।
- निवेश के लिए अतिरिक्त व्यवस्था।
- सरकारी सीपीएसई में अपनी हिस्सेदारी को फिर से ठीक करने की तैयारी में।
- बैंक अपने शेयरों की ज्यादा बिक्री के जरिये बाजार में अपनी पैठ बनाने की तैयारी में।
- सरकार, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) की तर्ज पर ईटीएफ में निवेश का एक विकल्प प्रदान करेगी।
- सरकार, सभी सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों में जनता की 25 प्रतिशत भागीदारी के मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगी। सभी पीएसयू कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी को उभरते हुए बाजार सूचकांक के अनुरूप अधिकतम स्वीकृत सीमा तक बढ़ाया जाएगा।
- सरकार, विदेशी बाजारों में विदेशी मुद्रा में अपनी सकल उधारी कार्यक्रम के एक हिस्से को बढ़ाना शुरू करेगी। इससे घरेलू बाजार सरकारी प्रतिभूतियों की मांग पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।
- लोगों के इस्तेमाल के लिए जल्द ही एक रुपये, दो रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के नये सिक्के उपलबध होंगे।
डिजिटल भुगतान
- बैंक खाते से एक वर्ष में एक करोड़ से अधिक की नकदी निकासी पर 2 प्रतिशत के टीडीएस का प्रस्ताव।
- ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठान, जिसका वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपये से अधिक है, वे अपने ग्राहकों को कम लागत वाली डिजिटल भुगतान सुविधा बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए व्यापारियों या ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त प्रभार नहीं लगाया जाएगा।