उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)
द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम
विषय | प्रश्नों की संख्या | अधिकतम अंक | समय अवधि |
अर्थशास्त्र (Economics) | 200 | 200 | 03 घण्टे |
नोटः- लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।
परीक्षा पाठ्यक्रम (अर्थशास्त्र)
1. सूक्ष्म अर्थशास्त्रः – अर्थ, अर्थशास्त्र की केंन्द्रीय समस्यायें, उत्पादन सम्भावना वक्र एवं अवसर लागत ।
उपभोक्ता संतुलन एवं माँगः उपयोगिता का अर्थ, सीमान्त उपयोगिता, सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम, सीमान्त उपयोगिता विश्लेषण द्वारा उपभोक्ता का संतुलन, माँग एवं इसके निर्धारक तत्व, मांग में संकुचन व विस्तार तथा माँग वक्र में वृद्धि व कमी, माँग की कीमत लोच एवं इसके निर्धारण तथा मापन की विधियाँ; तटस्थता वक्र विश्लेषण एवं उपभोक्ता संतुलन ।
उत्पादक व्यवहार एवं पूर्तिः उत्पादन फलन; कुल उत्पाद, औसत उत्पाद एवं सीमान्त उत्पाद; प्रतिफल के नियम; लागत एवं आगम की अवधारणायें एवं उनका सम्बन्ध; उत्पादक का संतुलन – अर्थ एंव संतुलन की दशायें; पूर्ति एवं इसके निर्धारक तत्व; पूर्ति वक्र में संकुचन व विस्तार एवं पूर्ति में कमी एवं वृद्धि, पूर्ति की कीमत लोच एवं इसके मापन की विधियाँ।
बाजार के स्वरूप एवं कीमत निर्धारणः पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता एवं अल्पाधिकार बाजार का अर्थ एवं इसकी विशेषताऐं, बाजार संतुलन दशायें एवं पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत कीमत निर्धारण, उच्चतम् (ceiling) कीमत एवं निम्नतम् (floor) कीमत। भूमि, श्रम, पूँजी एवं लाभ की अवधारणायें एवं सिद्धान्त ।
2. व्यापक अर्थशास्त्रः – अर्थ; राष्ट्रीय आय अंकेक्षण; आय का चक्रीय प्रवाह; राष्ट्रीय आय की माप-उत्पाद अथवा मूल्यवर्धित विधि, व्यय विधि और आय विधि; राष्ट्रीय आय समग्र-सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP), शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ( NNP), सकल एवं शुद्ध घरेलू उत्पाद ( GDP एवं NDP) साधन लागत एवं बाजार कीमतों पर व्यय योग्य आय, निजी आय तथा वैयक्तिक आय; वास्तविक एवं मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद; सकल घरेलू उत्पाद एवं आर्थिक कल्याण ।
मुद्रा एवं बैंकिंगः मुद्रा का अर्थ एवं कार्य, मुद्रा की पूर्ति एवं इसके विभिन्न माप, वाणिज्यिक बैंकों के द्वारा साख सृजन, केन्द्रीय बैंक एवं इसके कार्य, साख नियंत्रण, मुद्रा स्फीति एवं व्यापार चक्र की अवधारणा ।
रोजगार एवं आय का निर्धारण – समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति फलन, रोजगार एवं आय का निर्धारण; उपभोग एवं बचत प्रवृत्ति; विनियोग गुणक एवं इसका कार्यकरण; पूर्ण रोजगार एवं अनैच्छिक बेरोजगारी का अर्थ तथा इसे दूर करने के उपाय।
सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था – अर्थ, उद्देश्य एवं घटक, प्राप्तियों एवं व्यय का वर्गीकरण, सरकारी घाटे के मापक – राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा एवं प्राथमिक घाटा; राजकोषीय नीति ।
भुगतान संतुलन – अर्थ एवं घटक, भुगतान संतुलन घाटा, विनिमय दर – अर्थ एवं प्रकार मुक्त बाजार के अन्तर्गत विनियमय दर निर्धारण ।
3. भारतीय अर्थ व्यवस्था :-
विकास नीतियाँ एवं अनुभव ( 1947 से 1990) – भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताऐं, पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य; वृद्धि एवं क्षेत्रक विकास; भारतीय कृषि की मुख्य विशेषतायें, समस्यायें व नीतियाँ; जैविक खेती, औद्योगिक विकास एवं औद्योगिक नीति; भारत का विदेशी व्यापार । 1991 के पश्चात आर्थिक सुधार; भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान चुनौतियाँ – जनसंख्या; मानव पूँजी निर्माण एवं इसकी भूमिका; संगठित एवं असंगठित क्षेत्र में रोजगार, गरीबी एवं गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम; ग्रामीण विकास; साख एवं विपणन समस्यायें, सहकारिता की भूमिका; स्वास्थ्य एवं ऊर्जा की समस्यायें, मुद्रास्फीति; संधारणीय विकास और पर्यावरण; वैश्विक उष्णता; भारत के पाकिस्तान एवं चीन के साथ तुलनात्मक विकास के अनुभव; नीति आयोग ।
4. सांख्यिकी :– अर्थ, क्षेत्र एवं महत्व; आकड़ों का संकलन – स्रोत, विधियाँ एवं आँकड़ों का संगठन, बारम्बारता वितरण; आकड़ों का प्रस्तुतीकरण, केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप – माध्य, माध्यिका एवं बहुलक; अपकिरण – विस्तार, चतुर्थक विचलन, माध्य विचलन और मानक विचलन तथा इनके सापेक्ष अपकिरण माप; लॉरेन्ज वक्र एवं इसके अनुप्रयोग; सहसंबंध – कार्ल पियर्सन एवं स्पियरमैन विधि। सूचकांक – थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, औद्योगिक उत्पाद सूचकांक एवं इनके उपयोग, मुद्रास्फीति एवं सूचकांक ।