उत्तराखण्ड में शिल्पकला (Craft in Uttarakhand) | TheExamPillar
Craft in Uttarakhand

उत्तराखण्ड में शिल्पकला (Craft in Uttarakhand)

उत्तराखण्ड में शिल्पकला
(Craft in Uttarakhand) 

राज्य की प्रमुख चित्रकलाओं का विवरण निम्न है – 

रिंगाल शिल्प  

  • रिंगाल से कण्डी, चटाई, सूप, टोकरी व मोस्टा तैयार किए जाते हैं, जिनका उपयोग कृषि एवं घरेलू कार्यों के लिए किया जाता है। 

कालीन एवं रेशा शिल्प 

  • उत्तराखण्ड राज्य में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला एवं मुंस्यारी क्षेत्रों व चमोली जिले के कुछ विशेष क्षेत्रों में कालीन काफी प्रसिद्ध है। भेड़ों से ऊन प्राप्त कर यहाँ पश्मीना, चुटका, कम्बल, दन, थुलमा और पंखी आदि निर्मित किए जाते हैं। 
  • राज्य में भांग के पौधों से प्राप्त रेशों से कम्बल, दरी, रस्सियाँ आदि बनाए जाते हैं।

ताम्रशिल्प 

  • अल्मोड़ा का ताम्र शिल्प अधिक प्रसिद्ध है।
  • स्थानीय कारीगर ‘टम्टा’ ताँबे से गागर, लोटा, परांत, कलश, रणसिंह, दीप, पंचपात्र आदि वस्तुओं का निर्माण करते हैं। 

मृदाशिल्प 

  • राज्य के सभी क्षेत्रों में मिट्टी के बर्तन, दीप, डिकाने बनाने का कार्य किया जाता है, जिनमें सुराही, कलश, गमला, गुल्लक, चिलम आदि प्रमुख हैं। 
  • घर में प्रयुक्त मिट्टी से देवी-देवताओं की मूर्ति बनाना कण्डी कहलाता है। 

चर्म शिल्प 

  • उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषा में चमड़े का कार्य करने वालों को बड़ई या शारकी कहा जाता है। मुख्यतः लोहाघाट, जोहारी घाटी, नाचनी, मिलम आदि में चर्म शिल्प का कार्य होता है।

शिल्प 

  • बाँस से मुख्य रूप से सूप, डाले, कण्डी, छापड़ी, टोकरी आदि तैयार किए जाते हैं। 

काष्ठ शिल्प 

  • उत्तराखण्ड राज्य लकड़ी की प्रधानता के कारण काष्ठ शिल्प के लिए सदैव प्रसिद्ध रहा है। 
  • लकड़ी से पाली, ठेकी, कुमया, भदेले, नाली आदि का निर्माण किया जाता है। 

 

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