अवसादी शैलें (Sedimentary Rock)
इन शैलों की रचना अवसादों के निरन्तर जमाव से होती है। ये अवसाद किसी भी पूर्ववर्ती शैल – आग्नेय, रूपान्तरित या अवसादी शैलों का अपरदित मलवा हो सकता है। अवसादों का जमाव परतों के रूप में होता है। इसलिए इन शैलों को परतदार शैल भी कहते हैं। इन शैलों की मोटाई कुछ मिलीमीटर से लेकर कई मीटर तक होती है। इन शैलों की परतों के बीच में जीवाश्म भी मिलते हैं। जीवाश्म प्रागैतिहासिक काल के पशु और पौधों के अवशेष हैं। ये अवशेष अवसादी शैलों की परतों में दबकर भार पड़ने के कारण ठोस रूप धारण कर लेते हैं। धरातल पर अधिकतर अवसादी शैलों का विस्तार मिलता है, परन्तु ये शैलें कम गइराई तक ही मिलती हैं।
- शैलों से पहले अनेकों कण टूटते हैं और फिर उन टूटे कणों को परिवहन के कारक बहता-जल, समुद्री लहरें, हिमानी, पवन आदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं।
- जब परिवहन के कारकों में इन कणों को ढोने की शक्ति में कमी आती है तो वे समुद्र, झील या नदी के शांत जल में अथवा अन्यत्र उपयुक्त स्थानों पर जमा हो जाते हैं।
- ढोकर लाये गये शैलों के कणों के किसी स्थान पर जमा होने की प्रक्रिया को अवसादन या निक्षेपण कहते हैं।
- अवसादी शैलों का नाम अवसाद ढोने वाले कारकों और उनके जमाव स्थल के संदर्भ में रखा जाता है।
- जैसे नदी-नदीकृत शैल, झील-सरोवरी शैल, समुद्र-समुद्रकृत शैल, मरुस्थल-पवनकृत शैल, हिमानी–हिमानीकृत शैल, आदि।
अवसाद प्रायः बारीक कणों से निर्मित मुलायम परत होती हैं। प्रारम्भ में ये बालू मिट्टी के रूप में होते हैं। कालान्तर में यही पदार्थ भारी दवाब के कारण संयुक्त रूप धारण कर ठोस बन जाते हैं और अवसादी शैलों का निर्माण करते हैं।
- प्रारम्भ में अवसादी शैलों का जमाव क्षैतिज रूप में होता है। बाद में चलकर भूपर्पटी में हुई हलचलों के कारण झुकाव पैदा हो जाते हैं। बलुआ पत्थर, शैल, चूना पत्थर और डोलोमाइट अवसादी शैलें हैं।
- परिवहन के विभिन्न कारक जैसे बहता जल, पवन या हिमानी अवसादों को अलग-अलग आकारों में छाँटते रहते हैं। विभिन्न आकार के अवसाद अनुकूल परिस्थितियाँ पाकर एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
- कांगलोमरेट इस प्रकार की अवसादी शैल का उदाहरण है। इस प्रकार की प्रक्रिया से बनी शैलों को भौतिक अवसादी शैल कहते हैं।
- पेड़-पौधों अथवा जानवरों से प्राप्त जैवीय पदार्थों के एकीकरण से बनी अवसादी शैलें जैविक मूल की शैल होती है।
- कोयला और चूना पत्थर जैविक मूल की अवसादी शैलें हैं।
अवसादों की रचना रासायनिक प्रक्रिया से भी संभव है। जल अपनी घुलन क्रिया के द्वारा शैलों से बहुत सारे रासायनिक तत्व ग्रहण कर अवसाद के रूप में जमा करता रहता है। यही अवसाद कालान्तर में शैल बन जाता हैं। सेंधा नमक, जिप्सम, शोरा आदि सब इसी प्रकार की शैलें है। संसार के विशालकाय बलित पर्वतों जैसे हिमालय, एण्डीज आदि की रचना शैलों से हुई है। संसार के सभी जलोढ़ निक्षेप भी अवसादों के एकीकृत रूप हैं। अतः सभी नदी | द्रोणियों विशेषकर उनके मैदान तथा डेल्टा अवसादों के जमाव से बने हैं। इनमें सिंधु–गंगा का मैदान और गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा सबसे उत्तम उदाहरण है।
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