Daily The Hindu Editorial - Delhi’s Air Pollution When Will a Solution Emerge

दिल्ली में वायु प्रदूषण: समाधान कब मिलेगा?

दिल्ली में वायु प्रदूषण की विकराल स्थिति

दिल्ली हर साल नवंबर के महीने में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझती है। इस वर्ष, 18 नवंबर 2024 को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का औसत स्तर 488 तक पहुँच गया, जबकि कुछ निजी स्रोतों ने इसे 1000 से भी अधिक बताया। यह समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि पड़ोसी राज्यों की गतिविधियों का भी इसमें बड़ा योगदान है। वायु प्रदूषण के कारण और समाधानों की गहरी समझ के बावजूद, इस संकट का प्रभावी समाधान निकालने में सरकार और प्राधिकरण असफल साबित हो रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और आँकड़े

वर्ष 2024 में, ‘गंभीर’ श्रेणी (AQI 400 से ऊपर) वाले दिनों की संख्या चिंताजनक है।

  • गंभीर दिनों की संख्या: 2016 से लेकर अब तक केवल दो वर्षों में ‘गंभीर’ दिनों की संख्या एकल अंक में रही है।
  • ‘खराब’ दिनों (AQI 200 से ऊपर) की संख्या: 2016 में 200 दिनों से घटकर 2024 में 121 दिन हो गई है।
    लेकिन यह कमी केवल आँकड़ों में दिखती है; जमीनी स्तर पर प्रदूषण से राहत नहीं मिली है।

प्रदूषण के प्रमुख स्रोत

1. पराली जलाना (स्टबल बर्निंग):

  • नवंबर के मध्य में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है।
  • हालाँकि, पराली जलाने का प्रभाव सीमित समय के लिए रहता है।

2. घरेलू स्रोत और सड़क धूल:

  • घरेलू गतिविधियों से निकलने वाला प्रदूषण और सड़क धूल सालभर समस्या बनी रहती है।
  • सड़क धूल को नियंत्रित करना पराली जलाने से अधिक चुनौतीपूर्ण है।

3. मौसमी परिस्थितियाँ:

  • नवंबर-दिसंबर के दौरान ठंडी और स्थिर हवा प्रदूषकों को दिल्ली के वातावरण में फँसा देती है।

सरकार की प्रतिक्रिया: समस्याएँ और कमियाँ

1. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM):

  • यह निकाय दिल्ली और आसपास के राज्यों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
  • लेकिन इसे एक “दंतहीन” संस्था माना जाता है, जो सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही सक्रिय होती है।

2. राजनीतिक प्राथमिकताओं की कमी:

  • केंद्रीय और राज्य सरकार के मंत्री प्रदूषण पर ध्यान देने के बजाय अन्य राजनीतिक कार्यों में व्यस्त हैं।
  • दिल्ली सरकार के मंत्री कभी ‘क्लाउड सीडिंग’ जैसे अल्पकालिक समाधान सुझाते हैं तो कभी डेटा की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हैं।

3. जनसंचार का अभाव:

  • सरकार जनता को सही जानकारी देने और समस्या के समाधान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में असफल रही है।

संभावित समाधान

1. पराली जलाने का नियंत्रण:

  • पराली प्रबंधन के लिए बायो-डिकम्पोजर तकनीक का उपयोग।
  • किसानों को आर्थिक सहायता और वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराना।

2. सड़क धूल नियंत्रण:

  • नियमित सड़क सफाई और हरित क्षेत्र विकसित करना।
  • सड़कों के निर्माण और मरम्मत में सुधार।

3. सार्वजनिक जागरूकता:

  • प्रदूषण नियंत्रण में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • स्कूलों, संस्थानों और मीडिया के माध्यम से व्यापक अभियान चलाना।

4. सामूहिक प्रयास:

  • पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय करना।
  • केंद्रीय और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक मतभेदों को दूर करना।

लंबी अवधि के समाधान की आवश्यकता

दिल्ली में वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए केवल तात्कालिक उपाय पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए दीर्घकालिक नीति और सशक्त संस्थान जरूरी हैं।

1. नीति में सुधार:

  • दीर्घकालिक नीतियों के माध्यम से प्रदूषण के स्थायी समाधान पर ध्यान देना।

2. निगरानी और क्रियान्वयन:

  • वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए मजबूत तंत्र।
  • सरकार को प्रदूषण नियंत्रण को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे राजनीतिक एजेंडा से ऊपर रखना चाहिए।

3. जनभागीदारी:

  • लोगों को प्रदूषण नियंत्रण के महत्व को समझाने और इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित करना।

निष्कर्ष

दिल्ली का वायु प्रदूषण एक जटिल और बहुआयामी समस्या है, जिसके समाधान के लिए सरकार, समाज और वैज्ञानिकों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। जब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति, नीति निर्धारण और जनसहभागिता का संतुलन नहीं होगा, तब तक इस समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।

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