UKPSC Lecturer Syllabus (Biology)

UKPSC Lecturer Syllabus (Biology)

उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (सामान्य तथा महिला शाखा)

द्वितीय चरण (विषयवार लिखित परीक्षा – वस्तुनिष्ठ प्रकार) पाठ्यक्रम

विषय प्रश्नों की संख्या अधिकतम अंक समय अवधि
जीव विज्ञान 200 200 03 घण्टे

नोटः-  लिखित परीक्षा में मूल्यांकन हेतु ऋणात्मक पद्धति प्रयुक्त की जाएगी।

परीक्षा पाठ्यक्रम (जीव विज्ञान)

1. पादप और जन्तुओं में विविधताएं

. सूक्ष्मजीवों की सामान्य अवधारणा । आकृति विज्ञान, संरचना, प्रजनन और जीवाणु और विषाणु के जीवन चक्र ।

.  कवकों की संरचना, प्रजनन और जीवन चक्र

. मिक्जोमाइकोटीना, मैस्टिगोमोकोटीना, उमाइकोटिना, जाइगोमाइकोटिना, एस्कोमाइकोटीना, बेसिडोमाइकोटीना और ड्यूट्रोमाइकोटिना की विशिष्ट विशेषताओं के साथ कवक का वर्गीकरण ।

. कवकों का आर्थिक महत्व ।

. रोग की सामान्य अवधारणा, पादपों में रोगों के लक्षण, संक्रमण के तरीके ।

. संरचना, रोग चक्र और भिगोना, विल्ट, जड़ सड़ांध, स्टेम रोट, पाउडर और डाउनीमिल्डीयू, रस्ट, स्मुट्स, पत्ती के धब्बे और पत्ती के ब्लाइट्स के नियंत्रण के तरीकों का संक्षिप्त विवरण ।

. रोगाणुओं का आर्थिक महत्व ।

. शैवाल का वर्गीकरण ।

. प्रोटोक्लोरोफाइटा, क्लोरोफायटा, कैरौफाइटा, जैन्थौफाईटा, बैसिलैरियोफाइटा, फियोफाइटा, रोडोफाइटा और साइनोफाइटा की मुख्य विशेषताएं ।

. विभिन्न शैवालों के जीवन चक्रों का सामान्य उल्लेख ।

. शैवाल का आर्थिक महत्व ।

. ब्रायोफाइट्स के आकारिकी, संरचना, प्रजनन और जीवन इतिहास का सामान्य विवरण।

. ब्रायोफाइट्स का वर्गीकरण ।

. ब्रायोफाइट्स का आर्थिक महत्व ।

. टेरिडोफाइट्स का वर्गीकरण ।

. साइलोफाइटोपसीडा, साइलोटोपसीडा, लाइकोपसीडा, स्फिीनोपसीडा, टेरोपसीडा का आकृति विज्ञान और जीवन इतिहास।

. टेरिडोफाइट्स का आर्थिक महत्व ।

. अनावृतबीजीयों का वर्गीकरण ।

. टेरिडोर्म्यमेल्स, बेनेटिटेल्स, साइकेडेल्स, गिंगकोऐल्स, कोनिफरेल्स, टेक्सेल्स, एफीडरेल्स, वेलवीस्चिीयेल्स और नीटेल्स की आकृति विज्ञान एवं जीवनचक्र

. जिमनोपम का आर्थिक महत्व ।

. एंजियोपम्स के वर्गीकरण की महत्वपूर्ण प्रणाली ( बेंन्थम और हुकर, हचिन्सन और क्रॉनिकिस्ट) ।

फ. पवर्गीकरण में शरीर रचना, भ्रूण विज्ञान, कोशिका विज्ञान, फाइटोकेमिस्ट्री और पैलेनौलाजी की भूमिका ।

ब. रेननकुलेसी, मैगनोलिएसी, रूटेसी, फैबेसी, रोजेसी, एपीएसी, एस्टरएसी, प्रिमुलेसी, एस्क्लेपीडियेसी, लैमिऐसी, वर्बिनेसी, कोनवौल्वुलेसी, एकैन्थैसी, सोलेनैसी, अमेरेनथैसी, युफोरबिएसी, ऑर्किडेसी, साइपेरेसी और पोएसी की विभेदीय विशेषताएं एवं उनका आर्थिक महत्व ।

भ. प्रोटोजोआ, पोरिफेरा, सिलेन्टीरेटा, प्लैटिहेलमैनथिस, एस्कीहेलमैनथिस, एनीलिडा, आथ्रोपोड़ा, मोलस्का, इकाईनोर्डरमेटा और कोर्डटा के सामन्य लक्षण एवं वर्ग तक वर्गीकरण ।

म. प्रोटोजोआ में संचलन, पोरिफेरा में नहर प्रणाली, सिलेनट्रेटा में बहुरूपता, हेलमेंन्थस् में परजीवी अनुकूलता और कीटों में सामाजिक जीवन।

य. हेमिकोर्डेटा, सिफैलोकोर्डेटा, यूरोकोर्डेटा में सम्बन्ध । उभयचर प्राणियों में पैत्रिक देखभाल, विष एवं विषहीन सर्प और पक्षियों में प्रवास । प्रोटोथिरिया, मैटाथिरिया और यूथिरिया के सामान्य लक्षण एवं उनकी समानताएं ।

2. कोशिका विज्ञान और आनुवांशिकी

क. कार्बोहाइड्रेट, लिपिड प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल, विटामिन और वर्णकों की संरचना, कार्य एवं चयापचय ।

ख. एंजाइमों का वर्गीकरण, एंजाइम बलगतिकी, किण्वक विनियमन, किण्वक उत्प्रेरक प्रकिया, समकिण्वक और सह- किण्वक ।

ग. प्रोटीन्स की प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक संरचनाएं ।

घ. मॉडल झिल्ली, लिपिड बाइलेयर की संरचना तथा झिल्ली प्रोटीन प्रसार, परासरण, आयन चैनल सक्रिय परिवहन ।

ङ. कोशिका भित्ति, केन्द्रक, माईटोकाँन्ड्रीया, गोल्गी काँय, लाइसोम्स, अंतगर्द्रविक जालिका, परआक्सीसोम, प्लास्टीड्स, रिक्तिकाएं, साइटोपंजर की संरचना एवं कार्य तथा गतिशीलता में इसकी भूमिका ।

च. गुणसूत्रों और विशालकाय गुणसूत्रों की संरचना ।

छ. समसूत्रीय और अर्धसूत्रीय विभाजन, सेल चक्र, सेल चक्र का विनियमन एवं नियंत्रण ।

ज. प्रतिकृति की इकाई, इसमें शामिल किण्वक, गुणसूत्रवाय प्रतिकृतियां, डी एन ए क्षति एवं मरम्मत तंत्र ।

झ. न्यूक्लिक एसिड की संरचना: हेलिक्स ( ए, बी, जेड) ।

ञ. आर एन ए संश्लेषण एवं प्रसंस्करण ।

ट. मेंडेलियन के सिद्धांत, प्रभुत्व, अलगाव, अपव्यूहन, वंशानुगतता और विविधता ।

ठ. जीन की अवधारणा एलिल, एकाधिक एलील्स, स्यूडोंएलिल्स ।

ड. मेंडेलियन सिद्धांतों का विस्तारण : सहप्रभुत्वता, अधूरा वर्चस्व, जीन परस्पर क्रिया, सहलंग्नता, क्रोसिंग ओवर, लिंग सहलंग्नता, लिंग प्रभावित लक्षण, उत्परिवर्तन के कारण एवं प्रकार ।

ढ. अतिरिक्त गुणसूत्र वंशानुगतता, माइटोकोन्ड्रिया और क्लोरोप्लास्ट जीन का उत्तराधिकार, मातृ वंशानुगतता ।

ण. गुणसूत्रों में संरचनात्मक एवं संख्यात्मक फेर बदल : विलोपन, दोहराव, उलटाव, स्थानान्तरण, प्लॉइडी ।

त. पुनर्संयोजनः ट्रांसपोजिशन सहित समरूप और गैर-समरूप पुनर्संयोजन ।

थ. पादप प्रजनन के लक्ष्य, उद्देश्य और बुनियादी तकनीक ।

द. फसल सुधार विधियाँ-पादप परिचय, चयन, अनुकूलन, संकरण, कायिक प्रवर्धन और कलम बांधना ।

ध. संकरीकरण : अन्तराजातिय एवं अन्तरावंशीय, शुद्ध वंशक्रम, बेक कास संकरण, स्व-असंगति प्रणाली ।

3. विकास एवं व्यवहार

क. लैमार्कवाद एवं डार्विनवाद, अनुकूलन, संघर्ष, परिपूर्णता और प्राकृतिक चयन मेन्डलवाद : विकासवादी संश्लेषण, जैविक विकास के प्रमाण

ख. बुनियादी जैविक अणुओं का उद्धभव, कार्बनिक एकलकों एवं बहुलकों का अजैविक संश्लेषण, ओपरिन और हल्दने की अवधारणा, मिलर का प्रयोग (1953), प्रथम कोशिका, प्रोकेरियोट्स का विकासः यूकेरियोटिक कोशिकाओं का उद्धभवः एक कोशिकिय यूकेरियोट्स का विकास : अवायवीय चयापचय, प्रकाश संश्लेषण तथा वायवीय चयापचय ।  

ग. भू वैज्ञानिक समय मापक्रम, विकासवादी समय पैमाने की प्रमुख घटनाऐं: एक कोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवधारीयों का उद्धभव : जन्तुओं के प्रमुख समूहः प्रमुख जीवाश्म अभिलेख | घोडा, हाथी एवं मानव का विकास ।

घ. प्राकृतिक विकास की अवधारणा ।

4. व्यावहारिक जीव विज्ञान

क. रेशा उत्पादक पादप, औषधीय एवं सुगंधित पादप ।

ख. महत्वपूर्ण काष्ठ – उपज देने वाले पादप एवं अकाष्ठ – वन उत्पाद ( एन टी एफ पीज्) जैसे बांस, गोंद, टैनिन्स, रंजक, रेजिन, पेय पदार्थ और सजावटी पादप ।

ग. बौद्धिक संपदा अधिकार ।

घ. सूक्ष्म जीवधारी किण्वन एवं छोटे और बडें अणुओं का उत्पादन।

ङ. प्रतिरक्षाविज्ञानीय सिद्धांतों की प्रयोज्यता, टीके, जाँच। पौधों एवं जन्तुओं में ऊतक एवं कोशिका संवर्धन की विधियाँ ।

च. परा–उत्पत्तिमूलक पादप एवं जन्तु, स्ट्रेन की पहचान एवं लक्षणों का आणविक दृष्टिकोण।

छ. जीनोमिक्स एवं जीन उपचार सहित स्वास्थ्य एवं कृषि में इसका उपयोग।

ज. चिन्ह्क-सहायता प्रदान चयन सहित पादप एवं जन्तुओं में जनन करना ।

झ. मानव एवं घरेलू पशुओं के आम परजीवी एवं रोगजनक ।

ञ. रेशम कीट पालन, मधुमक्खी पालन, लाख पालन, कृमि संवर्धन, मोती संवर्धन, मतस्य पालन ।

ट. औषधि, जैव-नियंत्रण एवं भोजन में उपयोग में आने वाले कीट।

ठ. एकीकृत कीट प्रबंधन ।

5. पादप एवं जन्तु कार्यिकी

क. पादप जल सम्बन्धः प्रसार, परासरण, पानी की क्षमता और इसके घटक, प्लाज्मोलाइसिस, पानी का अन्तःशोषण तथा अवशोषण, जड़ दबाव तथा पौधों में रस आरोहण ।

ख. पौधों में जल हानिः वाष्पोत्सर्जन तथा उसका महत्व, वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक, रंन्ध्र खुलने एवं बन्द होने की प्रक्रिया, बिन्दु स्त्राव ।

ग. खनिज पोषण– आवश्यक तत्व, दीर्घ एवं सूक्ष्म तत्व, तत्वों की आवश्यकताओं के मानदंड, आवश्यक तत्वों की भूमिका, खनिजों की कमी के लक्षण, कोशिका झिल्ली के आरपार आयनों का परिवहन, सक्रिय एवं निष्क्रिय परिवहन |

घ. पौधों में प्रकाश संश्लेषण ।

ङ. अवायवीय एवं वायवीय श्वसन, ग्लाइकोलाईसिस, क्रेब्स चक्र ( साइट्रिक अम्ल चक्र), ऑक्सीकरणी फॉस्फोराइलेशन, इलेक्ट्रॉन परिवहन प्रणाली, किण्वन, आर. क्यू ।

च. नाइट्रोजन निर्धारण, नाइट्रेट और अमोनियम सम्मिलन एमिनो अम्लों का जैव संश्लेषण ।

छ. पादप वृद्धि नियंन्त्रक – ऑक्जिन्स, जिबेरिलिन्स साइटोकिनिन, इथाइलीन, ऐबस्सिसिक अम्ल, पोलीएमाइन्स, जैसमोनिक अम्ल, हार्मोन अभिग्राही एवं विटामिन्स की कर्यिकी प्रभाव एवं क्रियाविधि ।

ज. प्रकाशकालिता एवं इसका महत्व ।

झ. टरपिन्स, फिनॉल, नाइट्रोजनीय यौगिकों का जैवसंश्लेषण एवं उनकी भूमिका ।

ञ. पौधों पर जैविक एवं अजैविक तनावों की प्रतिक्रिया ।

ट. हृदय की तुलनात्मक आंतरिक शरीर रचना पेशीजनक एवं तंत्रिकाजनक हृदय, हृदय चक्र, हृदयी निर्गम, स्ट्रोक आयतन, रक्त चाप, हृदय का हार्मोनल और तंत्रिकीय नियंत्रण । तन्त्रिका कोशिकाओं के आकारकीय प्रकार, तन्त्रिका आवेग का उद्धभव संचरण एवं कार्यिकी । जन्तुओं में नाइट्रोजीनी अपशिष्ट के प्रकार, स्तनधारियों में मूत्र निर्माण कार्यिकी, किण्वक एवं विटामिन्स तथा उनका मानव कार्यिकी में महत्व । अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ तथा उनके स्त्राव एवं कार्य । मानव में पाचन की कार्यिकी ।

6. पारिस्थितिकी

क. पारिस्थितिकी तन्त्र के प्रकार, संरचना और कार्य (जलीय एवं स्थलीय) ।

ख. ऊर्जा प्रवाह, एवं पोषक खाद्य चकण (N, P, C, O) खाद्य श्रृंखला, खाद्य जाल और पारिस्थितिक पिरामिड ।

ग. जनसंख्या पारिस्थितिकी : लक्षण, जनसंख्या वृद्धिवक, जनसंख्या नियमन, डीम्स एवं प्रसार ।

घ. समुदाय पारिस्थितिकी : संरचना एवं संगठन, विशेषताएँ, नाम पद्धति ।

ङ. पारिस्थितिकीय अनुक्रम : प्रकार, क्रियावली, अनुक्रम में शामिल परिर्वतन ।

च. पर्यावरणीय प्रदूषण वायु : जल, ध्वनि, नाभिकीय (स्रोत, प्रभाव एवं अल्पीकरण)

छ. जैवविविधता : आनुवांशिक, प्रजाति तथा पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता का मूल्य, जैव विविधता में ह्रास के कारण तथा इसका संरक्षण (अंतस्थ तथा संसगत संरक्षण) ।

7. पादप एवं जन्तुओं में प्रजनन और विकास –

परागण, निषेचन और भ्रूणपोष का विकास। पौधों में भ्रूण का विकास और बीज गठन । बीजांड की संरचना, गुरूबीजाणुजनन, का विकास एवं भ्रूण – कोष का सगंठन । युग्मनन, निषेचन एवं मेंढक, चूजों और स्तनधारीयों में आरम्भिक विकास, ब्लास्टुला गठन, कंदुकन तथा जन्तुओं में जर्म परतों का गठन। युग्मनज का गठन, भ्रणोंद्भय । चूजें में आंख, मस्तिष्क और हृदय का विकास, अपरा का वर्गीकरण, स्तनधारियों में अपरा की कार्यिकी एवं कार्य । जन्तुओं में कायान्तरण के प्रकार एवं हार्मोन नियन्त्रण। चूजों में अतिरिक्त भ्रूणीय झिल्लीयां ।

8. जैव प्रौद्योगिकी

क. विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव ।

ख. आनुवांशिक अभियांत्रिकी की तकनीक एवं कार्यक्षेत्र पर संक्षिप्त विचार ।

ग. जीन प्रतिरूपण : संकल्पना एवं बुनियादी कदम, आनुवंशिक अभियांत्रिकी के उपयोग के परिपेक्ष में इ, कोलाई तथा जीवाणुभोजी का आनुवंशिक विकास में जीवाणुओं एवं विषाणुओं का उपयोग ।

घ. पादप कोशिका, ऊतक और अंग संवर्धन, ऊतक संवर्धन की तकनीक, जनन्द्रव का संग्रहण एवं भंडारण (निम्न ताप परिरक्षण) । पादप ऊतक संवर्धन का उपयोग । ट्रान्सजेनिक पौधें ।

ङ. खेतों में जैव उर्वरक एवं जैविक नियंत्रण

च. आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित खाद्य फसलों, नैनो जैव प्रौद्योगिकी, पी सी आर आर टी पी सीआर, जीन लायब्रेरी, जीन बैंक की प्रारंभिक जानकारी ।

ज. आणविक चिन्हकों के प्रकार एवं उनकी भूमिका ।

9. जीव विज्ञान में विधियाँ

क. आणविक जीवविज्ञान और पुनः संयोजक डी०एन०ए० विधि :

एक और द्विआयामी जैल वैद्युतकणसंचलन द्वारा आर०एन०ए०, डी0एन0ए0 और प्रोटीन का विश्लेषण, समविधुत विभव फोकसिंग जैल्स ।

जीवाणु और यूकेरियोटिक प्रणालियों में डी०एन०ए० या आर०एन०ए० टुकड़ों का आणविक प्रतिरूपण। जीवाण्विक, जन्तुओं एवं पादप वाहकों का उपयोग करके पुनः संयोजक प्रोटीन की अभिव्यक्ति। विशिष्ट अमिनों अम्ल अनुक्रमों का अलगाव ।

प्लाज्मिड, फेज, कॉस्मीड, बी ए सी और वाई ए सी, वाहकों में जीनोमिक और सी डी एन ए पुस्तकालयों का निर्माण ।

प्रोटीन अनुक्रमण विधियाँ : प्रोटीन के पोस्ट अनुवाद रूपान्तरण का अवलोकन डी एन ए अनुक्रमण विधियां, जीनोम अनुक्रमण के लिए रणनितियाँ ।

आर०एन०ए० और प्रोटीन स्तर पर जीन अभिव्यक्ति के विश्लेषण के तरीके, बड़े पैमाने पर अभिव्यक्ति जैसे सूक्ष्म सरणी आधारित तकनीक । कार्बोहइड्रेट एवं लिपिड अणुओं का अलगाव, प्रथककरण एवं विश्लेषण |

आर०एफ०एल०पी, आर०ए०पी०डी० और ए०एफ०एल०पी तकनीकें ।

ख. सांख्यिकीय विधियां : केंद्रीय प्रवृत्ति और वितरण का मापआंकन : संभावना बंटन (द्विपदीय, प्वाइजन, साधारण) नमूने का विक्षेपण” प्राचल और अप्राचल के बीच अंतर : विश्वास अंतराल त्रुटियाँ, आँकड़ों के स्तर ” महत्व, समाश्रयण और सहसंबंध टी- परीक्षण, विचरता का विश्लेषण, X2 परीक्षण |

ग. सूक्ष्मदर्शी तकनीक : प्रकाश सूक्ष्मदर्शी द्वारा कोशिकाओं और सबसेल्यूलर, घटकों को देखने की प्रक्रिया विसर्जन, विभिन्न सूक्ष्मदर्शीयों की शक्तियों का हल । जीवित कोशिकाओं की माइक्रोस्कोपी, स्कैनिंग और ट्रांसमिशन सूक्ष्मदर्शी ।

घ. क्षेत्र जीव विज्ञान की विधियाँ: रेन्जिंग पैर्टन द्वारा प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तथा सुदूर अवलोकन, व्यवहार के अध्ययन की प्रतिचयन विधियाँ। वास, लक्षण वर्णन, धरातल एवं सदुर संवेदन विधियाँ ।

 

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