माहीगीर जनजाति (Mahigeer Tribal)
निवास क्षेत्र
माहीगीर आदिवासी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद क्षेत्र में निवास करते हैं। ये लोग नजीबाबाद के अलावा सहारनपुर, जलालाबाद, किरतपुर, मनेरा, मंडवार और धारानगर में भी निवास करते है।
उत्पत्ति
माहीगीर जनजाति मछुआरे हैं तथा उन्हीं से अपना सम्बन्ध बताते हैं। महाभारत में भी इस जनजाति के होने का उल्लेख मिलता है। भाषा व बोली-माहीगीर आदिवासी एक विशेष प्रकार की बोली बोलते हैं। जो खड़ी बोली से मिलती-जुलती है। इन लोगों में शिक्षा का प्रसार बहुत कम हुआ है।
धर्म
इस जनजाति के लोगों ने इस्लाम धर्म को अपना लिया है। मस्जिदों का उपयोग नमाज पढ़ने के लिए करते हैं। इन लोगों में सामाजिक भेद-भाव तथा ऊँच-नीच कम पायी जाती है।
विवाह
माहीगीर जनजाति अपने ही समुदाय में विवाह करती है। विवाह के रीति-रिवाज़ मुस्लिम तौर-तरीके से सम्पन्न होते हैं।
भोजन
राजी आदिवासी मुख्य रूप से जंगली जानवरों का शिकार कर उनके माँस का प्रयोग भोजन हेतु करते हैं। ये लोग नीच जाति के लोगों का छुआ हुआ भोजन नहीं करते हैं। इनके परिवार के सभी सदस्य चौके (रसोई) में एक साथ भोजन करते हैं तथा साथ-साथ स्प्रिट का प्रयोग शराब के रूप में करते हैं।
अर्थव्यवस्था
इस जनजाति का मख्य व्यवसाय मछली पकड़ना है। हालांकि, परम्परागत साधनों से मत्स्य आखेट के कारण इनकी स्थिति काफी दयनीय है। इस कारण कुछ लोग मजदूरी व रिक्शा चलाने का भी कार्य करते हैं। यह कृषक श्रमिक के रूप में भी काम करते हैं। माहीगीर जनजाति के अधिकांश सदस्य एक ही कार्य करते हैं। हालांकि, माहीगीर मछुआरों का जीवन व्यतीत करते हैं। फिर भी इन्हें अपने
आपको मछुआरे कहलाने पर आपत्ति होती है। ये नगरों के पास स्थित तालाबों में मछली पकड़ने का काम करते हैं, लेकिन अब नगरों का विकास होने के कारण तालाबों के नष्ट हो जाने से इन लोगों का मछली पकड़ने का अधिकार भी लगभग समाप्त हो गया है। इस कारण इनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई है।
सामाजिक व्यवस्था
माहीगीर जनजाति का सामाजिक संगठन अति सरल है। ये लोग संगठित समाज के रूप में रहते हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ये स्वयं साधन उपलब्ध करते हैं। अपराध करने की प्रवृत्ति इन लोगों में कम पायी जाती है। इनके समाज में पंचायतों का प्रचलन है। नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत की इकाइयाँ होती हैं जिसमें बादशाह तथा वजीर विभिन्न मामलों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बादशाह और वजीर के पद वंशानुक्रम से – प्राप्त होते है। पंचायत में निर्णय सर्वसम्मति से किये जाते हैं जिसका सभी आदर करते हैं।
इस जनजाति में शिक्षा का काफी अभाव है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी आधुनिक उपचारों को अपनाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार एवं विभिन्न समाजसेवी संस्थाएँ इनके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए प्रयत्नशील हैं।
माहीगीर जनजाति में अगर कोई अपना कबीला खोजे तो उसके लिए क्या करना होगा
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