बिहार दिवस (Bihar Diwas)

बिहार दिवस

बिहार दिवस प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। वहीं आज बिहार का 107वाँ दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन आधिकारिक रूप से बिहार दिवस मनाने की परंपरा वर्ष 2010 से प्रारंभ की गई, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार पटना स्थित ऐतिहासिक गांधी मैदान में 22 मार्च, 2010 को प्रथम बिहार दिवस का शुभारंभ किया। इसके बाद से प्रतिवर्ष बिहार दिवस मनाया जाता है। 22 मार्च को ही बिहार दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है कि 22 मार्च, 1912 को ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल को बिहार से अलग करने का गजट प्रकाशित किया गया तथा 1 अप्रैल, 1912 को बंगाल से बिहार को अलग कर दिया गया। बंगाल से बिहार को अलग करने की घोषणा 12 दिसंबर, 1911 को गई थी, जिस दिन भारत की राजधानी कलकत्ता से स्थानांतरित कर दिल्ली बनाई गई थी। नवगठित बिहार प्रांत के प्रथम राज्यपाल सर चार्ल्स स्टूवर्ट बेले को एवं उप-राज्यपाल के.सी.एस.आई. को नियुक्त किया गया था। सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा राज्य के प्रथम भारतीय राज्यपाल नियुक्त हुए थे।

बिहार दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने राजकीय अवकाश की घोषणा की है। वर्तमान समय में भारत के कई शहरों के साथ-साथ विदेशों में भी बिहार दिवस का आयोजन किया जाता है। 22 मार्च, 2016 को यू.एस.ए., ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बहरीन, कतर, त्रिनिदाद ऐंड टोबैगो, मॉरीशस तथा यू.ए.ई. में बिहार दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य के बाहर एवं दूसरे देशों में बिहार फाउंडेशन नामक संस्था द्वारा किया जाता है। बिहार फाउंडेशन राज्य सरकार का सिंगल विंडो सिस्टम है, जो आप्रवासी बिहारियों को राज्य के विकास के लिए निवेश करने हेतु प्रोत्साहित करने का कार्य करता है।

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सातवें बिहार दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तीकरण पर जोर देते हुए कहा कि नारी सशक्तीकरण से ही हमारा समाज मजबूत होगा। नारी में जो बड़ी शक्ति और ऊर्जा है, उसका इस्तेमाल समाज एवं राज्य के विकास के लिए होना चाहिए और इसके लिए सरकार दृढ संकल्पित है। राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्राओं को पोशाक एवं साइकिल दी जा रही है। पंचायत एवं नगर निकाय के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया। ऐसा करने वाला बिहार पहला राज्य बना। शिक्षक नियोजन में भी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, महिला सिपाही व सब-इंस्पेक्टर की नियुक्ति में 35 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए ‘अक्षर आँचल’ योजना चलाई जा रही है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह जीविका की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य है। इसमें 1.10 करोड़ महिलाएँ तथा उनका परिवार जुड़ जाएगा। साइकिल योजना के कारण 9वीं कक्षा में पढ़नेवाली लड़कियों की संख्या में 3 गुना वृद्धि हुई है और वे भविष्य के सपनों की उड़ान भरने लगी हैं।

बिहार सरकार अपने स्वर्णिम अतीत से लोगों को जाग्रत् करने के लिए 22 मार्च, 2010 से प्रतिवर्ष बिहार दिवस का आयोजन करती आ रही है। इसका उद्देश्य बिहार के लोगों में स्वाभिमान को जाग्रत् करना है। इससे संस्कृति, परंपरा एवं अपने महापुरुषों के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता के भाव जगेंगे। बिहार विदेहराज जनक, विश्वामित्र, चाणक्य और चंद्रगुप्त की धरती रहा है। महान विद्वानों, दार्शनिकों, चिंतकों और साहित्यकारों का संबंध बिहार से रहा है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक दृष्टि से यह भूमि अत्यंत वैभवशाली रही है। मौर्य वंश के महान शासक सम्राट् अशोक का साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला था तथा शेरशाह शूरी भी बिहार के थे। यह भगवान् बुद्ध, भगवान् महावीर तथा गुरु गोविंद सिंह की पवित्र धरती है। यहाँ सूफी संतों की वाणी भी गूंजी। 3 प्राचीन विश्वविद्यालयों में नालंदा और विक्रमशिला बिहार में ही थे। बिहार की गाथा की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम होगी।

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बिहार दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य है- बिहारियों के बीच भावनात्मक लगाव को विकसित करना तथा बिहार राष्ट्रीयता को मजबूती प्रदान करना। इस आयोजन के द्वारा प्राचीन बिहार की ऐतिहासिक समृद्धि तथा राज्य के संसाधनों एवं विकास की परिस्थितियों को आकर्षक रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत करना, जिससे राज्य की नकारात्मक छवि को दूर किया जा सके। इसके माध्यम से राज्य एवं देश के बाहर रह रहे बिहारी उद्योगपतियों, आप्रवासी बिहारियों एवं अन्य उद्योगपतियों में बिहार के प्रति आकर्षण पैदा करना, ताकि राज्य में अधिक-सेअधिक पूँजी निवेश किया जा सके। ‘बिहार दिवस’ के आयोजन से बिहारी सभ्यता-संस्कृति एवं गौरवगाथा की चर्चा से हमारी नई पीढ़ी शिक्षित एवं सुसंस्कृत होगी। कालक्रम में बिहार का नाम और इसकी सांस्कृतिक खुशबू सात समंदर पार पहुँचेगी और बिहार का सर्वांगीण विकास संभव होगा।

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