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Amethi District in Uttar Pradesh

अमेठी जनपद (Amethi District)

अमेठी जनपद का परिचय (Introduction of Amethi District)

अमेठी की स्थिति (Location of Amethi)

  • मुख्यालय – गौरीगंज
  • पुराना नाम व उपनाम – छत्रपति शाहूजी महाराज नगर 
  • मंडलफैजाबाद
  • स्थापना 1 जुलाई, 2010
  • क्षेत्रफल – 2329.11 वर्ग कि.मी.
  • सीमा रेखा
    • पूर्व में – सुल्तानपुर
    • पश्चिम में रायबरेली
    • उत्तर में – बाराबंकी एवं फौजाबाद
    • दक्षिण में – प्रतापगढ़
  • राष्ट्रीय राजमार्ग NH-330A, NH-232
  • नदियाँ – मनोरमा नदी

अमेठी की प्रशासनिक परिचय (Administrative Introduction of Amethi)

  • विधानसभा क्षेत्र – 4 (अमेठी, तिलोई, गौरीगंज, जगदीशपुर)
  • लोकसभा सीट – 1 (अमेठी)
  • तहसील – 4 (गौरीगंज, अमेठी, मुसाफिरखाना, तिलोई)
  • विकासखंड (ब्लाक)   13 (अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिरखाना, तिलोई, जगदीशपुर, बाज़ार शुकुल, भेटुआ, भादर, संग्रामपुर,  शाहगढ़, जामो, सिंहपुर, बहादुरपुर)
  • कुल ग्राम 1,000
  • कुल ग्राम पंचायत 682
  • नगर पालिका परिषद 2 (गौरीगंज, जायस)
  • नगर पंचायत 2 (मुसाफिरखाना, अमेठी)

अमेठी की जनसंख्या (Population of Amethi)

  • जनसंख्या – 18,67,678
    • पुरुष जनसंख्या – 9,45,235 
    • महिला जनसंख्या – 9,22,443
  • साक्षरता दर – 63.8%
  • जनसंख्या घनत्व – 769
  • लिंगानुपात – 975

Population Source – census2011.co.in

अमेठी के संस्थान व प्रमुख स्थान (Institution & Prime Location of Amethi)

  • धार्मिक स्थल – मालिक मोहम्मद जायसी, नंदमहर धाम, पाटेश्वरी देवी, गढ़ामाफी धाम, सती महारानी मंदिर
  • उद्योग मूंज, उर्वरक, सीमेंट, इलेक्ट्रानिक

Notes –

  • अमेठी उत्तर प्रदेश का 72वां जिला है जिसे मायावती सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था।इसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है।
  • कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है।
  • अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है।
  • राजा सोढ़ देव ने तुर्कों के आक्रमण के दौरान 966 ई. में इस रियासत की स्थापना की थी। राजा सोढ़ देव ने 966 ई. से 1007 ई. तक रियासत पर शासन किया। 
  • अंग्रेजों ने अमेठी रियासत के विलय का भी प्रयास किया, जिसमें वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद रानी पति के मृत शरीर को गोद में लेकर सती हो गईं। मान्यता के अनुसार आज भी क्षेत्र की महिलाएं प्रत्येक गुरुवार को सती महारानी मंदिर पर दुरदुरिया का आयोजन कर सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं।

 

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