यह लेख “Indian Express” में प्रकाशित “How Gandhi’s politics resonates in a world torn by conflicts” पर आधारित है, इस लेख में बताया गया है की महात्मा गांधी की 155वीं जयंती के मौके पर उनकी राजनीति का महत्व और उसकी प्रासंगिकता पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, खासकर तब जब आज की दुनिया में हिंसा, युद्ध, मानवाधिकारों का उल्लंघन और असमानता जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। गांधी का अहिंसक दृष्टिकोण और संघर्ष आज की चुनौतियों से जूझने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक हो सकता है। इस लेख में हम गांधी की राजनीति के प्रमुख पहलुओं और उसकी आज के समाज में आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।
गांधी का अहिंसक संघर्ष और आज का युग
आज के समय में, जब हिंसा, युद्ध और मानवाधिकार हनन आम हो गए हैं, गांधी का अहिंसा का संदेश पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। दुनिया भर में आज गाजा, यूक्रेन, और अन्य क्षेत्रों में जो संघर्ष और अत्याचार हो रहे हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि मानवता ने अभी तक गांधी के अहिंसा के संदेश को पूरी तरह से अपनाया नहीं है।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, “आज का विकल्प हिंसा और अहिंसा के बीच नहीं है; यह अहिंसा या अस्तित्वहीनता के बीच है।” गांधी की अहिंसा की राजनीति ने हमें यह सिखाया है कि समाज की उन्नति धन और सत्ता पर नहीं, बल्कि नैतिक उत्कृष्टता और सत्य में जीने पर निर्भर करती है।
गांधी का स्वराज और आत्म-संयम की राजनीति
गांधी के लिए, स्वराज (स्व-शासन) सिर्फ सत्ता प्राप्त करना नहीं था, बल्कि यह आत्म-संयम और नैतिक जागरूकता का एक तरीका था। गांधी ने कहा था, “स्वराज तब आएगा जब प्रत्येक व्यक्ति में सत्ता के दुरुपयोग का विरोध करने की क्षमता हो।” इसका मतलब है कि स्वराज व्यक्तिगत आत्म-विकास और सामूहिक नैतिक सुधार पर आधारित होना चाहिए।
गांधी का स्वराज न केवल व्यक्तिगत आजादी का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक सामंजस्य और सामूहिक उत्तरदायित्व का भी प्रतीक है। उनके विचार में, असमानता और संघर्ष को अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से हल किया जा सकता है, जहां प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
गैर-हिंसक संघर्ष की सामूहिक शक्ति
गांधी ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जहां लोग अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संघर्षों को अहिंसा और सहानुभूति के माध्यम से सुलझाते हैं। उनके अनुसार, यह समाज हिंसा की बजाय संवाद और सहयोग पर आधारित होगा। गांधी की राजनीति का मुख्य सिद्धांत यह था कि मानवता का उत्थान केवल सामूहिक शक्ति और सामूहिक नैतिकता से संभव है, न कि व्यक्तिगत लाभ और प्रतिस्पर्धा से।
गांधी के विचार में, अहिंसा न केवल एक सिद्धांत था, बल्कि यह एक क्रांतिकारी अवधारणा भी थी जो दुनिया और मानव जाति के प्रति हमारी सोच को बदल सकती थी। यह हमें यह सिखाता है कि संघर्ष और असहमति को हल करने का सबसे सही तरीका अहिंसा के माध्यम से है।
गांधी का प्रभाव और उनकी विरासत
गांधी का प्रभाव आज भी दुनिया भर में महसूस किया जाता है। अहिंसक संघर्ष के विचारक और नेता जैसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर और वाक्लाव हैवेल ने गांधी के विचारों को अपनाया और अपने संघर्षों में उन्हें लागू किया। हैवेल ने कहा था कि हमें अपने अंतःकरण की आवाज पर भरोसा करना चाहिए और मानवता के मूलभूत गुणों जैसे प्रेम, मित्रता, सहानुभूति और सहिष्णुता को स्वीकार करना चाहिए।
हालांकि आज की युवा पीढ़ी में गांधी के प्रति उदासीनता देखी जा सकती है, लेकिन यह कहना गलत होगा कि आधुनिक भारत का इतिहास बिना गांधी के लिखा जा सकता है। उन्होंने न केवल राजनीति को एक नया अर्थ दिया, बल्कि इसे आत्म-निरीक्षण की प्रक्रिया में बदल दिया।
गांधी की राजनीति का भविष्य
गांधी की राजनीति और उनके अहिंसक संघर्ष की आज की दुनिया में प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। उनकी राजनीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि अहिंसा और नैतिक उत्कृष्टता के माध्यम से दुनिया को बदला जा सकता है। गांधी की विरासत न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में संघर्ष और शांति के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक बन सकती है।
उनकी अहिंसा की राजनीति हमें यह सिखाती है कि समाज और राजनीति को समझने के लिए नैतिकता, संवाद और सहानुभूति की जरूरत है। यह हमें यह भी सिखाती है कि संघर्ष और असमानता का समाधान केवल अहिंसा और सामूहिक जिम्मेदारी के माध्यम से ही हो सकता है।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी की राजनीति और उनकी अहिंसक संघर्ष की विरासत आज की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है। उनकी विचारधारा और संघर्ष ने दुनिया भर में सामाजिक और राजनीतिक बदलाव को प्रेरित किया है। आज के समय में, जब दुनिया कई संघर्षों और हिंसाओं का सामना कर रही है, गांधी का अहिंसा का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक और जरूरी हो गया है। गांधी का स्वराज, नैतिक उत्कृष्टता और आत्म-संयम का संदेश हमें एक बेहतर समाज की ओर ले जाने में मदद कर सकता है, जहां अहिंसा और सहानुभूति सर्वोच्च होंगे।
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