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History of Railways

भारतीय रेल (Indian Railway)

भारतीय रेल एशिया महादेश का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। भारतीय रेल विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता (काम देने वाला) है, इसके अंतर्गत लगभग 14 लाख से भी अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। भारतीय रेल न केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ कर राष्ट्रीय एकता और अखंडता का भी संवर्धन करता है। वर्तमान में, भारतीय रेलवे 1,15,000 किमी की लम्बाई के साथ 7,172 स्टेशनों तक फैला हुआ है।

  • स्थापना – 16 अप्रैल, 1853
  • राष्ट्रीकृत – 1950
  • मुख्यालय – नई दिल्ली
  • प्रमुख व्यक्ति – केन्द्रीय रेलवे मंत्री पीयूष गोयल
  • मूलमंत्र (Tagline)-  सुरक्षा, संरक्षा एवं समय पालन
  • शुभंकर (Mascot) हाथी (भालू गार्ड)
  • प्रतीक चिन्ह (Logo) – 7 तारे
  • कर्मचारी – 14 लाख से ज्यादा
  • प्रभाग – 17 रेलवे मंडल
  • मंडल – 69

नोटः भारतीय रेल के दो मुख्य खंड है –

  • भाड़ा/माल वाहन और
  • सवारी।
  • भाड़ा खंड लगभग दो तिहाई राजस्व जुटाती है, जबकि शेष सवारी यातायात से आता है।
  • भाड़ा खंड के अंतर्गत थोक यातायात में लगभग 95% योगदान कोयले का है।

इतिहास

भारत में रेलवे के विकास की दिशा में सर्वप्रथम प्रयास 1843 ई. में तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने निजी कंपनियों के समक्ष रेल प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखकर किया। देश में पहली रेलगाड़ी का परिचालन 22 दिसम्बर, 1851 ई. को किया गया, जिसका प्रयोग रूड़की में निर्माण कार्य के माल की ढुलाई के लिए होता था। ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय उप-महाद्वीप में प्रथम रेलगाड़ी महाराष्ट्र स्थित मुम्बई और ठाणे के बीच 21 मील (लगभग 33.6 कि.मी.) लम्बे रेलमार्ग पर 16 अप्रैल, 1853 को चलाई गई थी। इस रेलगाड़ी के लिए तीन लोकोमोटिव इंजनों- साहिब, सिंध और सुल्तान का प्रयोग किया जाता था।

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