Repeal of MGNREGA and the Crisis of Dignity of Labour

MGNREGA का निरसन और श्रम की गरिमा पर संकट

December 17, 2025

यह लेख महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को निरस्त कर उसके स्थान पर प्रस्तावित विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (VB-G RAM G) की आलोचनात्मक समीक्षा करता है। नया विधेयक काम के अधिकार, मांग-आधारित रोजगार, केंद्रीय दायित्व, सामाजिक लेखा-परीक्षा और पारदर्शिता जैसी मूल गारंटियों को कमजोर करता है।

MGNREGA बनाम VB-G RAM G: गारंटी, संघवाद और ग्रामीण आजीविका का भविष्य

श्रम की गरिमा पर आघात

ग्रामीण भारत में रोजगार की समस्या केवल आर्थिक नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों, लोकतांत्रिक अधिकारों और श्रम की गरिमा से भी गहराई से जुड़ी हुई है। वर्ष 2005 में लागू किया गया MGNREGA भारत का पहला ऐसा कानून था जिसने ग्रामीण नागरिकों को काम मांगने का वैधानिक अधिकार दिया। इसके विपरीत, केंद्र सरकार द्वारा बिना पूर्व परामर्श के प्रस्तावित VB-G RAM G विधेयक, 2025 न केवल इस अधिकार को समाप्त करता है, बल्कि भारत को MGNREGA-पूर्व युग में ले जाने का जोखिम पैदा करता है।

संवैधानिक एवं वैधानिक पृष्ठभूमि 

MGNREGA, 2005 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और अनुच्छेद 41 (काम का अधिकार) की भावना के अनुरूप तैयार किया गया था। यद्यपि अनुच्छेद 41 निदेशक सिद्धांतों में आता है, फिर भी काम की गारंटी को कानून के माध्यम से लागू करना एक ऐतिहासिक कदम था।

MGNREGA की प्रमुख संवैधानिक विशेषताएँ थीं:

  • काम मांगने का वैधानिक अधिकार
  • 15 दिनों के भीतर रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता
  • केंद्रीय सरकार की प्राथमिक वित्तीय जिम्मेदारी
  • स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (पंचायतों) की केंद्रीय भूमिका

प्रस्तावित VB-G RAM G विधेयक में इनमें से किसी भी अधिकार की स्पष्ट संवैधानिक या वैधानिक गारंटी नहीं दी गई है, जो इसे संविधान की भावना के विपरीत बनाता है।

MGNREGA: ऐतिहासिक भूमिका एवं उपलब्धियाँ 

MGNREGA को “हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो” के नारे के साथ लागू किया गया था। इसके ऐतिहासिक योगदान निम्नलिखित हैं:

  • ग्रामीण रोजगार सुरक्षा: प्रति ग्रामीण परिवार 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी
  • आर्थिक संकट में सुरक्षा कवच: 2008 वैश्विक आर्थिक संकट और COVID-19 महामारी (2020-21) के दौरान MGNREGA ने करोड़ों प्रवासी श्रमिकों को सहारा दिया।
  • महिला सशक्तिकरण: औसतन 50% से अधिक महिला भागीदारी, जो वैश्विक स्तर पर अद्वितीय है।
  • ग्रामीण परिसंपत्ति निर्माण: जल संरक्षण, सिंचाई, मिट्टी संरक्षण, ग्रामीण सड़कें।
  • लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: ग्राम सभाओं की भूमिका को मजबूत किया।

इन सभी उपलब्धियों को VB-G RAM G विधेयक पूरी तरह नजरअंदाज करता है।

वर्तमान स्थिति: प्रस्तावित VB-G RAM G विधेयक, 2025

15 दिसंबर, 2025 को केंद्र सरकार ने MGNREGA को निरस्त करने हेतु एक विधेयक पेश करने का कार्यक्रम तय किया।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • पूर्व परामर्श का पूर्ण अभाव
  • MGNREGA का पूर्ण निरसन
  • उसके स्थान पर एक नई केंद्रीय योजना

यद्यपि विधेयक के उद्देश्य में “प्रति ग्रामीण परिवार 125 दिनों का रोजगार” लिखा गया है, परंतु लेख के अनुसार यह एक खोखला वादा है।

MGNREGA बनाम VB-G RAM G: मूलभूत अंतर

पहलू MGNREGA (2005) VB-G RAM G (2025)
स्वरूप कानून (Act) केंद्रीय योजना-आधारित कानून
रोजगार मांग-आधारित आवंटन-आधारित
अधिकार काम मांगने का अधिकार कोई स्पष्ट अधिकार नहीं
कवरेज संपूर्ण ग्रामीण भारत केवल अधिसूचित क्षेत्र
वित्तीय जिम्मेदारी केंद्र 100% मजदूरी 60 : 40 केंद्र-राज्य

प्रमुख कानूनी प्रावधानों का विश्लेषण (Key Legal Provisions Analysis)

1. धारा 4(5): केंद्रीय नियंत्रण का विस्तार

धारा 4(5) के अनुसार: “केंद्र सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए राज्यवार मानक आवंटन निर्धारित करेगी।”

विश्लेषण:

  • MGNREGA की मांग-आधारित व्यवस्था समाप्त
  • केंद्र को पूर्ण विवेकाधिकार
  • आवंटन कम होने पर रोजगार स्वतः सीमित

2. धारा 5(1): सार्वभौमिकता का अंत – यह धारा कहती है कि योजना केवल उन ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होगी जिन्हें केंद्र अधिसूचित करेगा

प्रभाव:

  • संपूर्ण ग्रामीण भारत में समान अधिकार समाप्त
  • क्षेत्रीय असमानता बढ़ने की संभावना
  • राज्य सरकारों पर जिम्मेदारी, पर अधिकार केंद्र के पास

3. 125 दिनों का भ्रम – यद्यपि नया विधेयक 125 दिनों की बात करता है, परंतु:

  • पिछले 5 वर्षों में MGNREGA औसतन केवल 50–55 दिन ही दे पाया
  • कारण: अपर्याप्त बजटीय आवंटन

अतः 125 दिनों का दावा व्यवहारिक रूप से अवास्तविक है।

4. धारा 4(6): राज्यों पर वित्तीय बोझ – यदि राज्य अपने संसाधनों से अतिरिक्त खर्च करते हैं, तो वह भी केंद्र द्वारा तय मानदंडों के अधीन होगा।

निहितार्थ:

  • राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता कमजोर
  • सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को आघात

5. धारा 22(2): 60 : 40 फंड शेयरिंग

  • MGNREGA:
    • 100% मजदूरी – केंद्र
    • 75% सामग्री लागत – केंद्र
  •  VB-G RAM G:
    • 60 : 40 केंद्र-राज्य
    • NE राज्यों के लिए 90 : 10

विश्लेषण:

  • गरीब राज्य 40% वहन करने में असमर्थ
  • योजना के अप्रभावी होने की प्रबल संभावना

प्रशासनिक प्रयास और उनकी सीमाएँ 

MGNREGA की समस्याएँ मुख्यतः कार्यान्वयन से जुड़ी थीं:

  • मजदूरी भुगतान में देरी
  • तकनीकी खामियाँ
  • सामाजिक लेखा-परीक्षा में बाधाएँ

इन कमियों को कानून में सुधार द्वारा दूर किया जा सकता था, न कि उसे पूरी तरह समाप्त कर।

राजनीतिक आयाम (Political Role)

  • 2005:
    • MGNREGA पारित हुआ
    • सर्वदलीय सहमति
    • रोजगार गारंटी ज़िंदाबाद” के नारे
  •  2025:
    • चुपचाप निरसन का प्रयास
    • बिना बहस, बिना सहमति

यह लोकतांत्रिक परंपराओं के विपरीत है।

सामाजिक प्रभाव (Social Impact)

ग्रामीण गरीबों पर प्रभाव:

  • रोजगार की अनिश्चितता
  • आय में गिरावट
  • प्रवासन में वृद्धि

श्रम की गरिमा:

  • काम को अधिकार से कृपा में बदलना
  • “गारंटी” शब्द का अर्थहीन प्रयोग

MGNREGA क्यों एक ‘People’s Law’ था

MGNREGA ने ग्रामीण नागरिकों को कम से कम 10 महत्वपूर्ण अधिकार दिए, जिनमें शामिल हैं:

  • काम मांगने का अधिकार
  • समय पर भुगतान
  • बेरोजगारी भत्ता
  • सामाजिक लेखा-परीक्षा
  • विकेंद्रीकृत योजना

VB-G RAM G इनमें से अधिकांश को समाप्त करता है।

समाधान का मार्ग (Path to Solution)

लेख के अनुसार सही समाधान यह नहीं कि:

  • MGNREGA को समाप्त किया जाए

बल्कि यह होना चाहिए:

  • MGNREGA को 125 दिनों तक विस्तारित किया जाए
  • न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई जाए
  • पारदर्शिता एवं सामाजिक लेखा-परीक्षा सुदृढ़ की जाए
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूल कार्यों को जोड़ा जाए

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रस्तावित VB-G RAM G विधेयक, 2025 न तो रोजगार की वास्तविक गारंटी देता है, न ही वह MGNREGA की संवैधानिक, सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों का विकल्प बन सकता है। यह विधेयक श्रम की गरिमा, लोकतांत्रिक सहमति और सहकारी संघवाद के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है। MGNREGA को निरस्त करने के बजाय उसका सशक्तिकरण ही भारत को “विकसित भारत @2047” के लक्ष्य के निकट ले जा सकता है।

📌 UPSC / State PCS के संभावित परीक्षा प्रश्न

GS Paper II (Polity & Governance)

  • हर हाथ को काम और हर काम का पूरा दाम: भारतीय लोकतंत्र में रोजगार गारंटी की भूमिका।

GS Paper II (Polity & Governance)

  • “MGNREGA को निरस्त कर प्रस्तावित VB-G RAM G विधेयक भारत के सहकारी संघवाद को किस प्रकार प्रभावित करता है?” विश्लेषण कीजिए।

GS Paper III (Economy & Social Justice)

  • “ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनाओं का भारत में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा में योगदान स्पष्ट कीजिए।”

GS Paper IV (Ethics)

  • “श्रम की गरिमा की अवधारणा को MGNREGA के संदर्भ में समझाइए।”

 

 

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