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Prithavi ki Gatiyan

पृथ्वी की गतियाँ (Motions of the Earth)

अन्य ग्रहों की भाँति पृथ्वी की भी दो गतियाँ (Motions) हैं – घूर्णन (Rotation) एवं परिक्रमण (Revolution)। पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना ‘घूर्णन (Rotation)’ कहलाता है जबकि परिक्रमण (Revolution) से तात्पर्य पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) कक्षा में चक्कर लगाने से हैं।

पृथ्वी की घूर्णन गति : दैनिक गति (Rotating Motion of The Earth : Diurnal Motion)

पृथ्वी का घूर्णन (Rotation) 24 घंटे में पूर्ण होता है जिसे पृथ्वी की दैनिक गति (Diurnal Motion) भी कहते हैं। यह दैनिक गति दिन व रात के घटित होने के लिए जिम्मेदार होती है। पृथ्वी को प्रकाश व ऊष्मा की प्राप्ति सूर्य से होती है अत: घूर्णन करती हुई पृथ्वी के प्रत्येक भाग में एक निश्चित अवधि के लिए सूर्य प्रकाश पहुँचता है। जिस भाग में सूर्य प्रकाश पहुँचता है वहाँ दिन तथा सूर्य प्रकाश की अनुपस्थिति वाले भाग में रात होती है।

पृथ्वी के घूर्णव के कारण सभी भागों में क्रमिक रूप से दिन व रात होते हैं। ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त (Circle of Illumination) कहते हैं। यदि पृथ्वी घूर्णन करना बन्द कर दे तो उसका आधा भाग प्रकाश तथा आधा अन्धकार में रहेगा।

पृथ्वी के घूर्णन की गणना तारों व सूर्य के सन्दर्भ में की जाती है।

  • जब यह गणना तारों के सन्दर्भ में की जाती है तब उसे नक्षत्र दिवस (Sidereal Day) तथा सूर्य के सापेक्ष गणना को सौर दिवस (Solar day) कहा जाता है।
  • सौर दिवस का समय काल 24 घंटो तथा नक्षत्र दिवस की समय काल 23 घंटा 55 मिनट होती है। दोनों के मध्य चार मिनट का यह अन्तर पृथ्वी के घूर्णन के कारण व सूर्य तथा पृथ्वी की बदलती स्थिति के कारण हैं

पृथ्वी की परिक्रमण गति : वार्षिक गति (Revolutional Motion of the Earth Annual Motion)

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभंग 365 दिन व 6 घंटे में पूर्ण करती है जिसे पृथ्वी की वार्षिक गति (Annual Motion) भी कहते हैं। वर्ष में 365 दिन की अवधि पृथ्वी के परिक्रमण काल के आधार पर ही होती है। शेष 6 घंटे की अवधि 4 वर्षों में 24 घंटे के रूप में 1 दिन को पूर्ण करती है। इस प्रकार हर चौथे वर्ष में 366 दिन होते हैं जिसे अधिवर्ष (Leap Year) कहते हैं। यह दिन फरवरी माह में जोड़ा जाता है।

Sun Distances

  • परिक्रमा करती हुई पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक नजदीक होती हैं तब इस स्थिति को उपसौर (Perihelion) कहते हैं। यह स्थिति 3 जनवरी को होती है।
  • पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है। तब इस स्थिति को अपसौर (Aphelion) कहते हैं। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।

पृथ्वी का अक्ष अपने परिक्रमण मार्ग पर सदैव एक ही ओर झुका रहता हैं। इस कारण उत्तरी गोलार्द्ध 6 महीने सूर्य के सम्मुख रहता है। इस स्थिति में उत्तरी गोलार्द्ध का अधिकांश भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है। परिणामस्वरूप यहाँ दिन बड़े तथा रात छोटी होती हैं और उत्तरी ध्रुव पर हमेशा दिन रहता हैं। इस समय दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य से दूर होता है अत: वहाँ दिन छोटे व रातें बड़ी होती हैं और दक्षिणी ध्रुव पर रात रहती हैं। जब दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की ओर चुका रहता है तब इसके विपरीत स्थितियाँ होती हैं।

ऋतु में परिवर्तन (Changes in Season)

ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है। पृथ्वी के परिक्रमण में चार अवस्थाएँ होती हैं – 

Earth Orbit

1. उत्तर अयनांत (Summer Solstice)

सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसके कारण इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा की प्राप्ति होती हैं तथा उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) होता है। उत्तरी गोलार्द्ध के सूर्य के सम्मुख होने के कारण उत्तरी ध्रुव के समीपवर्ती क्षेत्रों में लगातार छ: महीने तक दिन रहता है। 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय शीत ऋतु (Winter Season) होती हैं। पृथ्वी की इस अवस्था का उत्तर अयनांत कहते हैं।

2. दक्षिण अयनांत (Winter Solstice)

सूर्य की किरणें 22 दिसम्बर को मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसीलिए दक्षिणी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य प्रकाश प्राप्त होता है। इस स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) होती है जिसमें दिन की अवधि लम्बी तथा रातें छोटी होती हैं। इसके विपरीत इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने के कारण वहाँ शीत ऋतु होती है। 22 दिसम्बर को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी दिन रात तथा सबसे छोटा दिन होती है। दक्षिण ध्रुव के सूर्य के सम्मुख झुके होने के कारण इस ध्रुव पर हमेशा दिन रहता है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है।

3. विषुव (Equinox)

सूर्य की किरणें 21 मार्च तथा 23 सितम्बर को विषुवत रेखा (Equator) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसलिए संपूर्ण पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं।

  • जब सूर्य की किरणें 23 मार्च को विषुवत रेखा (Equator) पर चमकती हैं तो ऐसी स्थिति में उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है।
  • जब सूर्य की किरणें 23 सितम्बर को विषुवत रेखा (Equator) पर सीधी चमकती हैं तब उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है।
  • 21 जून तथा 22 दिसम्बर को क्रमश: 66 ½°  उत्तरी एवं दक्षिणी अंक्षाशों पर सूर्य का प्रकाश पूरे दिन अर्थात् 24 घंटे रहता है। इस समय सूर्य आधी रात को भी चमकता है जिसे मध्य रात्रि को सूर्य (Mid Night Sun) कहते हैं। नार्वे को मध्य, अर्द्ध रात्रि के सूर्य का देश कहते हैं।
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