राजस्थान इतिहास का मध्य पाषाण काल
(Middle Stone Age of Rajasthan History)
मध्य पाषाण (Middle Stone Age) का मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक क्रम माना जाता है। पुराविदो का मानना है कि इस काल में पृथ्वी के धरातल पर नदियों, पहाड़ों व जगलो का स्थिरीकरण हो गया था तथा अब पुराप्रमाण भी अधिक संख्या में मिलने लगते हैं।
भारत में मध्य पाषाणकालीन स्थल निम्न स्थलों से प्राप्त होते हैं –
- बाडमेर मे स्थित तिलवाडा,
- भीलवाड़ा मे स्थित बागोर,
- मेहसाणा मे स्थित लघनाज,
- प्रतापगढ़ मे स्थित सरायनाहर,
- उत्तरप्रदेश मे स्थित लेकडुआ,
- मध्य प्रदेश होशंगाबाद में स्थित आदमगढ़,
- वर्धमान (बंगाल) जिले ने स्थित वीरभानपुर,
- दक्षिण भारत के वेल्लारी जिले में स्थित संघन कल्लू
मध्य पाषाणकालीन सर्वाधिक पुरास्थल गुजरात मारवड़ एवं मेवाड के क्षेत्रों से प्राप्त होते है।
मध्यपाषाणकालीन मानव ने प्रधान रुप से जिन स्थलों को अपने निवास के लिए चुना उनको निम्न भागो में विभक्त किया जा सकता हैं –
- रेत के थुहे – मध्यपापाणकालीन मानव ने रेत के थुहों को अपना निवास स्थान बनाया था।
- शैलाश्रय – मध्यभारत के रिमझिम सतपुड़ा और कैमुर पर्वतों मे शिलाओ और शैलाश्रयों में मध्यपाषाणकालीन मानव के सर्वाधिक निवास स्थल थे, इन शैलाश्रयों से मध्यपाषाणकालीन मानवों के सर्वाधिक प्रमाण मिलते है ।
- चट्टानी क्षेत्र – मेवाड मे चट्टानों से संलग्न मैदानी क्षेत्रों में मध्यपाषाणकालीन स्थल मिलते है दक्षिण में भी ऐसे स्थल मिलते हैं।
मध्यपाषाणकालीन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के बाद भारत में अन्य स्थानों की तरह राजस्थान में नवपाषाणकाल के कोई प्रमाण नही मिले हैं।
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