भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Indian Cinema)| TheExamPillar
National Museum of Indian Cinema

भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Indian Cinema)

मुम्बई के कम्बाला हिल में पेडर रोड पर स्थित फिल्म प्रभाग परिसर में भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय संग्रहालय 20 जनवरी, 2019 को जनता के लिए खोल दिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 19 जनवरी, 2019 को संग्रहालय का उद्घाटन किया था। 

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस, सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कर्नल राज्य वर्धन राठौड़, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री रामदास अठावले, एमएमआईसी (MMIC) की संग्रहालय सलाहकार समिति की अध्यक्ष श्री श्याम बेनेगल, सीबीएफसी (CBFC – Central Board of Film Certification) अध्यक्ष श्री प्रसून जोशी और विभिन्न फिल्मी हस्तियां उपस्थित थीं।

  • संग्रहालय मंगलवार से रविवार, 11 बजे से 5 बजे शाम तक खुला रहेगा।

संग्रहालय के बारे में

यह संग्रहालय दो इमारतों – ‘नवीन संग्रहालय भवन’ और 19वीं शताब्दी के ऐतिहासिक महल ‘गुलशन महल’ में स्थित है। दोनों इमारतें मुंबई में फिल्म प्रभाग परिसर में हैं।

  • नवीन संग्रहालय भवन में चार प्रदर्शनी हॉल मौजूद हैं –
    • गांधी और सिनेमा : यहां महात्मा गांधी की जीवन पर बनी फिल्में मौजूद हैं। इसके साथ सिनेमा पर उनके जीवन के गहरे प्रभाव को भी दिखाया गया है।
    • बाल फिल्म स्टूडियो : यहां आगुंतकों, खासकर बच्चों को फिल्म निर्माण के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कला को जानने का मौका मिलेगा। इस हॉल में कैमरा, लाइट, शूटिंग और अभिनय से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध होंगी।
    • प्रौद्योगिकीरचनात्मकता और भारतीय सिनेमा : यहां भारतीय फिल्मकारों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जानकारी मिलेगी। रजत पटल पर फिल्मकारों के सिनेमाई प्रभाव को भी पेश किया गया है।
    • भारतीय सिनेमा : यहां देशभर की सिनेमा संस्कृति को दर्शाया गया है।
  • गुलशन महल एएसआई ग्रेड – II धरोहर संरचना है। इसे एनएमआईसी परियोजना के हिस्से के रूप में दुरुस्त किया गया है। यहां पर भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष से अधिक की यात्रा दर्शाई गई है। इसे 9 वर्गों में विभाजित किया गया है,जिनमें सिनेमा की उत्पत्ति, भारत में सिनेमा का आगमन, भारतीय मूक फिल्म, ध्वनि की शुरूआत, स्टूडियो युग, द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव, रचनात्मक जीवंतता, न्यू वेव और उसके उपरांत तथा क्षेत्रीय सिनेमा शामिल हैं।

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