प्राचीनकाल में हमारा देश आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे भारत, हिन्दुस्तान और ‘इण्डिया’ कहने लगे। हिन्द महासागर का नाम हमारे देश के नाम पर ही रखा गया है। यही एक मात्र ऐसा महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है। संविधान में हमारे देश के दो ही नाम स्वीकृत हैं – भारत या इण्डिया।
भारतीय उपमहाद्वीप के
उत्तर-पश्चिम, उत्तर और उत्तर पूर्व में ऊँचे-ऊँचे नवीन वलित पर्वत हैं।
दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर,
दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा
दक्षिण में हिन्द महासागर हैं।
भारत की अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार (India’s Latitudes and Littoral Extensions)
- भारत पूरी तरह से उत्तरी गोलार्ध में स्थित है।
- भारत की मुख्य भूमि 8°4′ और 37°6′ उत्तरी अक्षाशों तथा 68° 7′ व 97°25′ पूर्वी देशान्तरों के बीच फैली है।
- इस प्रकार भारत का अक्षांशीय तथा देशान्तरीय विस्तार लगभग 29° में है। लेकिन धरातल पर वास्तविक दूरी उत्तर से दक्षिण 3214 कि.मी. तथा पूर्व से पश्चिम तक 2933 कि.मी. हैं।
अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार समान होने पर भी वास्तविक दूरी में इतना बड़ा अन्तर क्यों है?
ऐसा इसलिए है कि विषुवत वृत्त पर दो क्रमिक देशान्तरो के बीच की दूरी घटती जाती है और ध्रुवों पर यह शून्य हो जाती है। ऐसा इसलिए है कि सभी देशान्तर रेखाएँ उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर एक बिन्दु में मिल जाती है। इसके विपरीत किसी भी देशान्तर रेखा पर दो क्रमिक अक्षांश वृत्तों के बीच उत्तर से दक्षिण की दूरी सदैव एक समान अर्थात 111 कि. मी. ही रहती है। निम्नलिखित सारिणी से यह बात भली भांति स्पष्ट हो जाती है।
अक्षांश | 0 | 10 | 20 | 30 | 40 | 50 | 60 | 70 | 80 | 90 |
दूरी कि.मी. | 111 | 109.6 | 104.6 | 96.4 | 85.4 | 71.7 | 55.8 | 38.2 | 19.4 | 0 |
भारत की मुख्य भूमि का उत्तरी छोर जम्मू-कश्मीर राज्य में है तथा तमिलनाडु में कन्याकुमारी इसका दक्षिणी छोर है। लेकिन देश का दक्षिणतम छोर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में है। इसे इन्दिरा पाइंट कहते हैं। यह 6°30′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है। भारत का पश्चिमी सिरा गुजरात में तथा पूर्वी सिरा अरूणाचल प्रदेश में है।
भारत के उत्तरी भाग विषुवत वृत्त से काफी दूर हैं। अतः इन भागों में सूर्य की किरणे अधिक तिरछी पड़ती है। फलस्वरूप यहाँ सूर्यातप कम मिलता है। अतः दक्षिणी भारत का भौतिक भागों के विपरीत ये भाग ठंडे हैं। अधिक अक्षांशीय विस्तार का प्रभाव दिन और रात विन्यास की अवधि पर भी पड़ता है। विषुवत वृत्त के निकट स्थित भारतीय क्षेत्रों में दिन और रात की अवधि में लगभग 45 मिनट का अन्तर होता है। भारत के उत्तरी भागों में दिन और रात की अवधि में यह अन्तर क्रमशः बढ़ता ही जाता है। उत्तरी भाग में यह अंतर 5 घंटे तक का हो जाता है।
कर्क रेखा भारत के लगभग बीच से होकर गुजरता है। इस प्रकार कर्क रेखा के दक्षिण का भाग उष्ण कटिबंध में स्थित है और कर्क रेखा के उत्तर का शेष आधा भाग शीतोष्ण कटिबंध में आता है।
भारत का देशान्तीय विस्तार लगभग 29° का है। अतः भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोरों के वास्तविक समय में लगभग दो घंटे का अन्तर रहता है। इस प्रकार जब भारत के पूर्वी छोर पर सूर्योदय होता है तब पश्चिम छोर अंधकार में डूबा होता है। समय के अन्तर की इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए अन्य देशों की तरह भारत ने भी एक मानक मध्याह्न रेखा का चुनाव किया है। मानक मध्याह्न रेखा पर जो स्थानीय समय होता है, उस समय को देश का मानक समय माना जाता है।
भारत की मानक मध्याह्न रेखा 82°30′ पूर्वी देशान्तर है। इस का स्थानीय समय ही सारे भारत का मानक समय माना गया है। मध्याह्न रेखा का चुनाव करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह देश के लगभग मध्य से गुजरे तथा 7°30′ से पूरी-पूरी विभाजित हो जाए। 82°30′ देशान्तर रेखा इन दोनों ही कसौटियों पर खरी उतरती है।
भारत का उत्तरी मध्य भाग चौड़ा है, जबकि इसका दक्षिणी भाग हिन्द महासागर की ओर संकीर्ण होता गया है। इस प्रकार हिन्द महासागर भारतीय प्रायद्वीप के कारण दो भागों में विभाजित हो गया है। उत्तरी हिन्द महासागर का पश्चिमी भाग अरब सागर के नाम से तथा पूर्वी भाग बंगाल की खाड़ी के नाम से जाना जाता है। द्वीप समूहों सहित भारत की तट रेखा की कुल लंबाई 7516.6 कि.मी. है। पाक जल-सन्धि भारत की मुख्य भूमि को श्रीलंका से पृथक करती है।
भारत की भू-सीमा 15200 कि.मी. लंबी है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, म्याँमार, भूटान और बांग्लादेश से हमारे देश की सीमाएँ मिलती हैं।
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