चक्रवात (Cyclone) निम्न वायुदाब के केन्द्र होते हैं। इनमें केन्द्र से बाहर की ओर वायु दाब-बढ़ता जाता है। नतीजतन परिधि से केन्द्र की ओर पवन चलने लगती है। चक्रवात में पवनों की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सूईयों के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में उनके अनुरूप होती है।
स्थिति और भौतिक गुणों की दृष्टि से चक्रवात दो प्रकार के होते हैं।
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात और
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
मौसम विज्ञान की शब्दावली में शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात को अवदाब और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात को केवल चक्रवात ही कहते हैं।
“चक्रवात अत्यंत निम्न वायुदाब का लगभग वृत्ताकार तूफानी केन्द्र हैं, जिसमें चक्करदार पवन प्रचंड वेग से चलती है तथा मूसलाधार वर्षा होती है।” वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण में चक्रवात महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक अनुमान के अनुसार एक पूर्ण विकसित चक्रवात मात्र एक घंटे में 3 अरब 50 करोड़ टन कोष्ण आर्द्र वायु को निम्न अक्षांशों में स्थानान्तरित कर देता है।
कब-कब आते हैं चक्रवात
चक्रवात एक ऐसी परिघटना है जो वर्ष के कुछ महीनों तक ही सीमित रहती है। भारत में अधिकतर चक्रवात मानसून के बाद अक्टूबर – दिसंबर या मानसून से पहले अप्रैल – मई में आते हैं। सामान्यतः चक्रवात की जीवन अवधि 7 से 14 दिनों की होती है।
चक्रवातों का संचलन
चक्रवात में बाहर के उच्च वायुदाब से केन्द्र के निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर पवन बड़े वेग से चलती हैं। इनके साथ-साथ ही चक्रवात का पूरा का पूरा तंत्र ही (बंगाल की खाड़ी में) पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर 15 से 30 कि.मी. प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ता है।
चक्रवात की श्रेणियां
चक्रवातों को हवा की गति और क्षति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
श्रेणी 1 – प्रति घंटे 90 से 125 किलोमीटर के बीच हवा की गति, घरों और पेड़ों को कुछ ध्यान देने योग्य नुकसान।
श्रेणी 2 – प्रति घंटे 125 और 164 किलोमीटर के बीच हवा की गति, घरों को नुकसान और फसलों और पेड़ों को अत्यधिक नुकसान ।
श्रेणी 3 – प्रति घंटे 165 से 224 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच हवा की गति, घरों के लिए संरचनात्मक क्षति, फसलों को व्यापक क्षति और ऊँचे पेड़ों, ऊँचे वाहनों और इमारतों का विनाश।
श्रेणी 4 – प्रति घंटे 225 और 279 किलोमीटर के बीच हवा की गति, बिजली की विफलता और शहरों और गाँवों को बहुत नुकसान।
श्रेणी 5 – प्रति घंटे 280 किलोमीटर से अधिक की हवा की गति, व्यापक क्षति।
कहाँ-कहाँ आते हैं भारत में चक्रवात
भारत में सबसे अधिक चक्रवात पूर्वी तट पर आते हैं। चक्रवात के संकट की आशंका वाले राज्य हैं- पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु। पश्चिमी तट अरब सागर में बने चक्रवातों से प्रभावित होता है। चक्रवात से उत्पन्न विपदा को सबसे अधिक झेलने वाला पश्चिमी तट का राज्य गुजरात है। महाराष्ट्र के तटीय और कुछ अंदरूनी क्षेत्र भी चक्रवात के प्रकोप की चपेट में आते हैं। संसार किसी भी सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में सबसे अधिक चक्रवात आते है।
चक्रवातों द्वारा महाविनाश
चक्रवात जिधर से गुजरते हैं, वहां महाविनाश करके निकलते हैं। चक्रवातों के प्रचंड वेग से काफी जन-धन की हानि होती हैं। मूसलाधार वर्षा बाढ़ का कारण बन जाती है। बाढ़ का पानी चारों ओर तबाही मचा देता है। चक्रवात के वेग से सागर में उत्ताल तरंगें उठती हैं। चक्रवाती वर्षा से उत्प्रेरित भूस्खलन और भी अधिक विनाशकारी सिद्ध होते हैं।
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