बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative System of Bihar)

बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative System of Bihar)

बिहार राज्य का सन 1912 में उदय होने के बाद राज्य में प्रशासन की स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित की गई। 1936 में उड़ीसा तथा 2000 में झारखंड विभाजन के पश्चात् वर्तमान बिहार की प्रशासनिक रूपरेखा नए रूप में सामने आई है।

राज्य का प्रशासन चलाने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था को पाँच स्तरों पर वर्गीकृत किया गया है, जो राज्य में सरकारी नीतियों, नियमों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करता है। पाँच स्तरों पर वर्गीकृत प्रशासनिक व्यवस्था में प्रमंडलीय प्रशासन, जिला प्रशासन, अनुमंडल प्रशासन, प्रखंड स्तरीय प्रशासन एवं ग्राम पंचायत स्तरीय प्रशासन सम्मिलित हैं।

प्रमंडलीय प्रशासन (Regional administration)

राज्य में नौ प्रमंडल हैं, जिनके प्रमुख प्रमंडलीय आयुक्त होते हैं। ये आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरीय और अनुभवी अधिकारी होते हैं। आयुक्त के कार्यों में जिलाधिकारियों के विधि-विकास कार्यों में पर्यवेक्षक की भूमिका और न्यायालयों के कार्य आदि होते हैं। आयुक्त के सहायक अपर जिला दंडाधिकारी स्तर के सचिव के अलावा एक उप-निदेशक (खाद्य), उप-निदेशक (पंचायती राज) और अपर जिला दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉड) के रूप में होते हैं।

जिला प्रशासन (District Administration)

बिहार में वर्तमान (2019) में कुल 38 जिले हैं। जिले में प्रशासन का प्रमुख जिलाधिकारी होता है। इसे विभिन्न पदरूपों में अपना कार्यभार सँभालना होता है। भू-राजस्व वसूली, कैनाल एवं अन्य शुल्कों की वसूली, विभिन्न राजकीय ऋणों की वसूली, राष्ट्रीय विपदाओं का मूल्यांकन और उनमें सहायता कार्य, स्टांप ऐक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन, सामान्य एवं विशेष भूमि अर्जन का कार्य, जमींदारी बॉण्ड्स का भुगतान, भू-अभिलेखों का समुचित रखरखाव, भूमि पंजीकरण का कार्य, सांख्यिकी संबंधी रिकॉर्ड रखना कलेक्टर के रूप में जिलाधिकारी का प्रमुख कार्य है।

अनुमंडल प्रशासन (Subdivision Administration)

बिहार में वर्तमान (2019) में 102 अनुमंडल हैं। जिला प्रशासन के बाद क्षेत्रीय प्रशासन में अनुमंडल प्रशासन आता है, जिसका प्रमुख अनुमंडल पदाधिकारी (S.D.M) होता है। यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी अथवा राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को सौंपा जाता है। बिहार के अनुमंडल प्रशासन में दोनों प्रकार के पदाधिकारी हैं। ये पदाधिकारी भी अपने क्षेत्र में जिलाधिकारी की भाँति ही कई भूमिकाओं का निर्वाह करते हैं। राजस्व, विधि और न्याय संबंधी कार्यों में इनकी प्रमुख भूमिका होती है। इसके साथ ही ये विकास संबंधी योजनाओं का पर्यवेक्षण और क्रियान्वयन करने का कार्य भी करते हैं।

ये पदाधिकारी कृषि और भूमि संबंधी राजस्व वसूलने और अंचलाधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने का कार्य करते हैं। अपने अधीनस्थ प्रतिनियुक्तियों का कार्य करते हैं। क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस पर नियंत्रण और आदेश जारी करते हैं। क्षेत्र में शस्त्र आवेदनों पर अनुशंसा के साथ शस्त्रों का वार्षिक निरीक्षण भी करते हैं, साथ ही क्षेत्र में आनेवाले जिला/राज्य/केंद्र के विशेष व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंध करते हैं।

प्रखंड प्रशासन (Block Administration)

बिहार में वर्तमान (2019) में 534 प्रखंड हैं। जिला प्रशासन की दूसरी सीढ़ी प्रखंड प्रशासन है, जिसमें अंचलाधिकारी, प्रखंड विकास अधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, पशुपालन पदाधिकारी, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी आदि पदनामित पदाधिकारी सम्मिलित होते हैं। इनमें अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास अधिकारी के पद और कार्य प्रमुख होते हैं।

अंचलाधिकारी एवं उसके कार्य

अंचलाधिकारी का पद राज्य प्रशासनिक सेवा अथवा अन्य सेवाओं से प्रोन्नत हुए पदाधिकारी को दिया जाता है। भू-राजस्व, भू-अभिलेख, विधि व्यवस्था का संधारण करना, चुनाव, जनगणना, कृषि सांख्यिकी, आय प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र जारी करना, पर्व-त्योहारों में शांति-व्यवस्था, सौहार्द बनाने और विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंधन करना, राज्य में आदिवासियों के भूमि-संबंधी अधिकारों की सुरक्षा करना, समाज कल्याण के सभी कार्यों का संपादन करना, आपदा, दुर्घटना, दंगा-पीड़ित लोगों के मुआवजे का आकलन और मुआवजा देने का कार्य करना आदि अंचल के अंतर्गत आनेवाले ग्रामीण क्षेत्रों में इसके प्रमुख कार्य हैं।

प्रखंड विकास अधिकारी एवं उसके कार्य

यह राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी अथवा राज्य कृषि सेवा के अधिकारियों को सौंपा जानेवाला पद है। यह अधिकारी प्रखंड के सभी विभागों के अधिकारियों के बीच सहयोगी और समन्वयक की भूमिका निभाता है। केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करना, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार संबंधी आवेदनों की अनुशंसा करना एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं को क्रियान्वित करना इसके प्रमुख कार्य हैं।

बिहार के प्रमंडल, जिले एवं अनुमंडल

प्रमंडल जिला अनुमंडल
पटनापटना1. पटना सदर, 2. दानापुर, 3. बाढ़, 4. पटना सिटी, 5. मसौढ़ी, 6. पालीगंज
नालंदा1. बिहारशरीफ सदर, 2. हिलसा, 3. राजगीर
रोहतास1. सासाराम सदर, 2. विक्रमगंज, 3. डेहरी
भभुआ (कैमूर)1. भभुआ सदर, 2. मोहनिया
भोजपुर (आरा) 1. आरा सदर, 2. जगदीशपुर, 3. पीरो
बक्सर1. बक्सर सदर, 2. डुमराँव
मगधगया1. गया सदर, 2. शेरघाटी, 3. टेकारी, 4. नीमचक, 5. बथानी
जहानाबाद1. जहानाबाद सदर
अरवल1. अरवल सदर
नवादा1. नवादा सदर, 2. रजौली
औरंगाबाद1. औरंगाबाद सदर, 2. दाऊदनगर
सारण (छपरा)सारण (छपरा)1. छपरा सदर, 2. मढ़ौरा, 3. सोनपुर
सीवान1. सीवान सदर, 2. महाराजगंज
गोपालगंज1. गोपालगंज सदर, 2. हथुआ
तिरहुत (मुजफ्फरपुर) मुजफ्फरपुर1. मुजफ्फरपुर पूर्व, 2. मुजफ्फरपुर पश्चिम
सीतामढ़ी1. सीतामढ़ी सदर, 2. पुपरी, 3. बेलसंड
शिवहर1. शिवहर सदर
प. चंपारण (बेतिया)1. बेतिया, 2. बगहा, 3. नरकटियागंज
पू. चंपारण 1. मोतिहारी सदर, 2. अरेराज, 3. चकिया, 4. पकड़ीदयाल, 5. रक्सौल, 6. सिकहरना
वैशाली1. हाजीपुर, 2. महुआ, 3. महनार
दरभंगादरभंगा1. दरभंगा सदर, 2. बेनीपुर, 3. बिरौल
मधुबनी1. मधुबनी सदर, 2. जयनगर, 3. बेनीपट्टी, 4. झंझारपुर, 5. फुलपरास
समस्तीपुर 1. समस्तीपुर सदर, 2. दलसिंहसराय, 3. पटोरी 4. रोसड़ा
कोसी (सहरसा)सहरसा1. सहरसा, 2. सिमरी बख्तियारपुर
सुपौल 1. वीरपुर, 2. निमर्ली, 3. सुपौल, 4. त्रिवेणीगंज
मधेपुरा 1. मधेपुरा, 2. उदाकिशुनगंज
पूर्णिया पूर्णिया1. पूर्णिया सदर, 2. बनमनखी, 3. वायसी, 4. धमदाहा
अररिया1. अररिया सदर, 2. फारबिसगंज
किशनगंज1. किशनगंज
कटिहार1. कटिहार सदर, 2. बारसोई, 3. मनिहारी
भागलपुर भागलपुर1. भागलपुर सदर, 2. कहलगाँव, 3. नवगछिया
बाँका1. बाँका सदर
मुंगेरमुंगेर1. मुंगेर, 2. हवेली खड़गपुर, 3. तारापुर
लखीसराय1. लखीसराय
जमुई1. जमुई
खगड़िया 1. खगड़िया, 2. गोगरी
शेखपुरा 1. शेखपुरा
बेगूसराय 1. बेगूसराय, 2. तेघड़ा, 3. बलिया 4. मँझौली 5. बखड़ी

जिलों की विवरणी इस प्रकार राज्य में कुल मिलाकर 9 प्रमंडल एवं 38 जिले हैं।

 

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