भारत का सबसे शक्तिशाली उपग्रह जीसैट-11 | TheExamPillar
Indian satellite GSAT-11

भारत का सबसे शक्तिशाली उपग्रह जीसैट-11

भारत के सबसे भारी (5,845 किग्रा वजनी) उपग्रह GSAT-11 को बुधवार (5 नवंबर 2018) को दक्षिण अमेरिका के पूर्वोत्तर तटीय इलाके में स्थित फ्रांस के अधिकार वाले भू-भाग फ्रेंच गुयाना के कौरू में स्थित एरियन प्रक्षेपण केन्द्र से भारतीय समयानुसार तड़के 2 बजकर 7 मिनट पर रॉकेट ने उड़ान भरी। एरियन-5 रॉकेट ने बेहद सुगमता से करीब 33 मिनट में GSAT-11 को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया यह GSAT-11 का सफल प्रक्षेपण देश में ब्रॉडबैंड सेवाओं को बढ़ावा देगा। 

प्रक्षेपण यान Ariane-5 VA- 246 ने सबसे ज्‍यादा भार वाले GSAT-11 और दक्षिणी कोरिया के उपग्रह जीओ COMSAT 2A को लेकर फ्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केन्‍द्र से उड़ान भरी।  एरियन -5, सोयूज और वेगा सहित उन तीन प्रक्षेपण यानों में से एक है जिसे यूरोप की एरियनस्‍पेस कंपनी संचालित करती है।

फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपण की वजह 

दक्षिण अमेरिका स्थित फ्रेंच गुयाना के पास लंबी समुद्री रेखा है, जो इसे रॉकेट लांचिंग के लिए और भी मुफीद जगह बनाती है। इसके अलावा फ्रेंच गुयाना एक भूमध्यरेखा के पास स्थित देश है, जिससे रॉकेट को आसानी से पृथ्वी की कक्षा में ले जाने में और मदद मिलती है। जियोस्टेशनरी कक्षा की ऊंचाई भूमध्य रेखा से करीब 36,000 किलोमीटर होती है।

ज्यादातर रॉकेट पूर्व की ओर से छोड़े जाते हैं ताकि उन्हें पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए पृथ्वी की गति से भी थोड़ी मदद मिल सके। दरअसल पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है।

क्यों खास है GSAT-11 सैटेलाइट?

  • ये भारत में बना अब तक का सबसे भारी (5,845 किग्रा) सैटेलाइट है।
  • इस सैटेलाइट की लागत करीब 500 करोड़ है
  • यह अब तक बने सभी सैटेलाइट में ये सबसे ज्यादा बैंडविथ साथ ले जाना वाला उपग्रह भी है।
  • यह 15 साल से ज्यादा वक्त तक सेवाएं देने के हिसाब से तैयार किया गया है।
  • इससे पूरे भारत में इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी।
  • यह देश में ग्राम पंचायत स्तर तक पर भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत ब्रॉडबैंड सर्विस उपलब्ध कराएगा।
  • यह 16 गीगाबाइट प्रति सेकंड की रफ्तार से डेटा भेज सकता है।

इंटरनेट क्रांति के लिए लॉन्च किए जाने हैं 4 सैटेलाइट

देश में डिजिटल इंडिया मिशन के तहत इंटरनेट क्रांति के लिए चार उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना है। इनमें GSAT-11 तीसरा है। इससे पहले GSAT-19 और GSAT-29 पहले ही प्रक्षेपित किए जा चुके हैं। चौथा सैटेलाइट GSAT-20 साल प्रक्षेपित किया जाएगा। चारों सैटलाइट लॉन्च होने के बाद देश में 100 गीगाबाइट प्रति सेकंड की रफ्तार से डेटा ट्रांसफर होने की उम्मीद है।

पहले किया जाना था लांच

GSAT-11 को 25 मई को लांच किया जाना था। इसके टाले जाने का कारण यह है कि कुछ दिन पहले ही इसरो का बनाया हुआ उपग्रह GSAT-6A लांच के बाद अंतरिक्ष में खो गया था, इसरो का उससे संपर्क टूट गया था। GSAT-6A जैसे कुछ पुर्जे GSAT-11 में भी लगे हैं। ऐसे में इसरो उसको दोबारा टेस्ट करना चाहता था ताकि इसमें कोई कमी न हो और ये फेल ना हो।

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