मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश
चंदेल राजवंश (Chandel Dynasty)
प्रतिहारों के राज्य के बिखरने के बाद बुंदेलखंड में चंदेल (Chandel) राज्य का उदय हुआ। अधिकांश मध्यकालीन राजवंशों की तरह चंदेल भी अपना उदय चंद्रवंशी चंद्रात्रेय से मानते थे। चंदेलों की पहली राजधानी शायद खजुराहो थी, जो 10वीं शताब्दी में अपने वैभव के शीर्ष पर पहुंच गई।
प्रारम्भिक शासक
- 9वीं शताब्दी के पहले भाग में कन्नौज ने इस देश की स्थापना बुंदेलखंड में खजुराहो के समीप की।
- नान्नुका के पुत्र तथा उत्तराधिकारी वाकपति ने, जो 9वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुए थे, अपने समकालीन पाल देवपाल तथा प्रतिहार भोज से युद्ध किया।
- वाकपति के दो पुत्र थे – जयशक्ति तथा विजयशक्ति।
- जयशक्ति जो अपने पिता के बाद गद्दी पर आया, एक प्रसिद्ध राजा था तथा चंदेल राज्य उसी के नाम से ‘जेजक भुक्ति’ के नाम से जाना जाता था।
- जयशक्ति के बाद उनके भाई विजयशक्ति आए तथा उनके बाद उनका पुत्र राहिल आया।
यशोवर्मण (Yashovarman)
- राहिल के बाद उनका पुत्र यशोवर्मण आया जिसे लक्षवर्मण के नाम से भी जाना जाता था।
- प्रतिहारों की क्षीण होती शक्ति का फायदा उठाकर उन्होंने चंदेलों पर आक्रामक सैन्य की शुरुआत की।
- यशोवर्मण ने उत्तर भारत में व्यापक जीत हासिल की तथा चंदेल शक्ति को स्थापित किया।
- यशोवर्मण ने खजुराहो में विष्णु के एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जिसका नाम चतुर्भुज मंदिर है।
धांग (Dhang)
- यशोवर्मण के बाद उनके पुत्र धांग गद्दी पर आए (954 – 1002) तथा वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक सिद्ध हुए।
- धांग ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की तथा चंदेल राज्य को उसके शीर्ष पर ले गए।
- अपनी शक्ति के बल पर उन्होंने चंदेल राज्य की सीमाओं को गंगा के तह तक पहुंचा दिया।
- खजुराहो के अनेक भवन धांग की कलात्मक गतिविधियों का प्रमाण हैं।
- धांग के द्वारा निर्मित विश्वनाथ मंदिर खजुराहो का सबसे अलंकृत मंदिर है तथा सबसे अच्छी स्थिति में है।
- जिननाथ एवं वैद्यनाथ के मंदिर भी धांग के शासनकाल में बंटे थे।
धांग के उत्तराधिकारी (Successor of Dhang)
- धांग के बाद उनके पुत्र गंद तथा उनके बाद उनके पुत्र विद्याधर आए।
- सुलतान महमूद ने, 1019 तथा 1022 में, दो बार उनके राज्य पर हमला किया।
- विद्याधर की मृत्यु के बाद चंदेल शक्ति कुछ दिनों के लिए काफी कमजोर पड़ गई तथा यह विजयपाल, कीर्तिवर्मण, सल्लाक्षावर्मण, जयवर्मण, पृथ्वीवर्मण तथा मदनवर्मण के हाथों में रही।
- मदनवर्मण के बाद उनका पोता परमार्दी आया जिसका शासन काल 1165 – 1202 तक था।
- उसे पृथ्वीराज III के हाथों एक अपमानजनक हार झेलनी पड़ी परंतु पृथ्वीराज खुद 1192 में आक्रमणकारी शिहाबुद्दीन मुहम्मद के हाथों पराजित हुए।
- दस साल बाद मुहम्मद के छत्रप कुतुबुद्दीन ने (1202) चंदेल शक्ति के केन्द्र कालिंजर पर आक्रमण किया।
- कुतुबुद्दीन ने कालिंजर को लूटने के बाद महोबा पर कब्जा किया तथा जीते गए क्षेत्र के प्रशासन के लिए अपना वजीर नियुक्त किया।
- परमार्दी के पुत्र त्रिलोकवर्मण ने मुसलमानों को काकड़वा में पराजित कर सारा क्षेत्र पुनः हासिल कर लिया।
- त्रिलोक ने लगभग 45 वर्षों तक शासन किया तथा उसके बाद पुत्र वीरवर्मण आया।
- परंतु 1309 में अलाउद्दीन खिलजी ने राज्य का एक बड़ा हिस्सा जीत लिया।
- बुंदेलखंड का अंतिम राजा वीरवर्मण II था।
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