UKPSC Lecturer Syllabus (Geography)

UKPSC Lecturer Syllabus (Geography)

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
भूगोल (Geography) 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (भूगोल)

1. भूगोल, एक विषय के रूप में

  • परिभाषा, वितरणों के विज्ञान के रूप में, स्थानिक भिन्नताओं के विज्ञान समाग्रही एवं समाकलन अनुशासन के रूप में भूगोल ।
  • भूगोल की विषय-वस्तु
  • भूगोल की प्राथमिक शाखाएँ: भौतिक एवं मानव
  • भूगोल में प्रमुख दृष्टिकोणः निश्चयवाद, संभववाद, नव- निश्चयवाद एवं संभाव्यवाद
  • विषय की अनुपयोगिता

2. भौतिक भूगोल

भू-आकृति विज्ञान

  • पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास, पृथ्वी का अभ्यन्तरः महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त तथा प्लेट विवर्तनिकी की संकल्पना
  • भूकम्प तथा ज्वालामुखी के कारण एवं परिणाम
  • प्रमुख चट्टानों के प्रकार एवं खनिज – उनकी विशेषताऐं एवं वितरण
  • भू-दृश्यों के प्रकारः अभिकर्त्ता, प्रकियाऐं तथा संबंधित आकृतियां
  • भ्वाकृतिक प्रकम – अनाच्छादन, अपक्षय, वृहद क्षरण, अपरदन; निक्षेपण
  • मृदा-निर्माण की प्रक्रिया

जलवायु विज्ञान

  • वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना
  • सूर्यतापः आपतन का कोण तथा वितरण, पृथ्वी का ताप – बजट, पृथ्वी के तापन व शीतलता को प्रभावित करने वाले कारक, जैसे- संचलन, संवहन, पार्थिव विकिरण तथा अभिवहन ।
  • जलवायु एवं मौसम के तत्व
  • तापमान – नियंत्रक कारक क्षैतिज एवं लम्बवत् वितरण, तापमान का व्युत्क्रम
  • वायुमण्डलीय दाब, दाब-पेटियां, पवनों का सामान्य संचरण – स्थानीय व मौसमी पवनें; वायु-राशियां एवं वाताग्र, मानसून की किया विधि, चक्रवातों के प्रकार, एल-निनो एवं ला-नीना का प्रभाव
  • वर्षण की प्रकृति एवं प्रकार, वाष्पीकरण तथा संघनन – मेघ, ओस, पाला, कोहरा व धुन्ध, वर्षा का विश्व – वितरण
  • विश्व जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन तथा थार्नवेट)
  • वैश्विक तापन एवं जलवायु परिवर्तन – कारण तथा परिणाम, जलवायु परिवर्तन से संबंधित उपचारात्मक उपाय

जल-मण्डल

  • समुद्र
  • विज्ञान के आधारभूत पक्ष
  • जलीय चक्र
  • समुद्रों में तापमान व लवणता का वितरण
  • समुद्री नितलों का उच्चावच
  • समुद्रीजल की गतियां – धाराऐं, तरंगे तथा ज्वार-भाटे
  • समुद्री संसाधन तथा समुद्री प्रदूषण की समस्याऐं

जैवमण्डल

  • वृहत जैवमण्डल के रूप में पृथ्वी
  • पर्यावरण तथा परिस्थितिकी की अवधारणा, पर्यावरण के घटक
  • जैव विविधता: प्रकार, महत्व एवं संरक्षण, परिस्थितिक तंत्र की परिभाषा तथा प्रकार
  • पर्यावरण पर मानवीय प्रभाव, प्रदूषण, पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण एवं प्रबंधन, पारिस्थितिक सन्तुलन

3. भारत का भूगोल

भौतिक विशेषताऐं (अभिलक्षणायें)

  • अवस्थिति, स्थानिक संबंध, संरचना, उच्चावच तथा भारत के भौतिक विभाग
  • भारत का अपवाह तंत्र, नदी बेसिनों एवं जलगमों की संकल्पना, उत्तराखण्ड की नदियां
  • जलवायु विशेषताएं तापमान का वितरण (स्थानिक व कालिक), दाब तंत्र, पवनें, वर्षा में प्रतिरूप तथा मौसमी विशेषताऐं, भारतीय मानसून की विशेषताऐं एवं क्रिया – विधि, जलवायु के प्रकार (कोपेन)
  • प्राकृतिक वनस्पतिवनस्पति- प्रदेश, वनावरण, वन्य-जीव, वनस्पति एवं वन्य जीवों का संरक्षण – जैव – संरक्षित क्षेत्र, राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभयारण्य
  • मुख्य मृदा प्रकार तथा उनका वितरण (भारतीय कृषि अनुसंस्थान परिषद के अनुसार), मृदा अपरदन तथा अवनयन की समस्या, मृदा संरक्षण
  • प्राकृतिक आपदाओं व प्रकोप के कारण, परिणाम, न्यूनीकरण तथा प्रबन्धन – बाढ़, सूखा, भूकम्प, चक्रवात, सुनामी तथा भू-स्खलन, उत्तराखण्ड की प्राकृतिक आपदाऐं

मानवीय विशेषताऐं –

  • जनसंख्या – वितरण, घनत्व व वृद्धि, जनसंख्या की विभिन्न विशेषताओं को प्रभावित करने वाले कारक, जनसंख्या का संघटन लिंग अनुपात ग्रामीण-नगरीय, धार्मिक भाषाई, अनुसूचित जाति व जनजातिय जनसंख्या जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना, जनसंख्या के क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय प्रवास प्रतिरूप, भारत की जनसंख्या के प्रवास के प्रतिरूप के कारण और प्रभाव, उत्तराखण्ड में जनसंख्या प्रवास के प्रतिरूप, कारण तथा प्रभाव।
  • ग्रामीण तथा नगरीय, अधिवासों के प्रकार एवं वितरण, नगरीय बस्तियों का कार्यात्मक वर्गीकरण; नगरीकरण की समस्याऐं

संसाधन-

  • प्राकृतिक संसाधनों की संकल्पना, प्रकार तथा वितरण। भूमि संसाधन-भूमि उपयोग प्रतिरूप तथा इसको प्रभावित करने वाले कारक
  • जल संसाधन – संभाव्यता, उपलब्धता तथा उपयोग, जल का प्रयोग – सिंचाई, घरेलू, औद्योगिक तथा अन्य, जल-अल्पता की समस्या, जल-संसाधनों का प्रबन्धन और संरक्षण- सुसंगत तकनीकें जलागम प्रबन्धन व वर्षा जल का संचयन, पर्वतीय क्षेत्रों में जल प्रबन्धन
  • खनिज संसाधन, धात्विक तथा अधात्विक खनिजों का वितरण, लौह अयस्क, तांबा, बॉक्साइड, मैंगनीज, अभ्रक तथा लवण आदि का अध्ययन
  • ऊर्जा संसाधन – वर्गीकरण, पारम्परिक (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा जल विद्युत) तथा गैर – पारम्परिक (सौर पवन, बायोगैस) ऊर्जा-संसाधनों का महत्व व विवरण, ऊर्जा-संसाधनों का प्रबन्धन एवं संरक्षण

आर्थिक क्रियायें –

  • कृषि भूमि – उपयोग, प्रतिरूप, भौगोलिक परिस्थितियां एवं भारत की प्रमुख फसलें (गेहूं, धान, कपास, जूट, गन्ना, चाय, कहवा तथा रबर), कृषि विकास व इसका प्रादेशिक प्रतिरूप, कृषि की समस्याऐं व समाधान
  • उद्योगउद्योगों का महत्व तथा प्रकार, औद्योगिक अवस्थापन को प्रभावित करने वाले कारक, प्रमुख उद्योगों का वितरण तथा बदलता प्रतिरूप-लौहा एवं इस्पात, सूती वस्त्र, चीनी, पेट्रो रसायन, सूचना तकनीकी पर आधारित उद्योग, औद्योगिक प्रदेश एवं औद्योगिक समूह; उद्योगों पर निजीकरण तथा वैश्वीकरण का प्रभाव
  • परिवहन तथा संचार-तंत्र : सड़कें, रेलमार्ग, आन्तरिक जलमार्ग तथा वायुमार्ग, तेल एवं गैस पाइप लाइनें, संचार तंत्र
  • भारतीय विदेशी व्यापार की प्रकृति तथा इसका बदलता प्रतिरूप, समुद्री पत्तनों की भूमिका तथा प्रभाव – क्षेत्र, विदेशी व्यापार में हवाई अड्डों का महत्व तथा भूमिका
  • भारत में नियोजन – भारत में नियोजन का इतिहास, 12वीं पंचवर्षीय योजना की मुख्य विशेषताऐं । नियोजन के प्रकार- क्षेत्रीय तथा खण्डीय, सतत विकास संकल्पना तथा सूचक
  • भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित समस्याऐं – पर्यावरण अवनयन, जल प्रदूषण, निर्वनीकरण, स्रोतों का सूखना, नगरीय अपशिष्ट प्रबन्धन, ग्रामीण – नगरीय प्रवास, मलिन बस्तियों की समस्याऐं ।

4. मानव भूगोल

  • मानव भूगोल की परिभाषा, प्रकृति तथा कार्य-क्षेत्र ।
  • जनसंख्याः वितरण, घनत्व तथा वृद्धि, आयु तथा लिंगानुपात, ग्रामीण-नगरीय संयोजन, जनसंख्या की बदलती संरचना तथा स्थानिक प्रतिरूप, जनसंख्या परिवर्तन के निर्धारक मानव विकास की संकल्पना एवं सूचक, अन्तर्राष्ट्रीय तुलनाएं

आर्थिक कियाऐं –

  • वर्गीकरण
  • प्राथमिक कियाऐं : संकल्पना एवं परिवर्तनशील प्रवृत्तियां (संग्रहण, लकड़ी काटना, पशुचारण, पशुपालन, खनन, मछली पकड़ना, निर्वाहमूलक तथा गहन कृषि, विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में कृषि तथा संबंधित क्रियाओं की भूमिका)
  • द्वितीयक क्रियाऐं : संकल्पना एवं परिवर्तनशील प्रवृत्तियां, उद्योगों के प्रकार – कुटीर, लघु व वृहद उद्योग, कृषि व खनिजों पर आधारित उद्योग, द्वितायक क्रियाओं में संलग्न जनसंख्या – चयनित देशों से उदाहरण
  • तृतीयक क्रियाऐं : संकल्पना तथा परिवर्तनशील प्रवृत्तियां, व्यापार, परिवहन, पर्यटन, सेवाऐं, तृतीय क्रियाओं में संलग्न जनसंख्या – चयनित देशों से उदाहरण
  • चतुर्थक क्रियाऐं : संकल्पना, सूचना प्रौद्यौगिकी आधारित क्रियाऐं चतुर्थक क्रियाओं में संलग्न जनसंख्या-चयनित देशों से उदाहरण
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार प्रकृति व परिवर्तनशील प्रतिरूप, पत्तनों की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भूमिका, विश्व व्यापार संगठन भूमिका
  • समुद्रमहत्व राष्ट्रीय अधिकार, अन्तर्राष्ट्रीय समझौते
  • परिवहन तथा संचार सड़के, रेल, हवाई तथा जल परिवहन ट्रॉस-महाद्वीपीय रेल, वृहत समुद्री मार्ग, अन्देशीय जलमार्ग, अन्तर्राष्ट्रीय वायु मार्ग, तेल एवं गैस पाइपलाइन
  • संचार के साधन – परम्परागत, मोबाइल टेलीफोन, इन्टरनेट, उपगृह संचार और साइबर स्पेस, भौगोलिक सूचना का महत्व और उपयोग। जी.पी.एस. का उपयोग
  • मानव अधिवासग्रामीण एवं नगरीय अधिवास के प्रकार एवं प्रारूप, शहरों, वृहत शहरों की आकृतिकी, विकसित देशों में अधिवास की समस्या ।

मानचित्र कला एवं मानचित्र कार्य

  • मापकमापकों का महत्व एवं प्रकार, सरल, तुलनात्मक और कर्णवत मापकों की रचना
  • मानचित्रों का महत्व, उपयोग तथा प्रकार, परम्परागत चिन्ह और उनका उपयोग दूरी की माप स्थिति निर्धारण तथा दूरी।
  • भू स्थानिक आंकड़ा – संकल्पना और प्रकार ( बिन्दु, रेखा और क्षेत्र आंकड़ा)
  • मानचित्र प्रक्षेप : अक्षांश, देशान्तर, प्रक्षेपों के प्रकार शंक्वाकार तथा मरकेटर प्रक्षेप की रचना विधि और विशेषतायें । स्थलाकृतिक मानचित्र-पहचान, मापक, क्षेत्र, सम्मोच्च रेखायें और उनके अनुभाग, भू-दृश्य की पहचान, भूमि उपयोग की व्याख्या, विषय सम्बन्धि मानचित्र
  • वायु फोटो चित्र – प्रकार ज्यामितीय विशेषतायें, मापक, मानचित्र और वायु फोटोचित्रों में अन्तर, भौतिक व सांस्कृतिक तत्वों की पहचान।
  • सुदूर संवेदन महत्व और उत्पाद (वायु फोटोचित्र, उपग्रह चित्र ) सुदूर संवेदन में आंकड़ा निवेश एवं प्रक्रम की अवस्थायें, उपग्रह सेंसर्स तथा आंकड़ा उत्पाद
  • मौसम उपकरणों का उपयोग तापमापी (नम एवं शुष्म बल्ब) वायुदाब मापी वायुवेग मापी और वर्षामापी, मौसम मानचित्रों की व्याख्या ।
  • क्षेत्रीय अध्ययन का महत्व
  • पाठ्यक्रम के भौतिक / मानव / भारतीय भूगोल के खण्डों में दिये गये विभिन्न तत्वों तथा क्रियाओं का मानचित्रण एवं पहचान ।

 

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