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Daily MCQs – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – 25 May 2024 (Sat)

Daily MCQs : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment and Ecology)
25 May, 2024 (Saturday)

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. जुताई रहित कृषि के अंतर्गत फसल के पौधों को शुरू में नर्सरी में उगाया जाता है।
2. संरक्षण जुताई कृषि के अंतर्गत आधुनिक सिंचाई के तरीकों, जैसे- ड्रिप और स्प्रिंक्लर का प्रयोग किया जाता है।
3. संरक्षण जुताई कृषि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मददगार है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 3
(D) 1, 2, और 3

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उत्तर – (B)

व्याख्या – 

  • पौधों को शुरू में नर्सरी में संरक्षण जुताई कृषि के अंतर्गत उगाया जाता है। यह खेती का बिल्कुल नया मॉडल है। जिसके अंतर्गत पर्यावरण को भी ध्यान में रखा जाता है। अतः कथन (1) सही नहीं है
  • संरक्षण जुताई कृषि के अंतर्गत ज़मीन को या तो बिल्कुल नहीं जोता जाता है या फिर कम-से-कम जुताई की जाती है। चूँकि, बिना जुते खेत कार्बन डाईऑक्साइड को सोख लेते हैं जिससे कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को कम किया जा सकता है। इस प्रकार संरक्षण जुताई कृषि ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहायक है।

 

2. निम्नलिखित में से जैविक कृषि के अवयव है/हैं?
(A) कार्बनिक खाद्य

(B) जैविक खरपतवार नियंत्रण पद्धति
(C) (a) और (b) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं।

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उत्तर – (C)

व्याख्या – 

  • जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अनुप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट खाद आदि का प्रयोग करती है।
  • जैविक कृषि के अवयव निम्नलिखित हैं-
    • कार्बनिक खाद
    • जैविक खरपतवार नियंत्रण पद्धति
    • जैविक कीट एवं रोग प्रबंधन

 

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. जुताई रहित कृषि से भूमि के अंदर और बाहर जैव विविधता की क्षति नहीं होती है।

2. संरक्षण जुताई कृषि में लेज़र की मदद से ज़मीन को समतल किया जाता है।
3. मिश्रित कृषि, फसल आवर्तन, कार्बनिक चक्र अनुकूलन जैविक कृषि के सिद्धांत हैं।
4. जैविक कृषि से वातावरण के दूषित होने से मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं ?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1, 2 और 3
(D) केवल 2, 3 और 4

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उत्तर – (C)

व्याख्या –

  • ध्यातव्य है कि खेत की बार-बार जुताई से कई सूक्ष्मजीव प्रभावति होते हैं, कुछ जो मृदा उर्वरकता को बनाए रखने में सहायक होते हैं (जैसे- केचुएँ), नष्ट हो जाते हैं। जुताई न होने से छोटे जीव प्रभावित नहीं होते और जैव विविधता को समृद्ध करते हैं।
  • संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या हेतु भोजन की आपूर्ति के लिये मानव द्वारा अधिक-से-अधिक उत्पादन हेतु तरह-तरह के रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग, जैविक एवं अजैविक पदार्थों के मध्य चक्र को प्रभावित करते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है। रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों से वातावरण भी दूषित हो जाता है जिससे मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। अतः इन समस्याओं से निपटने के लिये जैविक खेती के सिद्धांत को अपनाया गया। जो कि पर्यावरण की दृष्टि से लाभदायक है। अतः कथन (4) सही नहीं है

 

4. दिक्-परिवर्तित कृषि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. द्विक् परिवर्तक कृषि के अंतर्गत एक ही खेत में एक समय में केवल एक ही पौधे की किस्में उगाई जाती हैं।

2. इसके अंतर्गत एक लंबे दीर्घकाल के पौधे को छोटी आयु के पौधे के साथ उगाया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?
(A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1, न ही 2

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उत्तर – (B)

व्याख्या –

  • दिक् परिवर्तित कृषि या मिश्रित फसल पुरानी पद्धति है जिसमें एक ही खेत में एक ही समय में दो या दो से अधिक पौधों की किस्में उगाई जाती हैं। अतः कथन (1) सही नहीं है
  • इस पद्धति के अंतर्गत एक लंबे दीर्घकाल के पौधे को छोटी आयु के पौधे के साथ उगाया जाता है, ताकि परिपक्व होने के समय दोनों को पर्याप्त पोषण मिल सके। अतः कथन (2) सही है

 

5. दिक् परिवर्तक कृषि पद्धति की योजनाओं के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. पॉलीवैराइटल प्रकार की कृषि के अंतर्गत एक भूमि पर, एक ही समय में दो या दो से अधिक प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं।

2. बहुशस्यन (Polyculture) प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न समयों में परिपक्व होने वाले विभिन्न प्रकार के पौधों की एक साथ बुआई की जाती है।
3. इंटरक्रॉपिंग विधि के अंतर्गत एक ही प्रकार के पौधों की विभिन्न किस्मों की फसलें उगाई जाती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1
(B) केवल 1 और 2
(C) केवल 2
(D) 1, 2 और 3

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उत्तर – (B)

व्याख्या –

  • दिक् परिवर्तित कृषि पद्धति से फसल उपजाने में कई योजनाओं का प्रयोग होता है, जो इस प्रकार है-
    • पोलीवैराइटल (Polyvarietal) प्रकार की कृषि, इसमें एक ही प्रकार के पौधे की विभिन्न किस्मों की फसलें उगाई जाती हैं।
    • इंटरक्रॉपिंग विधिः इसमें एक भूमि पर एक ही समय पर दो या दो से अधिक प्रकार के पौधे उगाए जाते हैं।
    • बहुशस्यन (Poly Culture): इस प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न समयों में परिपक्व होने वाले विभिन्न प्रकार के पौधों की एक साथ बुआई की जाती है।

 

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Daily MCQs – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – 18 May 2024 (Sat)

Daily MCQs : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment and Ecology)
18 May, 2024 (Saturday)

1. गहन निर्वाह कृषि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. गहन निर्वाह कृषि के अंतर्गत किसान बड़े भूखंड पर खेती करता है।
2. इसकी मुख्य फसल चावल है।
3. यह कृषि दक्षिणी, दक्षिणी-पूर्वी और पूर्वी एशिया के सघन जनसंख्या वाले मानसूनी प्रदेशों में प्रचलित है।
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1
(B) केवल 1 और 2
(C) केवल 2 और 3
(D) 1, 2 और 3

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उत्तर – (C)

व्याख्या –

  • गहन निर्वाह कृषि, निर्वाह कृषि का एक प्रकार है। इसके अंतर्गत किसान छोटे भूखंड पर साधारण और अधिक श्रम से खेती करता है। अधिक धूप वाले दिनों से युक्त जलवायु और उर्वर मृदा वाले खेत में एक वर्ष में एक से अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
  • यहाँ की मुख्य फसल चावल होती है। अन्य फसलों में गेहूँ, मक्का, दलहन और तिलहन शामिल हैं।

2. आदिम निर्वाह कृषि के अंतर्गत शामिल हैः
(A) स्थानांतरी कृषि और चलवासी पशुचारण कृषि

(B) शुष्क भूमि कृषि और आर्द्रभूमि कृषि
(C) मिश्रित कृषि और रोपण कृषि
(D) सिंचित कृषि और वर्षा निर्भर कृषि

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उत्तर – (A)

व्याख्या –

  • आदिम निर्वाह कृषि के अंतर्गत स्थानांतरी कृषि और चलवासी पशुचारण शामिल है।
  • स्थानांतरी कृषिः यह अमेजन बेसिन के सघन वन क्षेत्रों, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया और उत्तर-पूर्वी भारत के क्षेत्रों में प्रचलित है। यहाँ वृक्षों को काटकर और जलाकर भूखंड को साफ किया जाता है तथा मक्का, रतालू, आलू और कसावा जैसी फसलों को उगाया जाता है।
  • चलवासी पशुचारणः यह सहारा के अर्द्धशुष्क और शुष्क प्रदेशों में मध्य एशिया और भारत के कुछ भागों, जैसे-राजस्थान एवं जम्मू-कश्मीर में प्रचलित है। इस प्रकार की कृषि में पशुचारक अपने पशुओं के साथ चारे और पानी के लिये एक स्थान से दूसरे स्थान पर निश्चित मार्गों से भ्रमण करते हैं। पशुचारक मुख्यतः भेड़, ऊँट मवेशी, याक और बकरियाँ पालते हैं।

3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मिश्रित कृषि यूरोप, पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेटीना, दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित है।

2. 25 सेमी. या इससे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि शुष्क भूमि कृषि कहलाती है।
3. भारत के शुष्क भूमि कृषि मुख्यतः 100 सेमी. से कम वर्षा वाले प्रदेशों तक सीमित है।
4. चावल, जूट, गन्ना आर्द्रभूमि कृषि के अंतर्गत उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन- से सही हैं?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1, 2 और 4
(D) 1, 2, 3 और 4

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उत्तर – (C)

व्याख्या –

  • मिश्रित कृषि का उपयोग भोजन व चारे की फसलें उगाने और पशुपालन के लिये किया जाता है। यह यूरोप, पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना, दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित है।
  • भारत में शुष्क भूमि कृषि मुख्यतः उन प्रदेशों तक सीमित है जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेमी. से कम है। इस शुष्कता को सहन करने में सक्षम फसलों, जैसे-रागी, बाजरा, मूंग, चना तथा ज्वार आदि उगाई जाती हैं। अतः कथन (3) सही नहीं है
  • चावल, जूट, गन्ने की फसल को अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। अतः ये फसलें उन क्षेत्रों में उगाई जाती हैं जहाँ वर्षा की मात्रा 100 से 200 सेमी. के बीच रहती है। ये क्षेत्र आर्द्रभूमि कृषि क्षेत्र कहलाते हैं।

4. कृषि के विभिन्न प्रकारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. विशिष्ट खेती के अंतर्गत कुल आय का 50% किसी एक फसल से प्राप्त किया जाता है।

2. रैंचिंग खेती में भूमि की जुताई, बुआई, और फसलों का उत्पादन नहीं किया जाता है।
3. भारत के मध्य पूर्वी हिमालय, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम में आर्द्र या तर कृषि की जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं हैं/है?
(A) केवल 1
(B) केवल 1 और 2
(C) केवल 2 और 3
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।

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उत्तर – (D)

व्याख्या –

  • विशिष्ट खेतीः विशिष्ट खेती से अभिप्राय उस कृषि से है जो अपनी कुल आय का कम-से-कम 50 % एक फसल से प्राप्त करे, जैसे- चाय, कहवा, गन्ना रबर आदि।
  • रैंचिंग खेतीः रैंचिंग खेती में भूमि की जुताई, बुआई फसलों का उत्पादन नहीं किया जाता है बल्कि प्राकृतिक वनस्पति पर विभिन्न प्रकार के पशुओं, जैसे- भेड़, बकरी इत्यादि को चराया जाता है। इस प्रकार की कृषि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका एवं भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में की जाती है।
  • आर्द्र या तर कृषिः यह कृषि जलोढ़ मृदा के उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहाँ वर्षा की मात्रा 200 सेमी. से अधिक पाई जाती है। इस प्रकार की खेती मध्य-पूर्वी हिमालय, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम में की जाती है।

5. निम्नलिखित को सुमेलित कीजियेः

सूची-I (कृषि क्रांति)  सूची-II (संबंधित क्षेत्र)
A. धूसर क्रांति  1. झींगा मछली उत्पादन
B. गोल क्रांति  2. फल (बागवानी) उत्पादन
C. गुलाबी क्रांति  3. उर्वरक उपभोग वृद्धि
D. सुनहरी क्रांति  4. आलू उत्पादन

कूट :
(A) A-2, B-1, C-3, D-4
(B) A-3, B-4, C-1, D-2
(C) A-2, B-3, C-4, D-1
(D) A-3, B-1, C-4, D-2

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उत्तर – (B)

व्याख्याः सही सुमेलन हैः

सूची-I (कृषि क्रांति)  सूची-II (संबंधित क्षेत्र)
A. धूसर क्रांति  3. उर्वरक उपभोग वृद्धि
B. गोल क्रांति  4. आलू उत्पादन
C. गुलाबी क्रांति  1. झींगा मछली उत्पादन
D. सुनहरी क्रांति  2. फल (बागवानी) उत्पादन

 

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Daily MCQs – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – 11 May 2024 (Sat)

Daily MCQs : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment and Ecology)
11 May, 2024 (Saturday)

1. उद्योगों द्वारा छोड़े गए गर्म पानी को जल प्रदूषक माना जाता है क्योंकि:
1. उच्च पानी का तापमान आम तौर पर पानी में घुलित ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है।
2. उच्च तापमान गहरे पानी में ऑक्सीजन के फैलाव को सीमित करता है, जो गहरे पानी में अवायवीय स्थितियों में योगदान देता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1

(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1, न ही 2

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उत्तर – (B)

व्याख्या – 

  • ऊंचा तापमान आमतौर पर पानी में घुलित ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है। यह जलीय जंतुओं जैसे मछली, उभयचर और अन्य जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है। थर्मल प्रदूषण एंजाइम गतिविधि के रूप में जलीय जानवरों की चयापचय दर को भी बढ़ा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ये जीव कम समय में अधिक भोजन का उपभोग करते हैं, अगर उनका पर्यावरण नहीं बदला जाता। अतः कथन 1 सही नहीं है
  • उच्च तापमान गहरे पानी में ऑक्सीजन के फैलाव को सीमित करता है, जो अवायवीय स्थितियों में योगदान देता है। पर्याप्त भोजन आपूर्ति होने पर इससे बैक्टीरिया का स्तर बढ़ सकता है। कई जलीय प्रजातियाँ ऊँचे तापमान पर प्रजनन करने में विफल हो जाएँगी। अतः कथन 2 सही है

 

2. किसी जल निकाय पर बर्फ का आवरण बढ़ने से निम्न परिणाम हो सकते हैं:
1. झील में बेहतर ऑक्सीजन विनिमय और पोषक तत्व पुनर्चक्रण
2. फाइटोप्लांकटन की आबादी में अचानक वृद्धि जो प्रकाश संश्लेषण पर निर्भर नहीं हैं
3. विंटरकिल की स्थिति जिसके कारण बड़े पैमाने पर मछलियाँ और जीव मर जाते हैं
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(A) केवल 1 और 2

(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 3
(D) 1, 2 और 3

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उत्तर – (C) 

व्याख्या – फाइटोप्लांकटन जल निकायों की ऊपरी सतह पर तैरता है और उसे पनपने के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। बर्फ का आवरण उनके प्रजनन के मैदान और आबादी को कम कर देगा। बर्फ का आवरण वातावरण से पोषक तत्वों और ऑक्सीजन के आदान-प्रदान को अवरुद्ध करता है, हालांकि जलधारा के भीतर भी यह जारी रह सकता है। लेकिन यह पहले से भी बदतर है। जलाशयों पर बर्फ का आवरण प्रभावी रूप से प्रकाश को काट सकता है, जिससे पानी अंधेरे में डूब जाता है। अत: प्रकाश संश्लेषण रुक जाता है लेकिन श्वसन जारी रहता है। इस प्रकार, उथली झीलों में ऑक्सीजन समाप्त हो जाती है और ऑक्सीजन की कमी के कारण बड़े पैमाने पर मछलियों और अन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है। इस स्थिति को विंटरकिल के नाम से जाना जाता है। अतः विकल्प (c) सही है

3. समशीतोष्ण वनों की तुलना में उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों की प्राथमिक उत्पादकता कम है। इसका कारण यह है:
(A) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कम माइक्रोबियल गतिविधि

(B) कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में काटने और जलाने वाली कृषि का अभ्यास
(C) उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में सघन वनस्पति आवरण
(D) उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में मिट्टी की तीव्र निक्षालन

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उत्तर – (D)

व्याख्या – भारी बारिश के कारण बार-बार निक्षालित होने के कारण मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है और वह अम्लीय है। बार-बार होने वाली बारिश ऊपरी मिट्टी को बहा ले जाती है और केवल कुछ खनिज और जैविक अवशेष रह जाते हैं। हालाँकि, वर्षावन मृत कार्बनिक पदार्थों (उदाहरण के लिए पेड़ों से गिरने वाली पत्तियाँ) के साथ मिट्टी को जल्दी से भरने के लिए भी उल्लेखनीय हैं। अतः विकल्प (d) सही है

4. सल्फर चक्र के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. सल्फर चक्र पूरी तरह से अवसादी है।
2. वायुमंडलीय सल्फर डाइऑक्साइड वर्षा जल में कमजोर सल्फ्यूरिक एसिड के रूप में घुलने के बाद वापस पृथ्वी पर ले जाया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1

(B) केवल 2
(C) 1 और 2 दोनों
(D) न तो 1, न ही 2

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उत्तर – (B)

व्याख्या – 

  • सल्फर चक्र उन प्रक्रियाओं का संग्रह है जिनके द्वारा सल्फर चट्टानों, जलमार्गों और जीवित प्रणालियों के बीच चलता है। यह चक्र ज्यादातर तलछटी है, सिवाय इसके दो यौगिक हाइड्रोजन सल्फाइड और सल्फर डाइऑक्साइड अपने सामान्य अवसादी चक्र में एक गैसीय घटक जोड़ते हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है
  • यह कई स्रोतों से वायुमंडल में प्रवेश करता है जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, जीवाश्म ईंधन का दहन, समुद्र की सतह से और अपघटन द्वारा जारी गैसों से। अतः कथन 2 सही है

 

5. विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणालियों (GIAHS) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसकी शुरुआत FAO ने की थी।
2. भारत में केवल दो मान्यता प्राप्त GIAHS साइट हैं
3. GIAHS सौंदर्य सौंदर्य के उत्कृष्ट परिदृश्य हैं जो कृषि जैव विविधता, लचीले पारिस्थितिक तंत्र और एक मूल्यवान सांस्कृतिक विरासत को जोड़ती हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1 और 3

(B) केवल 1 और 2
(C) केवल 3
(D) 1, 2 और 3

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उत्तर – (A)

व्याख्या – 

  • FAO वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS) नामक एक कार्यक्रम के तहत दुनिया के कृषि विरासत क्षेत्रों को मान्यता देता है। GIAHS का उद्देश्य ‘उल्लेखनीय भूमि उपयोग प्रणाली और परिदृश्य जो विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण जैविक विविधता में समृद्ध हैं’ को पहचानना है। अतः कथन 1 और 3 सही हैं
  • भारत में तीन मान्यता प्राप्त GIAHS साइट हैं:
    • पंपोर कश्मीर की भगवा विरासत।
    • ओडिशा की कोरापुट पारंपरिक कृषि।
    • केरल की समुद्र तल से खेती प्रणाली के नीचे कुट्टनाड। अतः कथन 2 सही नहीं है

 

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Daily MCQs – पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी – 04 May 2024 (Sat)

Daily MCQs : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी (Environment and Ecology)
04 May 2024 (Saturday)

1. मैंग्रोव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. मैंग्रोव मुख्य रूप से दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

2. मैंग्रोव वन पृथ्वी पर सबसे अधिक उत्पादक और जैवविविध आर्द्रभूमियों में से एक हैं।
3. ये खारे पानी की सहनशीलता के लिए बहुत कम क्षमता प्रदर्शित करते हैं।
4. गुजरात में देश में सबसे अधिक मैंग्रोव आवरण है, इसके बाद पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(A) केवल एक

(B) केवल दो
(C) केवल तीन
(D) सभी चार

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उत्तर(B)

व्याख्या – 

  • मैंग्रोव नमक-सहिष्णु वन पारिस्थितिकी तंत्र हैं जो मुख्य रूप से दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनमें ऐसे पेड़ या झाड़ियाँ शामिल हैं जिनमें उथले और गंदे खारे पानी या खारे पानी में बढ़ने की सामान्य विशेषता होती है, विशेष रूप से शांत तटरेखाओं और नदमुखों में। अतः कथन 1 सही है। इनके पास खारे पानी को सहन करने की उल्लेखनीय क्षमता है। मैंग्रोव वन पृथ्वी पर सबसे अधिक उत्पादक और जैवविविध आर्द्रभूमियों में से एक हैं। फिर भी, ये अद्वितीय तटीय उष्णकटिबंधीय वन दुनिया में सबसे अधिक संकटग्रस्त आवासों में से हैं। अतः कथन 2 सही है
  • पश्चिम बंगाल में देश में सबसे अधिक मैंग्रोव आवरण है, इसके बाद गुजरात और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं। भारत में मैंग्रोव दुनिया की मैंग्रोव वनस्पति का लगभग पांच प्रतिशत हिस्सा हैं और देश के तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ लगभग 4,500 किमी2 के क्षेत्र में फैले हुए हैं। पश्चिम बंगाल में सुंदरबन भारत में मैंग्रोव के तहत कुल क्षेत्रफल के आधे से थोड़ा कम है। अतः कथन 3 सही नहीं है

2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन – I : पश्चिमी घाट क्षेत्र को भारत के सबसे महत्वपूर्ण जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में से एक माना जाता है।

कथन – II : यह एंडेमिज़्म के सबसे समृद्ध केंद्रों में से एक है।
(A) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन – II, कथन – I की सही व्याख्या है
(B) कथन – I और कथन – II दोनों सही हैं तथा कथन – II, कथन – I की सही व्याख्या नहीं है
(C) कथन – I सही है किन्तु कथन – II गलत है
(D) कथन – I गलत है किन्तु कथन – II सही है

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उत्तर – (A)

व्याख्या –
कथन – I : पश्चिमी घाट क्षेत्र को भारत के सबसे महत्वपूर्ण जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
पश्चिमी घाट एक पर्वत श्रृंखला है जो अरब सागर के समानांतर भारत के पश्चिमी तट के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसकी असाधारण जैव विविधता और पारिस्थितिक महत्व के कारण इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। अतः कथन-I सही है

कथन – II : यह एंडेमिज़्म के सबसे समृद्ध केंद्रों में से एक है।
अपने अद्वितीय भूवैज्ञानिक इतिहास, अलगाव और विविध आवासों के कारण, पश्चिमी घाट जाति उद्भवन के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पौधों और जानवरों की प्रजातियां हैं जो ग्रह पर कहीं और नहीं पाई जाती हैं। पश्चिमी घाट कई प्रतिष्ठित और स्थानिक प्रजातियों का घर है, जिनमें नीलगिरी तहर (एक पहाड़ी बकरी), शेर-पूंछ वाले मकाक (एक प्राइमेट), मालाबार विशाल गिलहरी, मालाबार पिट वाइपर, और मेंढकों, पक्षियों की कई दुर्लभ और स्थानिक प्रजातियां शामिल हैं।

पश्चिमी घाट क्षेत्र वास्तव में अपनी समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिक महत्व के कारण भारत के सबसे महत्वपूर्ण जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, इसे दुनिया में एन्डेमिक के सबसे अमीर केंद्रों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो इस क्षेत्र के लिए अद्वितीय कई प्रजातियों की मेजबानी करता है। एन्डेमिक का उच्च स्तर पश्चिमी घाटों के जैव-भौगोलिक क्षेत्र के रूप में महत्व को और पुष्ट करता है।

अतः कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं। और कथन II कथन I की सही व्याख्या है।

3. कोरल रीफ्स के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. कोरल रीफ्स पानी के नीचे की संरचनाएं हैं जो कोरल द्वारा स्रावित कैल्शियम कार्बाइड से बनी हैं।

2. कोरल रीफ समुद्री जल में पाए जाने वाले छोटे जानवरों की कॉलोनियां हैं जिनमें कुछ पोषक तत्व होते हैं।
3. कोरल रीफ गहरे समुद्र में महाद्वीपीय शेल्फ के पास पाए जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौनसा कथन सही है/हैं?
(A) केवल 1

(B) केवल 2
(C) कथन 1, 2 और 3
(D) उपरोक्त में से कोई भी नहीं

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उत्तर – (B)

व्याख्या – 

  • कोरल रीफ कोरल द्वारा स्रावित कैल्शियम कार्बोनेट से बनी पानी के नीचे की संरचनाएं हैं। कोरल रीफ समुद्री जल में पाए जाने वाले छोटे जानवरों की कॉलोनियां हैं जिनमें कुछ पोषक तत्व होते हैं। अधिकांश प्रवाल भित्तियाँ पथरीले प्रवाल से निर्मित हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है और कथन 2 सही है
  • कोरल रीफ गहरे समुद्र में महाद्वीपीय समतल से दूर, समुद्री द्वीपों के आसपास और एटोल के रूप में पाए जाते हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है
  • कोरल रीफ को अक्सर “समुद्र के वर्षावन” कहा जाता है। कोरल रीफ पृथ्वी पर सबसे विविध पारिस्थितिक तंत्रों में से कुछ बनाती हैं। ये दुनिया के समुद्र की सतह के 0.1% से भी कम, फ्रांस के लगभग आधे क्षेत्र पर कब्जा करते हैं, फिर भी वे सभी समुद्री प्रजातियों के 25% के लिए एक घर प्रदान करते हैं, जिसमें मछली, मोलस्क, कीड़े, क्रस्टेशियन, इचिनोडर्म, स्पंज, ट्यूनिकेट्स और अन्य सीएनडीरियन शामिल हैं।

4. निम्नलिखित पर विचार कीजिएः
1. वानस्पतिक उद्यान

2. बायोस्फीयर रिजर्व
3. वन्यजीव सफारी पार्क
4. वन्यजीव अभ्यारण्य
5. पवित्र उपवन
6. जीन बैंक
उपर्युक्त में से कौन सी इन-सीटू संरक्षण के उदाहरण हैं?
(A) केवल 2, 3 और 4

(B) केवल 2, 4 और 5
(C) केवल 1, 3, 5 और 6
(D) केवल 3, 4, 5 और 6

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उत्तर(B)

व्याख्या – इन-सीटू संरक्षण पौधों या जानवरों की प्रजातियों की प्राकृतिक आबादी में साइट पर संरक्षण या आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण है, जैसे कि वृक्ष प्रजातियों की प्राकृतिक आबादी में वन आनुवंशिक संसाधन। यह अपने प्राकृतिक आवास में एक लुप्तप्राय पौधे या पशु प्रजातियों की रक्षा करने की प्रक्रिया है, या तो निवास स्थान की रक्षा या सफाई करके, या शिकारियों से प्रजातियों की रक्षा करके। यह किसानों द्वारा कृषि पारिस्थितिक तंत्र में कृषि जैव विविधता के संरक्षण के लिए लागू किया जाता है, विशेष रूप से वे जो अपरंपरागत कृषि पद्धतियों का उपयोग करते हैं। भारत में, पारिस्थितिक रूप से अद्वितीय और जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों को बायोस्फीयर रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के रूप में कानूनी रूप से संरक्षित किया जाता है। भारत में अब 18 बायोस्फीयर रिजर्व, 106 राष्ट्रीय उद्यान और 567 वन्यजीव अभयारण्य हैं। भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का भी इतिहास रहा है जिसने प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया। कई संस्कृतियों में, जंगल के इलाकों को अलग कर दिया गया था, और सभी पेड़ों और वन्यजीवों की पूजा की गई और उन्हें पूरी सुरक्षा दी गई। इस तरह के पवित्र उपवन मेघालय में खासी और जयंतिया पहाड़ियों, राजस्थान की अरावली पहाड़ियों, कर्नाटक और महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट क्षेत्रों और मध्य प्रदेश के सरगुजा, चंदा और बस्तर क्षेत्रों में पाए जाते हैं। मेघालय में, पवित्र उपवन बड़ी संख्या में दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों के लिए अंतिम शरणस्थली हैं। अतः विकल्प (B) सही है

5. वन्य जीवों और वनस्पतियों (CITES) की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. CITES जंगली जानवरों और पौधों की प्रजातियों में विश्वव्यापी वाणिज्यिक व्यापार को विनियमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौता है।

2. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जंगली में प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में नहीं डाले।
3. CITES कन्वेंशन के लिए राज्य पार्टियों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है
उपर्युक्त दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(A) केवल 1
(B) केवल 1 और 2

(C) केवल 2 और 3
(D) 1, 2 और 3

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उत्तर – (B)

व्याख्या – 

  • CITES जंगली जानवरों और पौधों की प्रजातियों में विश्वव्यापी वाणिज्यिक व्यापार को विनियमित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जंगली में प्रजातियों के अस्तित्व को खतरे में नहीं डालता है। अतः कथन 1 और 2 सही हैं
  • प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) के सदस्यों की एक बैठक में 1963 में अपनाए गए एक संकल्प के परिणामस्वरूप इसका मसौदा तैयार किया गया था। यह जुलाई 1975 में लागू हुआ। CITES कन्वेंशन के लिए राज्य पार्टियों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है, जो अपने लक्ष्यों को लागू करने के लिए अपने स्वयं के घरेलू कानून को अपनाने के लिए बाध्य हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है

 

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