UKPSC Lecturer Syllabus (History)

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October 31, 2024

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
इतिहास (History) 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (इतिहास)

प्राचीन भारतः

  • प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के स्रोतः पुरातात्विक स्रोत, पुरालेख शास्त्र, मुद्राशास्त्र, साहित्यिक स्रोत यात्रा-वृतान्त । मानव का उद्विकासः पुरापाषाण, मध्यपाषाण एवं नवपाषाण युग ।
  • सिन्धु घाटी की सभ्यताः उद्गम तिथि, विस्तार, विशेषताएं और पतन ।
  • वैदिक युगः समाज का उद्विकास, अर्थव्यवस्था, धर्म एवं राजव्यवस्था; वैदिक साहित्य ।
  • सोलह महाजनपद और मगध साम्राज्य का अभ्युदय
  • नवीन धर्मों का युगः जैन एवं बौद्ध मत- उनकी मुख्य शिक्षाएं, विस्तार एवं पतन ।
  • विदेशी आक्रमणः ईरान तथा मकदूनिया के प्रभाव।
  • मौर्य साम्राज्यः मौर्य साम्राज्य की नींव – चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक तथा उसका धम्म, मौर्य प्रशासन, समाज एवं अर्थव्यवस्था, कला, और मौर्यो साम्राज्य का पतन ।
  • मौर्योत्तर भारतः हिन्द-यवन, शक, कुषाण, पह्नव तथा पश्चिमी क्षत्रपः समाज, कला एवं स्थापत्य, सातवाहन; संगम युग संगम साहित्य सम्राट खारवेल अर्थव्यवस्था ।
  • गुप्त साम्राज्यः स्थापना – श्रीगुप्त, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्र गुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य), स्कन्दगुप्त और उत्तरवर्ती गुप्त सम्राट; विस्तार तथा पतन, प्रशासन, समाज एवं संस्कृति, कला एवं स्थापत्य, व्यापार, जाति व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था – नालन्दा, विक्रमशिला तथा वल्लभी विश्वविद्यालय विदेशों से सम्बन्ध ।
  • वाकाटक: मौखरी हर्ष-युगः उसकी राजनैतिक तथा धार्मिक उपलब्धियां ।
  • नवीन शक्तियों का अभ्युदय – बादामी के चालुक्य, कदम्ब प्रशासन, वैष्णव एवं शैव मत – शंकराचार्य ।
  • कल्याणी के चालुक्य, चोल होयसल पाड्य एवं पल्लव – प्रशासन तथा स्थानीय शासन; कला एवं स्थापत्य; अर्थव्यवस्था एवं व्यापार, श्री लंका तथा दक्षिण पूर्व एशिया से सम्बन्ध ।
  • कामरूप के वर्मन और पाल, प्रतिहार, राष्ट्रकूट, परमार, चंदेल, कल्चुरी, चेदि, सेन, गुजरात के चालुक्य, इस्लान का आक्रमण- मुहम्मद- – बिन – कासिम, महमूद गजनी, अल्बेरुनी ।

मध्यकालीन भारत :

  • स्रोतः पुरातात्विक स्रोत, पुरालेख एवं मुद्राशास्त्र, स्मारक, साहित्यिक स्रोत- फारसी, संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाएं, विदेशी यात्रीयों के अभिलेख ।
  • सल्तनत काल – गौरी, तुर्क, खिलजी, तुगलक, सैय्याद और लोदी। प्रशासन, अर्थव्यवस्था और समाज- स्त्रियों की दशा, संस्कृति, कला और स्थापत्य, धार्मिक आन्दोलन – सूफी और भक्ति आन्दोलन, शिक्षा एवं साहित्य, दिल्ली सल्तनत का पतन एवं क्षेत्रीय शक्तियों का अभ्युदय ।
  • विजयनगर और बहमनी राज्य – उनका विस्तार, प्रशासन, समाज और संस्कृति, अर्थव्यवस्था और स्थापत्य, साहित्य, पतन के कारण।
  • मुगलों का आरोहण – बाबर से औरंगजेब तक और उत्तरवर्ती मुगल, अफगान – अन्तराल – शेरशाह सूरी और उसके सुधार।
  • मुगल प्रशासन – भू-सुधार, मनसबदारी और जागीरदारी व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं वाणिज्य- आन्तरिक तथा बाह्य, समाज तथा संस्कृति, कला एवं स्थापत्य – हिंद – मुगल स्थापत्य; चित्रकला, संगीत, साहित्य – फारसी, संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाएं ।
  • मुगल साम्राज्य का विघटन – कारण।
  • शिवाजी और मराठा शक्ति का अभ्युदय – मराठा संघ – विस्तार, प्रशासन, समाज एवं संस्कृति, मराठा शक्ति का पतन।

आधुनिक भारत-

  • स्रोत – पुरातात्विक और अभिलेखीय सामग्री – सिक्के एवं इमारतें, साहित्य – यूरोपीय एवं भारतीय जीवनवृत्त तथा संस्मरण, यात्रावृत्तान्त, समाचारपत्र, मिशनरी सहित्य ।
  • औपनिवेशिक शक्तियों का आगमन तथा ब्रिटिश साम्राज्य का अभ्युदय एवं सृदृढीकरण, यूरोपीय व्यापारी तथा अन्तर – औपनेवेशिक प्रतिस्पर्धा – पुर्तगाली, डच, अंग्रेज तथा फ्रांसीसी ।
  • ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रमुख भारतीय राज्यों के साथ सम्बन्ध – बंगाल, अवध, हैदराबाद, मैसूर, मराठा तथा सिक्ख।
  • ईस्ट इंडिया कम्पनी तथा ताज के आधीन प्रशासन – कम्पनी के अधीन केन्द्रीय तथा प्रान्तीय प्रशासन का विकास (1773-1853 ); परमोच्च शक्ति, सिविल सेवा, न्याय-व्यवस्था, पुलिस तथा सेना ।
  • ब्रिटिश शासन में अर्थव्यवस्था – अर्थव्यवस्था का बदलता परिदृश्य, ‘दि ट्रिब्यूट कृषि का विस्तार एवं वाणिज्यीकरण, अकाल एवं महामारी, भू-अधिकार, भू-व्यवस्था, ग्रामीण ऋणग्रस्तता, हस्तशिल्प का अधःपतन, ब्रिटिश औद्योगिक नीति; प्रमुख उद्योग; फैक्ट्री अधिनियम, श्रमिक एवं मजदूर संघ के आन्दोलन ।
  • मौद्रिक नीतिः बैंक व्यवस्था, रेल तथा भूतल परिवहन ।
  • संक्रमणाधीन भारतीय समाजः ईसाई धर्म – आगमन, मिशनरी गतिविधियाँ तथा जनसामान्य को तत्तसम्बन्धी लाभः शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थविज्ञान ।
  • ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत शैक्षणिक व्यवस्था ।
  • भारतीय पुनर्जागरण – सामाजिक-धार्मिक आन्दोलन और इसके मुख्य प्रवर्तक।
  • प्रिंटिंग प्रेस का अभ्युदय – पत्रकारिता सम्बन्धी गतिविधियाँ, तथा जनमत निर्माण में इसकी सहभागिता ।
  • स्वाधीनता संघर्षः भारतीय राष्ट्रवाद का उद्भवः राष्ट्रीय आन्दोलन का सामाजिक एवं आर्थिक आधार ।
  • 1857 का विद्रोहः कारण एवं परिणामः – विभिन्न आन्दोलन – जनजातीय एवं कृषक आन्दोलन को समाहित करते हुए ।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म तथा विकास- प्रारम्भिक वर्ष – 1885-1920 ।
  • वामपंथी दल तथा भारत में वामपंथी राजनीति ।
  • स्वदेशी आन्दोलन – बंग-भंग, देश तथा विदेश में भारतीय क्रान्तिकारियों की गतिविधियां ।
  • गाँधी तथा गाँधीवादी आन्दोलन
  • दलित समाज से सम्बन्धित आन्दोलन, जस्टिस पार्टी, अम्बेडकर पेरियार । साम्प्रदायिक राजनीति का अभ्युदय तथा जिन्ना का उद्भव ।
  • आजाद हिन्द फौज तथा सुभाष चन्द्र बोस ।
  • स्वतन्त्रता प्राप्ति की ओर एवं भारत का विभाजन । भारतीय संविधान का निर्माण, राष्ट्रीय आन्दोलन में उत्तराखण्ड का योगदान ।

विश्व का इतिहासः

  • विश्व इतिहास का परिचय
  • प्रारम्भिक समाज – आरंभिक समय से भूमिका; अफ्रीका, यूरोप 15000 ई०पू० तक, प्रारम्भिक शहरः ईराक, तीसरी सहस्राब्दि ई०पू०
  • साम्राज्यः भूमिका, तीन महाद्वीपों में फैला रोमन साम्राज्य 27 ई०पू० से 600 ई०पू० ।
  • मध्य इस्लामिक भूमिः 7वीं से 12वीं ई0 तक
  • आदिवासी साम्राज्यः मंगोल 13वीं से 14वीं ई० तक ।
  • परिवर्तित परम्पराएं: भूमिका, तीन आदेश पश्चिमी यूरोप, 13वीं से 16वीं ई0 तक 14वी. से 17वीं सदी तक यूरोप में परिवर्तनशील सांस्कृतिक परम्पराएं ।
  • यूरोप में क्रांतियां – फ्रांसिसी कांति, रूसी क्रांति ।
  • सांस्कृतिक संघर्ष: 15वीं से 18वीं सदी तक अमेरिका ।
  • आधुनिकीकरण की ओर: भूमिका, औद्योगिक क्रान्ति और कृषि क्रांति ।
  • मूल निवासियों का विस्थापनः उत्तरी अमेरिका और आस्ट्रेलिया 18वीं से 20वीं सदी तक ।
  • आधुनिकीकरण की ओरः पूर्वी एशिया 19 वीं सदी के पश्चात् से 20 वीं सदी।
  • प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के मध्य यूरोप ।
  • महामंदी तथा न्यू डील ।
  • नाजीवाद तथा फासीवाद
  • चीन में साम्यवाद का प्रभाव – कुओमिन्टांग तथा माओ की लम्बी पदयात्रा सयुंक्त राष्ट्र संघ शीत युद्ध तथा शक्ति संतुलन, गुटनिरपेक्ष आन्दोलनः स्वातंत्र्योत्तर भारत की वैदेशिक नीति ।

 

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