भक्ति रस (Bhakti Ras) इस रस में ईश्वर की अनुरक्ति एवं अनुराग का वर्णन रहता है अर्थात् इस रस में ईश्वर के प्रति प्रेम का…
Read Moreवात्सल्य रस (Vatsalya Ras) छोटे बालकों के बाल-सुलभ मानसिक क्रिया-कलापों के वर्णन से उत्पन्न वात्सल्य प्रेम की परिपक्वावस्था को वात्सल्य रस कहा जाता है। माता…
Read Moreशान्त रस (Shant Ras) अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक रूप के ज्ञान से हृदय को शान्ति मिलती है और विषयों से वैराग्य हो…
Read Moreवीभत्स रस (Vibhats Ras) जुगुप्सा नामक स्थाई भाव जब विभवादि भावों के द्वारा परिपक्वास्था में होता तब वह वीभत्स रस कहलाता हैं। इसकी स्थिति दु:खात्मक…
Read Moreभयानक रस (Bhayanak Ras) जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे सम्बंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण…
Read Moreहास्य रस (Hasya Ras) किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है,…
Read Moreवीर रस (Veer Ras) उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभवादि के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत होता है, तब उसे वीर रस…
Read Moreरौद्र रस (Raudra Ras) किसी व्यक्ति द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न भाव की परिपक्वास्था को रौद्र रस कहा जाता है। धार्मिक…
Read Moreअद्भुत रस (Adbhut Ras) किसी आश्चर्यजनक वर्णन से उत्पन्न विस्मय भाव की परिपक्वावस्था को अद्भुत रस कहा जाता है। भरतमुनि ने वीर रस से अद्भुत…
Read Moreकरुण रस (Karuna Ras) किसी प्रिय व्यक्ति के चिर विरह या मरण से उत्पन्न होने वाले शोक आदि के भाव की परिपक्वास्था को करुण रस…
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